Gomti River front Scam:अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की बढ़ सकती हैं मुश्किलें ? जानिए वजहें
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के बीच सियासत में भी गरमाहट आती जा रही है। शिवपाल यादव से गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई पूछताछ कर सकती है। इसे मैनपुरी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
Gomti river front scam in Lucknow: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सरगर्मी अपने चरम पर है। एक तरफ जहां शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के लिए प्रचार करने में जुटे हैं वहीं अब बीजेपी सरकार ने उनपर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। शासन में बैठे उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) लखनऊ में करोड़ों रुपये के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच तेज कर सकती है और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (PSPL) के अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव से पूछताछ कर सकती है। सरकार पहले ही शिवपाल की सुरक्षा को 'जेड' से 'वाई' कैटेगरी में बदल चुकी है।
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गोमती रिवर फ्रंट में शिवपाल से पूछताछ कर सकती है CBI
दरअसल शिवपाल यादव यूपी के सिंचाई मंत्री थे जब सपा सरकार के कार्यकाल में गोमती रिवरफ्रंट परियोजना को क्रियान्वित किया गया था। सीबीआई जांच ने शुरू में पुष्टि की कि परियोजना के लिए ₹1,513 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था और लगभग ₹1,437 करोड़ काम का 60% पूरा किए बिना खर्च किया गया था। खर्च में कई विसंगतियां सामने आईं। इसके अलावा जिस कंपनी को रिवर फ्रंट ब्यूटीफिकेशन का काम दिया गया था, वह डिफाल्टर थी। 17 फरवरी, 2021 को सीबीआई ने लखनऊ में सीबीआई अदालत में छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। बाद में लखनऊ में दो सिंचाई इंजीनियरों को गिरफ्तार किया गया था।
ED ने भी मनी लांड्रिंग के तहत दर्ज किया था मामला
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी। यादव के सुरक्षा कवच को कम करने का निर्णय स्पष्ट रूप से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव के समर्थन में 5 दिसंबर मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए उनके आक्रामक प्रचार की पृष्ठभूमि में आया है। एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो राजनीतिक और नौकरशाही हलकों में अटकलें हैं कि सीबीआई जल्द ही जांच को फिर से शुरू कर सकती है।
रिवर फ्रंट घोटाले में जांच के घेरे में हैं शिवपाल
पीएसपीएल के प्रमुख शिवपाल यादव ने कथित गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में उनके और तीन अन्य के खिलाफ संभावित सीबीआई जांच के बारे में मीडिया के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और वह मीडिया से सुन रहे हैं। उन्होंने इटावा के जसवंत नगर में संवाददाताओं से कहा, ''कोई उनसे (भाजपा) से और क्या उम्मीद कर सकता है...मेरा काम हमेशा लोगों के हित के लिए और नियमों के दायरे में रहा है।'' शिवपाल जसवंत नगर से सपा विधायक भी हैं।
बीजेपी की नजदीकी की वजह से धीमी हो गई थी जांच
अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच दरार के बाद शिवपाल और भाजपा के बीच कथित बढ़ती निकटता के बाद कथित तौर पर रिवरफ्रंट घोटाले की जांच धीमी हो गई थी। शिवपाल यादव कैबिनेट मंत्री थे और 2012-17 से समाजवादी पार्टी के कार्यकाल के दौरान रिवरफ्रंट परियोजना की कल्पना और क्रियान्वित होने पर उन्होंने यूपी सिंचाई विभाग संभाला था। हालांकि, 2017 में सपा सरकार के जाने के बाद परियोजना में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया था।
योगी सरकार ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
सीबीआई ने 30 नवंबर, 2017 को राज्य सरकार की सिफारिश पर मामले में मामला दर्ज किया था। यूपी सरकार ने 2017 में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जब इस मामले की जांच के लिए गठित एक समिति ने रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण में कई विसंगतियां पाई थीं। राज्य सरकार ने 19 जून, 2017 को सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि अनुमानित बजट का 95% से अधिक खर्च होने के बावजूद रिवर फ्रंट चैनलाइजेशन से संबंधित 60% काम भी पूरा नहीं हुआ है।
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