बहराइच के जंगल में मिली जानवरों के बीच पली-बढ़ी 'मोगली', VIDEO
घनघोर जंगल में यह बच्ची बंदरों के बीच मिली थी। यह हाथों और पैरों के सहारे जानवरों की तरह चलती थी और उन्हीं की तरह बोलती थी।
बहराइच। कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों। जिसका कोई रखवाला नहीं होता उसका रखवाला ऊपरवाला होता है। कुछ ऐसा ही मामला बहराइच में सामने आया है। यहां हजारों एकड़ में फैले घनघोर जंगल में पुलिस को ऐसी बच्ची मिली है जो जानवरों की तरह ही हरकतें करती है और उन्हीं की तरह आवाजें निकालती है। दरअसल जनपद बहराइच में मोतीपुर पुलिस को रात्रि गश्त के दौरान जंगल से ऐसी लड़की मिली जो जानवरों के बीच रहती थी। उसे पुलिस के जवानों ने बंदरों के बीच से निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया जहाँ उसका इलाज किया जा रहा है। लड़की जंगल से नंगी अवस्था में बंदरों के बीच पायी गयी थी और वह इंसानों को देखकर भागती थी।
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कतर्नियाघाट सैंचुरी से मिली बच्ची
यूपी 100 में तैनात एसआई सुरेश यादव गत 25 जनवरी को कतर्नियाघाट सैंचुरी के मोतीपुर रेंज में गश्त कर रहे थे। मोतीपुर थानाध्यक्ष राम अवतार यादव ने बताया की जब पुलिस टीम रेंज के खपरा वन चैकी के पास पहुंची तो जंगलों में बंदरों से घिरी एक निर्वस्त्र चार वर्षीय बच्ची दिखाई दी। निर्जन वन में बच्ची को देख पुलिसकर्मी दंग रह गए। एसआई सुरेश ने उसे साथ लेना चाहा तो बंदर विरोध पर उतर आये और चीखना शुरू कर दिया। बच्ची भी पुलिसकर्मियों को देख बंदरों की तरह चीखने लगी।
बच्ची का किया जा रहा है इलाज
लेकिन पुलिसकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद उसे साथ लिया और जिला अस्पताल लाकर एडमिट कराया। बच्ची के शरीर पर जंगली जानवरों के काटने के जख्म थे। वो ना तो इन्सानी भाषा समझ पाती है और ना ही बोल पाती है। फिलहाल डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। लेकिन डाक्टरों को देखते ही वह चिल्ला उठती है जिसकी वजह से मेडिकल व नर्सिंग स्टाफ को इलाज में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एसओ राम अवतार ने बताया कि इस मामले में न तो कोई केस दर्ज है न ही उसके परिजनों को अता-पता चल रहा है।
पहले ऐसा था व्यवहार
- इंसानो से डरती थी।
- न कपड़े पहनती थी, न पहनना जानती थी।
- इंसानो की तरह खाद्य पदार्थ हाथों से उठाने के बजाय जानवरों की तरह मुंह से खाना खाती थी।
- खाने से पहले खाद्य पदार्थ को जमीन पर फेंक देती थी।
- हाथों और पैरों से जानवरों की तरह चलती थी।
- बंदरो की तरह चीखती थी।
- नित्य क्रियाएं बता नहीं पाती थी।
....अब व्यवहार में कुछ आया बदलाव
- इंसानों से डरना कुछ कम हुआ है।
- अब कपड़े पहनती है, लेकिन पहनना सीख नहीं सकी है।
- अब खाद्य पदार्थ फेंकती नहीं, लेकिन हाथों से खाना उठाना सीख नहीं सकी है। अभी भी मुंह से ही वह खाना खाती है।
- खड़े होकर पैरों के बल चलना सीख गई है, लेकिन कभी-कभी वह हाथों और पैरों के बल भी चलती है।
- अभी भी बंदरो की तरह चीखती है।
- कुछ भी बोल नहीं पाती।
इलाज में आ रही दिक्कत
जिला अस्पताल बहराइच के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ डीके सिंह का कहना है कि ये बच्ची किसकी हैं, कहाँ की है, ये किसी को नहीं पता। बच्ची कबसे जंगल में जानवरों के बीच है, ये भी कोई नहीं बता पा रहा है। दो महीने पहले बच्ची मिली थी। बच्ची का इलाज किया जा रहा है, लेकिन उसकी भाषा जानवरों की तरह है। इसलिए इलाज में भी तमाम दिक्कतें आ रही हैं। कुछ शरारती तत्वों ने बच्ची को गुटखा खाना सिखा दिया है। अब वह गुटखे का रैपर चाटती है।
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