शर्मनाक: शहीद के परिवार को मिला चेक हुआ बाउंस
यूपी के गाजीपुर जिले में सीमा पर शहीद हुए जवान के परिजनों को मिले चेक के बाउंस हो जाने का शर्मनाक मामला सामने आया है।
गाजीपुर। यूपी के गाजीपुर जिले में सीमा पर शहीद हुए जवान के परिजनों को मिले चेक के बाउंस हो जाने का शर्मनाक मामला सामने आया है। शहीद का परिवार आज भी मदद की आस में सरकारी ऑफिसों के चक्कर काट रहा है। बता दें कि गाजीपुर के बद्धोपुर गांव के रहने वाले मनोज कुशवाहा बीते नबम्बर माह में जम्मू कश्मीर में भारतीय सीमा पर शहीद हुए थे। उस उस वक्त सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा शहीद के परिजन को तमाम आश्वासन दिए गए लेकिन आजतक उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ है।
सैन्य अधिकारी के साइन मैच न होने से अटका है चेक
शहीद मनोज की विधवा पत्नी मंजू ने कहा कि सेना ने उन्हें पति की मृत्यु के बाद 1लाख 88 हजार 520 रूपए का एक चेक भेजा था। इस चेक को जब हमने बैंक में जमा किया तो पता चला कि चेक बाउंस हो गया है। पूछने पर बैंक के अधिकारियों ने बताया कि चेक पर सैन्य अधिकारी द्वारा किया गया हस्ताक्षर मैच नही हो पा रहा है। ऐसे में भुगतान सम्भव नही है। काफी कोशिश के बाद स्थानीय यूनियन बैंक ने आश्वासन दिया कि चेक लाओ, यूनिट के जम्मू-कश्मीर वाली शाखा में चेक भेज देंगे, जहां से संभवत: चेक क्लियर हो जाएगा।
बच्चों की परवरिश करना हुआ मुश्किल
शहीद की पत्नी ने बताया कि सरकार ने उनके पति का नाम गांव में बड़ा गेट और पार्क लगाने का आश्वासन दिया था लेकिन यह आश्वासन बी खोखला साबित हो रहा है। बेबस मंजू ने कहा कि मेरे दो बच्चे है और कमाने वाले सिर्फ वही थे जो देश के लिए शहीद हो गए। अब हमारे सामने बच्चों की परवरिश करना मुश्किल हो गया है। आजीविका के लिए गैस एजेंसी का वादा भी पूरा नही किया गया और न ही अभी तक पेशंन का भुगतान ही किया गया है ऐसे में हमारे हालात बदतर होते जा रहे है। शहीद के भाई बृज मोहन ने कहा कि हम लोग आफिसों के चक्कर लगा-लगा कर थक गए है लेकिन सरकारी लोग सुनने को तैयार नही। बैंक वाले चेक क्लियर नही कर रहे। पेंशन मिल नही रही, रोजगार आजीविका पर सरकार उदासीन है।
गनर के रुप में ज्वाइन की थी भारतीय सेना
22 नवम्बर को जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर में पाकिस्तानी सुरक्षाबलों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। जिनमें से एक मनोज भी थे। हम आप को बता दें, 21 जुलाई 1985 को जन्म मनोज कुशवाहा 3 भाईयों में सबसे बड़े थे। 2001 में उन्होंने गनर के रूप में भारतीय सेना ज्वाइन की थी। इनके वृद्ध पिता हरिलाल सिंह कुशवाहा प्राइवेट नौकरी कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। बैंक की तरफ से बताया गया कि चेक पर सैन्य अफसर के साइन मैच नहीं हो पा रहे थे। ऐसे में भुगतान नहीं हो सकता है। 3 फरवरी को हमने दोबारा यूनियन बैंक में चेक जमा किया। लेकिन आजतक न तो पैसे मिले और न ही चेक वापस किया गया।
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