यूपी में बाढ़ ने दी दस्तक, गंगा-यमुना में उफान के बाद हाई अलर्ट जारी
पिछले वर्ष बाढ से परेशान संगम नगरी में फिर से खतरे की घंटी बज गयी है। गंगा-यमुना के जल स्तर में वृद्धि शुरू हो गई है।
इलाहाबाद। पिछले वर्ष बाढ से परेशान संगम नगरी में फिर से खतरे की घंटी बज गयी है। गंगा-यमुना के जल स्तर में वृद्धि शुरू हो गई है। दो दिनों में एक मीटर से ज्यादा जल स्तर बढकर 78.9 मीटर हो गया है। हालांकि जलस्तर खतरे से अभी पांच मीटर नीचे है लेकिन बारिश के साथ शहर के दर्जन भर इलाके में पानी भर चुका है। जबकि गंगा यमुना के कछारी इलाकों में पानी ऊपर की ओर बढ रहा है। डीएम इलाहाबाद संजय कुमार ने बाढ की आशंका को देखते हुये हाई अलर्ट जारी किया है । साथ सी एनडीआरफ की टीम भी बुलाई गई है। जो अगले दो दिन में शहर में अस्थायी डेरा डालेगी। डीएम ने बाढ के लिये एडवाइजरी जारी करते हुये अवकाश पर गये अधिकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी है।
बारिश से भी बिगड़े हालात
गौरतलब है कि शहर में कई दिनों से भारी बारिश का क्रम जारी है और आगे भी बारिश होने का आंकलन किया गया है। मौजूदा समय में बारिश से शहर के हजारों परिवार प्रभावित हो चुके हैं।षकालिंदीपुरम का गोकुल सेक्टर, करेली में गौसनगर, राजरूपपुर के हजारों परिवार का बारिश के बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। कई इलाके में बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया है। कयी सड़के भी खतरनाक हो गयी हैं। इन पर गाड़ियां चलना जानलेवा बन गया है । कई जगह कच्चे घर जमींदोज हो रहे हैं। हरिसेनगंज में बेवा कमलेश का घर ढहा। जिसमें उसकी जान बच गई । सोराव प्राथमिक विद्यालय प्रथम समेत कई सरकारी स्कूल के परिसर में पानी भर गया है। मेंहदौरी मोहल्ले में पानी घरों की दीवाल तक आ चुका है।
टोंस नदी का जलस्तर चिंताजनक
गंगा यमुना तो अपनी गति से ही बढ रही हैं लेकिन टोंस नदी का जलस्तर अप्रत्याशित ढंग से बढ़ रहा है। जिससे एक बार फिर जिले में बाढ़ की संभावना और प्रबल हुई है। एमपी में भारी बारिश से टोंस में पानी बढा है। जिसका असर गंगा यमुना में सीधे तौर पर पड़ रहा है। डीएम संजय कुमार ने बाढ़ प्रबंधन से जुड़े विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुये बाढ से निपटने के लिये तैयारी विद्युत गति से करने का निर्देश दिया है । उन्होंने बताया कि दो दिन के अंदर ही अब स्वास्थ्य, आपूर्ति, नगर निगम, बिजली, प्रशासन, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, जल निगम, सिंचाई व अन्य विभागों को अपनी तैयारी की विस्तृत रिपोर्ट देनी है। जो एनडीआरफ की टीम को सौंपी जायेगी।
राहत शिविरों पर काम शुरू
पिछले साल बाढ़ से प्रभावित इलाकों में जिन राहत शिविरों का इस्तेमाल किया गया था । उन्हे फिर तैयार किया जा रहा है। क्योंकि पिछले साल शहरी क्षेत्र- 32 मोहल्लों के घरो में 20 दिन तक गंगा व यमुना का पानी घुस रहा। उस समय 19 राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितो ने ली शरण ली थी। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में तो 135 गांवों में पानी भर गया था। तब इन इलाको में सड़क पर नाव चलानी पड़ी थी।
इन इलाकों में हाई अलर्ट
बाढ़ के मद्देनजर सदर तहसील के अलावा, सोरांव, फूलपुर, मेजा, हंडिया, बारा, कोरांव व करछना तहसीलों के 135 गांवों को पहली सूची में अलर्ट पर रखा गया है। दो दर्जन गांव अतिसंवेदनशील बनाये गये हैं। ग्रामीण इलाकों में 80 से 100 राहत शिविर का खाका बनाया गया है। इस साल 100 चौकियां बनेंगी। शहर में संगम नोज का पूरा परिक्षेत्र, राजापुर, अल्लापुर, तेलियरगंज, सलोरी, अशोक नगर समेत शहर उत्तरी का अधिकांश हिस्सा बाढ के संभावित क्षेत्र मे है।