मुसलमानों के झगड़े बढ़ा रहे हैं कोर्ट का काम, इसलिए यूपी में शुरू हुईं शरिया अदालतें
कन्नौज। उत्तर प्रदेश के कन्नौज में पहली दारुल कज़ा यानि शरिया अदालत की औपचारिक शुरूआत हो गई है। इसी के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आने वाले दिनों में देश के सभी जिलों में दारुल कज़ा यानि शरिया अदालतों की शुरुआत करेगा। बता दें कि इस साल तक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 10 नई शरिया अदालत शुरुवात करने जा रहा है। वहीं, कन्नौज में शरिया अदालत खोले जाने के इस फैसले पर योगी सरकार ने ऐतराज जताया है।
शरिया अदालत या दारुल कजा की शुरुआत कनौज में मदरसा इस्लामियां बदरूल उलूम हाजीगंज में हुई है, जहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलान खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इसकी नींव रखी। इस मौके पर मौलान खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि दारुल कजा को खाप पंचायत बताना या अदालत के समकक्ष बताना सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला आजादी के पहले से ही मुल्क में चल रहा है। इसमें मुस्लिम परिवारों के घरेलू झगड़ों, पति-पत्नी के बीच मन मुटाव को दूर किया जाता है। तलाक के कई मामले दारुल कजा में आकर खत्म हो जाते हैं। दारुल कजा में कई बार गैर मुस्लिमों के मसलों को भी हल किया गया है।
कहा कि दारुल कजा के फैसले कई बार गैर मुस्लिमों के हक में किए गए है। लेकिन इस वक्त सियासी तंजीमों और मीडिया इसे गलत नजरिया से पेश कर रहा है। हम तो समाज के अंधकार को दूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दारुल कजा को शरिया अदालत कहना भी गलत है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बोर्ड की बैठक में इस साल 10 नए दारुल कजा खोलने की मंजूरी मिली है। यह इलाकाई लोगों की मांग पर खोला जाता है। मुल्क के सभी जिलों में खोलने की तैयारी की जा रही है। जितने ज्यादा दारुल कजा खुलेंगे, मसलों का हल उतना ही ज्यादा होगा। इससे सबसे ज्यादा फायदा औरतों को होगा।
अदालतों
का
बोझ
कम
कर
रही
है
शरिया
अदालत
ऑल
इंडिया
मुस्लिम
पर्सनल
लॉ
बोर्ड
की
दारुल
कजा
कमेटी
के
कनवेनर
मुफ्ती
अतीक
अहमद
कासमी
ने
कहा
कि
इस
वक्त
मुल्क
की
सभी
अदालतों
में
मुकदमों
का
अम्बार
लगा
हुआ
है।
इसमें
घरेलू
मामलों
के
भी
कई
मुकदमे
हैं।
मुकदमों
का
बोझ
कम
करने
के
लिए
लोक
अदालत
और
ऐसा
ही
कई
कॉन्सेप्ट
अमल
में
लाया
जा
रहा
है।
ऐसे
में
दारुल
कजा
जिसे
मीडिया
शरिया
अदालत
कहता
है,
काफी
कारगर
साबित
हो
रहा
है।
आपसी
मनमुटाव
और
तलाक
के
कई
मसलों
का
आसानी
से
एक
ही
दिन
में
किया
गया
है।
दारुल
कजा
से
तलाक
के
मामलों
में
आएगी
कमी
मौलाना
खालिद
सैफुल्लाह
रहमानी
और
मुफ्ती
अतीक
अहमद
कासमी
ने
कहा
कि
तीन
तलाक
का
जो
मुददा
उछाला
जा
रहा
है,
वह
इस्लाम
में
है
ही
नहीं।
इस्लाम
में
कहीं
पर
भी
एक
बार
में
तीन
तलाक
बोलने
का
हुक्म
नहीं
है।
अदालत
का
जो
फैसला
आया
है,
वह
इस
पर
कोई
बयान
नहीं
देंगे,
लेकिन
यह
जरूर
कहेंगे
कि
तीन
तलाक
बोलना
गुनाह
है।
मुल्क
में
इक्का-दुक्का
मामलों
को
छोड़
दें
तो
ऐसा
कहीं
नहीं
हुआ
है।
इस्लाम
और
मुसलमानों
को
बदनाम
किया
जा
रहा
है।
कहा
कि
दारुल
कजा
के
शुरु
होने
से
इसकी
गलत
फहमी
दूर
होगी।
तलाक
के
जो
मामले
हैं,
उसमें
भी
कमी
आएगी।