यूपी के उपमुख्यमंत्री का किया ऐसा इस्तेमाल, फर्जीवाड़े का खुलासा
स्कूल में बच्चे के एडमिशन के लिए जब उपमुख्यमंत्री का लेटर पहुंचा तो प्रशासन चौंक गया। इसकी जांच की गई तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में अपने बच्चे का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिये एक अभिभावक ने उपमुख्यमंत्री के लेटर हेड का इस्तेमाल किया। स्कूल प्रिंसिपल की शिकायत पर पुलिस ने लेटर की जांच करने पर फर्जी पाया। पुलिस ने अभिभावक और लेटर हेड बनाने वाले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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नौबस्ता का रहने वाले एसके त्रिपाठी का बेटा विशाल एक निजी स्कूल में क्लास आठ में पढाई कर रहा है | क्लास नौ में साइंस में एडमीशन करवाने के लिये एसके त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का लेटर स्कूल में लगाया जिसमें उनके बच्चे का एडमीशन क्लास नौ साइंस में करवाने के बारे में लिखा था। स्कूल प्रिंसिपल को उपमुख्यमंत्री का लेटर फर्जी लगा जिससे उन्होंने पुलिस को जानकारी दे दी।
लेटर की सच्चाई जानने के लिये पुलिस ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क किया तो वहां से जवाब मिला की इस तरह का कोई लेटर जारी नहीं किया गया है। इसके बाद पुलिस हरकत में आयी और एसके त्रिपाठी को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पुलिस की पूछताछ में एसके त्रिपाठी ने वह दुकान बताई जहां से फर्जी लेटर बनवाया था | पुलिस ने दुकानदार उबैदुर रहमान को भी अपनी गिरफ्त में लेकर जब दुकान की तलाशी ली तो कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क में उप मुख्यमंत्री का लेटर मिला। जिसके बाद पुलिस ने अभिभावक एसके त्रिपाठी और दुकानदार उबैदुर रहमान को जालसाजी करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
एसएसपी आकाश कुलहरि ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि प्रिंसिपल की शिकायत पर लेटर की जांच किदवई नगर थाने को दी गयी थी | जांच में पाया गया की एसके त्रिपाठी ने साइंस डिपार्टमेंट में अपने बच्चे का एडमीशन करवाने के लिये उबैदुर रहमान की दुकान से उपमुख्यमंत्री का फर्जी लेटर बनवाया था। एसके त्रिपाठी ने खुद उपमुख्यमंत्री की मोहर बनवाई और खुद उनका साइन करके स्कूल में लगाया। उबैदुर रहमान की दुकान से सीपीयू बरामद किया गया है उसमें अभी भी लेटर पड़ा हुआ है। पुलिस ने जब एसके त्रिपाठी के घर दबिश दी तो वहां पर 42 अलग-अलग विभागों की मोहरें बरामद हुयीं और शासन के कई लेटर हेड भी मिले। पूछताछ में एसके त्रिपाठी ने बताया की वो ठेकेदारी का काम करता है। कई विभागों में इस तरह के लेटर के माध्यम से दबाव बनाकर ठेका लेता था।
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