नोटबंदी के चलते धन की देवी मां लक्ष्मी के दरबार में भी पैसों का टोटा
मां लक्ष्मी के भक्त नोटों की किल्लत के चलते चाहते हुए भी मंदिर में माता को भेंट नहीं चढ़ा पा रहे हैं।
वृन्दावन। जहां एक ओर नोटबंदी के बाद देशभर में लोगों के पास नोटों की कमी हो गई है, वहीं दूसरी ओर मां लक्ष्मी के दरबार में भी पैसों का टोटा हो गया है। उत्तर प्रदेश के वृन्दावन स्थित लक्ष्मी जी के विश्व विख्यात लक्ष्मी मंदिर में इन दिनों दान में भारी गिरावट आई है। ये गिरावट नोटबंदी के चलते आई है।
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मां लक्ष्मी के भक्त नोटों की किल्लत के चलते चाहते हुए भी मंदिर में माता को भेंट नहीं चढ़ा पा रहे हैं। यह मंदिर वृन्दावन में यमुना नदी के किनारे स्थिति है। लक्ष्मी जी का यह मंदिर कृष्ण कालीन है।
इस मंदिर की मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया तो बैकुंठ में विराजमान महालक्ष्मी के मन में इच्छा जगी कि इस महारास को देखा जाए। वह महारास देखने की इच्छा से वृन्दावन पहुंचीं, लेकिन गोपियों ने लक्ष्मी जी को महारास देखने की अनुमति नहीं दी।
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मना किए जाने पर वह इसी स्थान पर एक पेड़ के नीचे बैठ गईं और तभी से यहां विराजमान हैं। यही वजह है कि यहां पर प्रति वर्ष दिसम्बर के महीने में मेला लगता है और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं।
यहां भक्त धन की देवी मां लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करते हैं और धन और वैभव की प्राप्ति करते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि कोई भी भक्त यहां आकर मां लक्ष्मी के दर्शन करता है तो उसे कभी भी धन की कमी नहीं रहती और भक्त यहां दिल खोलकर दान करते हैं। जिसकी जैसे श्रद्धा होती है वो यहां अपनी श्रद्धा अनुसार दान चढाते हैं, लेकिन इन दिनों नोटों के लिए देशभर में मारामारी मची हुई है।
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जनता अपने घर खर्च के लिए ही बड़ी मुश्किल से नोट जुटा पा रही है। ऐसे में लक्ष्मी जी के दरबार में आने वाले भक्तगण कैसे दान करें। भक्तों का कहना है कि सब नोटबंदी का ही असर है।