अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में 8 इंजीनियर के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की
लखनऊ। अखिलेश यादव की सरकार के दौरान लखनऊ में बने गोमती रिवर फ्रंट के खिलाफ योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही जांच के आदेश दे दिए थे। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी, इस मामले में सीबीआई ने आठ इंजीनियर के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। प्रमुख सचिव गृह के लिखित पत्र के आधार पर सिंचाई विभाग के 8 इंजीनियर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सीबीअई की लखनऊ की एंटी करप्शनस ब्रांच ने अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट की जांच शुरू कर दी है।
चार महीने पहले सीबीआई जांच की सिफारिश
लखनऊ सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांट ने सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद जोकि अब रिटायर हो चुके हैं के साथ कुल आठ लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई है। आपको बता दें कि योगी सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट में हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की सिफारिश चार महीने पहले की थी। सीबीआई ने यह एफआईआर गोमती नगर थाने में दर्ज कराई है, इस एफआईआर में सीबीआई ने आठ इंजीनियर को आरोपी बनाया है, जल्द ही सीबीआई इनके ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है।
न्यायिक जांच में सामने आई थी अनियमितता
इससे पहले योगी सरकार ने चार अप्रैल को रिवरफ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच कराई थी, यह जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आलोक सिंह की अध्यक्षता वाली टीम से कराई गई थी, जांज में जो लोग दोषी पाए गए थे उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश की गई थी। 19 जून को अधिशासी अभियंता अंबुज द्विवेदी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित तमाम धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अंबुज द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर के आधार पर ही सीबीआई ने गुलेश चंद, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव व अधिशासी अभियंता सुरेंद्र यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई जांच की यह आंच तमाम बड़े अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है। आपको बता दें कि रिवरफ्रंड का निर्माण तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने शुरू कराया था, जिस तरह से इस प्रोजेक्ट की लागत में लगातार बढ़ोतरी हुई उसी आधार पर योगी सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच की संस्तृति की थी।
95 फीसदी खर्च पर काम सिर्फ 60 फीसदी
रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज करने के साथ ही पीई (प्रारंभिक जांच) भी दर्ज की है। बताया गया कि सीबीआइ पीई के तहत रिवरफ्रंट से जुड़े अन्य कामों की भी प्रारंभिक जांच करेगी। गड़बड़ी सामने आने पर उनमें भी एफआइआर दर्ज की जाएगी। माना जा रहा है कि मामले में नामजद कराए गए आरोपितों के अलावा जांच में कई अन्य बड़ों की गर्दन भी फंस सकती है। गोमती नदी को लंदन की थेम्स नदी की तर्ज पर साफ करने के साथ ही यहां रिवरफ्रंट बनाने की योजना अखिलेश सरकार ने शुरू की थी, जिसकी कुल शुरुआती लागत 1513 करोड़ थी। लेकिन योगी सरकार का आरोप था कि इस राशि का 95 फीसदी खर्च होने के बाद भी काम सिर्फ 60 फीसदी पूरा हुआ है। इस प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ रुपए का फव्वारा मंगाया गया था, चार करोड़ की वॉटर बस मंगाई गई थी।
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