Babri demolition anniversary: 10 साल के मासूम बेटे के पिता को मार दी गई थी गोली
अयोध्या। बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के 25 साल बाद भी लोग इस घटना को भूल नहीं पाए हैं, आज भी इस मुद्दे को लेकर देश की सियासत चल रही है। कांग्रेस भाजपा एक बार फिर से इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने हैं। 6 दिसंबर 1992 को जिस तरह से बाबरी मस्जिद को गिराया गया, उसमे कई लोगों की अलग-अलग हिंसक घटनाओं में मौत हो गई थी। मरने वालों में ना सिर्फ मुसलमान बल्कि हिंदू भी शामिल थे। मरने वालों के जेहन में आज भी उस भयावह दिन की तस्वीर ताजा है।
मुझे आजतक नहीं पता क्यों मारी गई गोली
अयोध्या में हुई हिंसा में सुभाष पांडे ने भी अपने करीबियों को खोया है, सुभाष पांडे के पिता की पुलिस की गोलीबारी में मौत हो गई थी, उस वक्त सुभाष की उम्र महज दस साल थी। जब उन्होंने अपने पिता के शव को देखा तो बिलख-बिलखकर रो रहे थे। सुभाष उस घटना को याद करते हुए बताते हैं कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि मेरे पिता की मौत बाबरी मस्जिद पर चढ़ने की वजह से हुई थी या फिर किसी और वजह से उन्हें गोली मारी गई थी। मुझे आजतक इस बात की जानकारी नहीं मिली कि उन्हें गोली क्यों मारी गई।
अंतिम संस्कार के समय लोग कर रहे थे प्रदर्शन
सुभाष बताते हैं कि जब मेरे पिता का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन कर रहे थे, मेरे पिता के शरीर पर गोलियों के निशान थे। वह बताते हैं कि बाबरी मस्जिद पर हमला करने के चलते पुलिस ने 30 अक्टूबर और 2 नवंबर को लोगों पर गोली चलाई थी, उस वक्त प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस घटना में 16 लोगों की मौत हुई थी, जिसमे उनके पिता भी शामिल थे।
विहिप करता है मदद
अयोध्या के काले अध्याय को याद करते हुए सुभाष बताते हैं कि मेरे पिता की मौत के बाद मेरी दादी ने पालन-पोषण किया, हमारे परिवार में दो भाई और दो बहनें थीं, मेरा छोटा भाई बहुत छोटा था। इस दुख की घड़ी में परिवार को चलाने के लिए मुझे 12वीं के बाद पढ़ाई को छोड़ना पड़ा और बहुत ही कम उम्र में मेरा विवाह हो गया। इस वक्त मेरे तीन बच्चे हैं। सुभाष विश्व हिंदू परिषद की कार्यशाला में काम करते हैं जोकि प्रस्तावित मंदिर की कार्यशाला है। वह कहते हैं कि मुझे मेरे काम के पैसे मिलते हैं, साथ ही जब पैसों की जरूरत होती है तो हिंदू परिषद उनकी मदद करता है, विवाह का भी खर्च विहिप ने उठाया था।
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