अखिलेश-मुलायम के बीच पैचअप में पढ़िए क्या रही आजम की भूमिका?
आजम खान सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, उन्होंने जेल से लेकर कुर्सी तक समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का हर कदम पर साथ दिया। एक बार फिर से पार्टी के संकटमोचक बनकर आजम ही सामने आए।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में जारी घमासान आखिरकार थम गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच मची रार दूर हो गई है। इस पूरे विवाद को खत्म करने का श्रेय जिस शख्स को जाता है वो हैं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार में मंत्री आजम खान। आजम खान ने ही अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव को समझाने की कोशिश की। उनके बीच की दरार को कम करने और पार्टी को दो-फाड़ होने से रोकने में उन्होंने सबसे बड़ी भूमिका निभाई।
सपा के संकटमोचक बने आजम खान
आजम
खान
सपा
के
संस्थापक
सदस्यों
में
से
एक
हैं,
उन्होंने
जेल
से
लेकर
कुर्सी
तक
समाजवादी
पार्टी
के
मुखिया
मुलायम
सिंह
यादव
का
हर
कदम
पर
साथ
दिया।
वो
मुलायम
के
हर
कदम
पर
साथी
बने
रहे।
ऐसे
वक्त
में
जब
अखिलेश
यादव
को
पार्टी
से
निकाल
दिया
गया,
हालात
ऐसे
बन
गए
कि
पार्टी
दो-फाड़
हो
जाएगी।
स्थितियां
बेहद
गंभीर
थी
ऐसे
वक्त
में
सपा
सुप्रीम
को
सिपहसालार
पार्टी
के
महासचिव
मोहम्मद
आजम
खान
एक
बार
फिर
सामने
आए।
फिर
से
उन्होंने
पार्टी
के
संकटमोचक
बनकर
हालात
संभालने
की
कोशिश
की
और
कामयाब
भी
हो
गए।
जो
पार्टी
दो
हिस्सों
में
बंटने
की
ओर
नजर
आ
रही
थी,
कार्यकर्ता
से
लेकर
वोटर
तक
सभी
परेशान
थे,
उस
घमासान
को
तोड़ने
का
श्रेय
केवल
और
केवल
आजम
खान
को
ही
जाता
है।
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के
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हुई
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से
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यादव
और
रामगोपाल
यादव
को
निकालने
के
ऐलान
के
बाद
से
ही
लखनऊ
में
कार्यकर्ता
सड़क
पर
थे।
सभी
के
जेहन
में
यही
सवाल
था
कि
आखिर
समाजवादी
पार्टी
का
क्या
होगा?
दूसरी
ओर
सपा
में
जारी
घटनाक्रम
पर
नजर
रख
रहे
आजम
खान
शनिवार
को
सामने
आए।
शनिवार
सुबह
आजम
खान
सबसे
पहले
सपा
सुप्रीमो
मुलायम
सिंह
यादव
से
मिलने
के
लिए
पहुंचे।
उनसे
बातचीत
के
बाद
आजम
खान
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
से
उनके
आवास
पर
मिले
और
उन्हें
समझाया।
आजम
की
इस
मुलाकात
का
असर
भी
हुआ
अखिलेश
यादव
तुरंत
उनके
साथ
सीधे
सपा
सुप्रीमो
मुलायम
सिंह
यादव
के
पास
पहुंचे।
जहां
अखिलेश
यादव,
मुलायम
सिंह
यादव
और
आजम
खान
के
बीच
चर्चा
हुई।
इस
मुलाकात
के
कुछ
देर
बाद
सपा
के
प्रदेश
अध्यक्ष
शिवपाल
यादव
को
भी
बुलाया
गया।
इस
मुलाकात
में
ही
अखिलेश
यादव
और
रामगोपाल
यादव
का
निष्कासन
रद्द
करने
पर
फैसला
हुआ।
इस
बात
का
ऐलान
खुद
शिवपाल
यादव
ने
मीडिया
में
आकर
किया।
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आजम खान किसी भी मीटिंग या गुट में शामिल होने के बजाय सीधे मुलायम सिंह यादव से मिले। वहीं उन्होंने अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच मचे घमासान को खत्म करने का फॉर्मूला सुझाया। मुलायम के घर अकेले बंद कमरे में हुई बातचीत में आजम खान ने नेताजी को समझाया कि परिवार के इस झगड़े से केवल सांप्रदायिक ताकतों को बल मिलेगा। बताया जा रहा है आजम खान ने खून पसीने से बनाई समाजवादी पार्टी को बचाने और साम्प्रदायिक ताकतों के मंसूबों को नेस्तानाबूद करने का हवाला देकर सपा सुप्रीमो कोअखिलेश यादव के पक्ष में करने के लिए मनाया। आखिरकार आजम खान की मुहिम रंग लाई और अखिलेश यादव की मांगें मान ली गई। आजम खान के एक सूत्रीय फार्मूले पर सपा में जारी हाई वोल्टेज ड्रामा खत्म हुआ। कहा जा रहा है कि इस फॉर्मूले के तहत अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव को संरक्षक बनाया जाएगा। वहीं यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के प्रत्याशियों की सूची तैयार करने का काम मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान और अखिलेश यादव की कोर कमेटी करेगी।