Ayodhya News: बैडमिंटन खिलाड़ी Divyansh singh ने कैसे बदली अपनी ज़िंदगी, जानिए पूरी Success Story
Divyansh singh Success Story: आपके अंदर अगर प्रतिभा हो तो आप सही प्लेटफार्म मिलने पर निश्चित ही कुछ अलग कर सकते हैं। ऐसा ही एक वाकया सामने आया है अयोध्या में। अयोध्या के रहने वाले दिव्यांश सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत से सात सालों में ही वह मुकाम हासिल कर लिया जो लोगों को आसानी से नहीं मिलती। अपने परिवार में "हैरी पॉटर" के नाम से मशहूर 10 वर्षीय दिव्यांश सिंह ने सात साल के भीतर ही अंडर 11 बैडमिंटन चैम्पियनशिप में सफलता पा ली है।
तीन साल उम्र में पहुंचा बैडिमंटन कोर्ट
अयोध्या का रहने वाला दिव्यांश 2015 में सिर्फ तीन साल की उम्र में बैडमिंटन कोर्ट में खेलना शुरू किया। सात साल बाद दिव्यांश नोएडा में मिनी नेशनल में लड़कों की अंडर -11 श्रेणी में पहला राष्ट्रीय चैंपियन बनने में कामयाब हो गया। दिव्यांश ने अपने मुकाबले में असम के अनिकेश दत्ता को सीधे गेम में 21-17, 21-16 से मात दी। दिव्यांश ने मैच के बाद कहा कि, "मैं जीतने के बारे में आश्वस्त था। मैंने आक्रामक खेल खेलना चुना और अंत में आसानी से जीत गया।
बरेली में राज्य चैम्पियनशिप में जीते दोनों खिताब
पिछले महीने बरेली में राज्य चैम्पियनशिप में अंडर-11 वर्ग में एकल और युगल दोनों खिताब अपने नाम करने वाले इस बालक ने गुरुवार को कहा कि उसने केवल खिताब जीतने के लिए मिनी नेशनल में भाग लिया था। दिव्यांश ने कहा, "मेरे माता-पिता ने मुझे राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने की अनुमति दी, केवल तभी जब मैं आश्वस्त था, और इसलिए, मुझे हर कीमत पर जीतना था।" लखनऊ में बैडमिंटन अकादमी।
दिव्यांश की मां फैजाबाद में आरजे
दिव्यांश की मां, प्रतिभा सिंह, फैजाबाद में ऑल-इंडिया रेडियो (एआईआर) में आरजे हैं। उन्होंने बताया कि परिवार दिव्यांश की ऊर्जा को खेल में सही दिशा में लगाना चाहता था। बैडमिंटन उस समय परिवार के लिए जाना जाने वाला एकमात्र खेल था। दिव्यांश अपने बड़े भाई विप्रांश (एक शटलर भी) के साथ फैजाबाद स्टेडियम में प्रशिक्षण के लिए जाते थे, जहां उन्होंने बैडमिंटन शुरू किया। विप्रांश कहते हैं कि वह अभी भी वह एक शरारती लड़का है जो सभी का मनोरंजन करने के लिए घर पर शरारत करता रहता है है।
दिव्यांश की प्रतिभा के कायल हैं कोच अनूप दूबे
कोच अनूप दुबे ने कहा कि,
''तीन साल की उम्र में भी दिव्यांश की एनर्जी देखकर हर कोई हैरान था। मैंने उसके माता-पिता से उसे बैडमिंटन कोर्ट में मेरे साथ छोड़ने के लिए कहा क्योंकि यह उसकी ऊर्जा को चैनलाइज़ करने के लिए सबसे अच्छा खेल था। वह नेट्स पर काफी प्रभावशाली है, खासकर ड्रिब्लिंग और दमदार स्मैश मारने में निपुण है। जब भी वह अपने सीनियर्स को बैडमिंटन हॉल में खुलेआम घूमते हुए देखता है, तो वह उनसे अपने साथ कुछ गेम खेलने के लिए कहता है और कभी हार न मानने वाला रवैया उसकी पहचान है।"
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