कांग्रेस की मदद नहीं कर सके प्रशांत, पंजाब में भी नहीं मिल रहा क्रेडिट
कांग्रेस की हालत अब और भी खराब हो चुकी है। यूपी, उत्तराखंड में तो सूपड़ा साफ हुआ ही मणिपुर में भी भाजपा ने सेंध लगाई। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत भी मदद नहीं कर सके।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। कांग्रेस और उसके समर्थकों के लिए तो यह दुखद रहा ही इतना ही खराब चुनावी रणनीतिज्ञ प्रशांत किशोर के लिए भी रहा।
उन्होंने ही यह सलाह दी थी कि कांग्रेस, यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करे। हालांकि प्रशांत का ये दांव उलटा साबित हो गया। बता दें कि प्रशांत ने साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2015 के बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम किया।
हालांकि कांग्रेस के साथ काम करना प्रशांत के लिए बुरा सपना साबित हुआ। कांग्रेस यूपी में बुरी तरह से हारी और उसे सिर्फ 7 सीटें हारी। इतना ही कांग्रेस अपने ही गढ़ रायबरेली और अमेठी में बुरी तरह से हार गई। प्रशांत के लिए कांग्रेस के साथ काम करना गलत हो गया। प्रशांत ने सलाह दी थी कि यूपी में उन्हें सीएम कैंडिडेट बनाया जाए।
हालांकि कांग्रेस ने इस आईडिया को खारिज कर दिया और कहा कि प्रियंका गांधी कैंपेन को लीड करें लेकिन कांग्रेस ने इसे भी खारिज कर दिया। प्रशांत को यूपी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी झेलना पड़ा। उन पर आरोप लगा कि वो तानाशाही रवैया अपना रहे हैं। साथ ही कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष राज बब्बर के साथ ही दिक्कतें रहीं। उन्होंने भी सपा के साथ गठबंधन का समर्थन किया था लेकिन कांग्रेस इसके खिलाफ थी।
पंजाब में भी प्रशांत को दिक्कतें थीं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी प्रशांत से दिक्कत रही और वो उसे दूर ही रहते थे। हालांकि कांग्रेस ने पंजाब में उम्दा जीत हासिल की लेकिन इसमें प्रशांत का कोई खास हाथ नहीं रहा।
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