अधिकारी बैठे अर्द्धकुंभ तैयारियों की समीक्षा करने तो डकार गए लाखों का नाश्ता-पानी
अधिकारियों के खाने से लेकर नाश्ता, सामान, दान तक में लाखों रुपए न सिर्फ पानी की तरह बहा दिए गए बल्कि बिल में ऐसे रेट दिखाए गए जो सामान्य से कई गुना ज्यादा है।
इलाहाबाद।
संगम
नगरी
में
होने
वाले
अर्द्धकुंभ
की
तैयारियों
में
बेहिसाब
खर्च
का
मुद्दा
अब
गर्माने
लगा
है।
अधिकारियों
ने
तो
1200
रुपए
की
प्लेट
का
खाना
पचा
लिया
लेकिन
स्वास्थ्य
मंत्री
सिद्धार्थ
नाथ
को
ये
हजम
नहीं
हो
रहा।
इस
मामले
में
सिद्धार्थ
नाथ
ने
जांच
के
आदेश
दिए
तो
डीएम
ने
तत्काल
जांच
कमेटी
भी
बैठा
दी।
मामले
में
मेला
अधिकारी
आशीष
मिश्रा
को
खर्च
की
फाइलों
के
साथ
तलब
किया
गया
है।
गौतलब
है
की
अर्द्धकुंभ
की
तैयारियों
के
तहत
अब
तक
दो
बैठक
आयोजित
की
जा
चुकी
हैं
लेकिन
इन्हीं
दोनों
बैठकों
में
बेहिसाब
पैसा
खर्च
करने
का
मामला
खुलकर
सामने
आया
है।
अधिकारियों के खाने से लेकर नाश्ता, सामान, दान तक में लाखों रुपए न सिर्फ पानी की तरह बहा दिए गए बल्कि बिल में ऐसे रेट दिखाए गए जो सामान्य से कई गुना ज्यादा है। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि पूरा बिल पास कर पैसा भी राजस्व खजाने से चुकता कर दिया गया। पिछली बैठक में अधिकारियों की संख्या की बात करें तो 150 लोगों ने खाना खाया था। वहीं कई अन्य खर्च भी चौंकाने वाले थे। सपा शासन काल के दौरान हुए इन खर्चों का लेखा-जोखा अब योगी सरकार ने तलब किया है। जिसके बाद हड़कंप मचा है। क्योंकि खर्च के आंकड़े जो दर्शा रहे हैं वो तो एक और घोटाले की ओर बढ़ रहा है। फिलहाल अब फाइल खुल रही है तो जनता भी जानेगी कि उनकी थाली और साहब की प्लेट में क्या अंतर होता है। फिलहाल सोंचने वाला विषय ये है कि आखिर इलाहाबाद में अफसरान ने ऐसा खाया क्या?
दो बैठक में लाखों का बिल
संगम की रेती पर अर्द्धकुंभ की तैयारियों के लिए समीक्षा बैठक हुई थी। पहली बैठक दिसंबर में हुई जबकि दूसरी बैठक जनवरी महीने में संपन्न हुई थी। जिला प्रशासन ने बैठक की तैयारी व खर्च का जिम्मा संभाला था। अफसरों को नाश्ता व खाना खिलाया गया। जिसका बजट लाखों रुपए पहुंच गया। ये सिर्फ दो ही बैठक का हाल है। अन्य तरीके से भी अर्द्धकुंभ के नाम पर कुबेर के खजाने से पैसे लुटाए गए हैं। जिसका अब हिसाब सामने आ रहा है।
1200 रुपए प्रति प्लेट का खाना
बात 7 जनवरी 2017 की है, संगम नगरी में माघ मेला और अर्द्धकुंभ की तैयारियों के मद्देनजर मुख्य सचिव की बैठक हुई। बैठक में 150 लोगों की संख्या बताई गई। अफसरों को जब भूख लगी तो उन्हें 1200 रुपए प्रति प्लेट की दर से एक लाख 80 हजार रुपए का खाना परोसा गया। अब ये खाना कौन सी शख्सियत ने बनाया और कहां से लाया गया। जो इतना महंगा हो गया। ये खोजबीन का मुद्दा है लेकिन बिल पास हुआ और अदा कर दिखा भी दिया गया। खैर आपको कुछ दिन पहले हुई एक और बैठक के भी दर्शन करा देते हैं।
मलाई रोल से लेकर फ्रूट चाट तक
अर्द्धकुंभ को लेकर पहली बैठक 12 दिसंबर 2016 को आयोजित हुई। इस बार प्रशासन की ये बैठक अखाड़ा परिषद के साथ हुई। यहां भी जब भूख लगी तो नाश्ता का ऑर्डर दिया गया। देखते ही देखते पानी की बोतल, पनीर पकौड़ी, गोभी पकौड़ी, फ्रूट चाट आदि चीजे उपस्थित हो गईं। स्वाद के शौकीनों ने फिलहाल नाश्ते के नाम पर सिर्फ 87,400 रुपे ही खर्च कराए। हालांकि इसके बाद पूजा-पाठ का क्रम शुरू हुआ। मां गंगा की विधि-विधान से पूजा करने में तीन लाख रुपए से ज्यादा पैसे खर्च हो गए। आंकड़े बताते हैं कि बैठक में 29 संत शामिल हुए थे। संतों को जिला प्रशासन ने सम्मानित किया और उन्हें 1.60 लाख रुपए की शॉल भेंट की।
100 रुपए किलो मिला अमरूद
इलाहाबादी अमरूद की ख्याति पूरे देश में व विदेशों में भी है। इलाहाबाद का अमरूद काफी मशहूर है। लेकिन प्रशासन ने पहली बार अमरूद के उत्पादकों को सही मूल्य चुकता किया और बाजार से दुगना तीन गुना दाम पर अमरूद खरीद कर संतों को देने का बिल पास करा दिया। आश्चर्य होता है कि इतना महंगा अमरूद आखिर मिला कहा होगा। तत्कालीन मेला अधिकारी आशीष मिश्रा के अनुसार बीते बैठकों और आयोजनों में खर्च का भुगतान हो चुका है। जो बिल आया था, उसी का भुगतान हुआ है। हालांकि अब योगी सरकार अर्द्धकुंभ को लेकर पहले से ही सख्त निर्देश दे चुकी है। योगी संतों के लिए ये अर्द्धकुंभ यादगार बनाना चाहते है। इसके लिए अभी तक हुए खर्च का हिसाब तलब हुआ तो अफसरशाही का असली रूप देखकर हर कोई चौक गया है।
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