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कानपुर: बाहुबली हटा तो बढ़ गए उम्मीदवार, पहले सीट बदलवाने की जुगाड़ में रहता था हर कोई

कानपुर में कैंट विधानसभा सीट पर जब तक अतीक अहमद को टिकत मिलता था निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या कम ही रहती थी लेकिन इस बार उनकी इस सीट पर दावेदारी खत्म क्या हुई निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई।

By Gaurav Dwivedi
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कानपुर। कैंट क्षेत्र से बाहुबली अतीक अहमद के आने पर जहां पार्टियों के घोषित प्रत्याशियों में दहशत थी। तो वहीं उसके हटने के बाद यहां पर प्रत्याशियों की बाढ़ सी आ गई। यहां पर जिले की सभी सीटों से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी जनता के दरबार में वोट मांगते देखे जा रहें हैं। कानपुर की कैंट विधानसभा सीट जहां पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद इस सीट पर पिछली 6 बार से कमल खिलता आ रहा है। जिसके चलते समाजवादी पार्टी ने यहां से इलाहाबाद के बाहुबली और पूर्व सांसद अतीक अहमद को मैदान में उतारा था। जिसके बाद से भाजपा के सिटिंग विधायक रघुनंदन भदौरिया समेत बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी भी खौफ खाते थे। जिसके चलते सभी घोषित प्रत्याशी अपनी पार्टी में सीट बदलने का जुगाड़ फिट करने में लगे थे।

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ताल ठोकने की जागी उम्मीद

हालांकि आधिकारिक रूप से सभी दमदारी से चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे। लेकिन उनके चेहरे और क्षेत्र में प्रचार-प्रसार की गति बता रही थी कि वह किस कदर घबराए हुए हैं। सपा में चाचा-भतीजे की लड़ाई के चलते भतीजे ने बाहुबली का टिकट ही काट दिया। जिसके चलते यहां पर पार्टियों के प्रत्याशियों के अलावा निर्दलीय भी किस्मत अजमाने के लिए जनता के दरबार में तरह-तरह के वादे करने लगे। स्थिति यह हो गई कि जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों से ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी यहां चुनावी मैदान में आ गए। उप जिला निर्वाचन अधिकारी समीर वर्मा ने बताया कि कैंट सीट से निर्दलीयों सहित कुल 24 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

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जीत के लिए सभी का एक ही मुद्दा है 'विकास'

यहां पर सिटिंग भाजपा विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया हैं जो क्षेत्र में विकास कार्य और सबके दुखः सुख में शामिल होने का दावा कर दूसरी बार विधानसभा पहुंचने का दंभ भर रहें हैं। तो वहीं सपा के हसन रूमी जो पिछले चुनाव में नौ हजार वोटों से हारे थे वह भी प्रदेश सरकार के विकास कार्यों का हवाला देकर जीत की बात कर रहें हैं।

हालांकि कांग्रेस से गठबंधन के चलते यहां से कांग्रेस ने अपनी दावेदारी के लिए सुहैल अंसारी को मैदान में उतारा है। अगर नामांकन वापसी से पहले इन दोनों में कोई नाम वापस करता है तो उन्हीं का मुकाबला भाजपा विधायक से होगा। नहीं तो बसपा प्रत्याशी नसीम अहमद और सपा कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। दलित और ओबीसी बाहुल्य सीट बिल्हौर में सबसे कम प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि यहां पर भाजपा, सपा, बसपा सहित कुल 9 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

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English summary
After leaving Atiq Ahmad from cantt in kanpur many candidated get nomination
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