कन्नौज: बिना डॉक्टरी पढ़े ही कर रहा था बड़े-बड़े ऑपरेशन, रंगे हाथ पकड़ा गया
कन्नौज। उत्तर प्रदेश के कन्नौज में आखिरकार स्वास्थ्य महकमे के अफसरों ने जीटी रोड स्थित अर्शी नर्सिंग होम को सील कर दिया। ऑपरेशन थियेटर में ताला डालने के साथ यहां के मरीज भी जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज शिफ्ट कर दिए गए। उधर, इस कार्रवाई के बाद जिले में बिना पंजीयन चलने वाले छोटे बड़े नर्सिग होम संचालकों में भी हलचल तेज हो गई है। विभाग ने भी शिकंजा कसने का मन बना लिया है। सालों से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को भर्ती कर बिना डिग्री मुशीर अहमद ऑपरेशन करने में जुटे थे। कुछ दिन पहले ठेलिया में अपनी पत्नी सोनी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे अजीत दोहरे ने अस्पताल प्रबंधन पर पत्नी की बच्चेदानी निकालने का आरोप लगा शिकायत दर्ज कराई तो पड़ताल शुरू हुई। इसके बाद नर्सिग होम का पंजीयन रद्द कर नोटिस दिया गया। अब नर्सिंग होम को सील भी कर दिया गया।
फर्जी अर्शी नर्सिंग होम
इस नर्सिंग होम में इलाज से पीड़ित मरीज ठेलिया पर अपनी पत्नी को जिला अस्पताल ले गया था जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे से प्रशासनिक अफसर हरकत में आए। एसडीएम सदर शालिनी प्रभाकर, सीओ सदर लक्ष्मी कांत गौतम ने भी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी। इसके बाद बुधवार को स्वास्थ्य महकमे के अफसरों ने प्रसव कक्ष, आपरेशन कक्ष को सील किया था। गुरुवार सुबह फिर एसीएमओ डी.पी. आर्या, डॉ. के.सी.राय डिप्टी सीएमओ डॉ. राम मोहन तिवारी और मलेरिया निरीक्षक शैलेन्द्र ¨सह की टीम अर्शी नर्सिंग होम पहुंची। टीम ने पैथालॉजी, ओपीडी, सभी वार्ड व ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया। हॉस्पिटल में ही मुशीर अहमद का घर होने के कारण मुख्य द्वार पर ताला नही लगाया। हलांकि यहां पर अस्पताल सील होने का नोटिस चस्पा किया गया।
डिग्री लैब टेक्नीशियन की पर बना डॉक्टर
डिप्टी सीएमओ राम मोहन ने बताया कि मुशीर अहमद के पास ओपीडी चलाने की भी डिग्री नहीं थी। वह लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किए था। अस्पताल का पंजीकरण कराने के लिये उसने डिग्री वाले डॉक्टरों के शपथपत्र स्वास्थ्य विभाग में जमा किए थे। उसी आधार पर पंजीयन किया गया था। समय-समय पर होने वाले निरीक्षण में भी वह इन्हीं शपथ पत्र और डॉक्टरों की डिग्रियां टीम को दिखा कर बच निकलता था। पांच मई को जब स्वास्थ्य टीम ने यहां छापा मारा तो पता चला कि मुशीर ही ऑपरेशन करता है। उसे रंगे हाथ पकड़ा भी गया। जिन डॉक्टरों का पैनल रजिस्ट्रेशन में दिखाया गया है। वह कभी आते ही नहीं हैं। हालांकि उनकी तय रकम हर माह पहुंचाई जाती रही। इधर, कुछ अर्से से उन डॉक्टरों ने हाथ भी खड़े कर दिए थे। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि अब उसके खिलाफ भी अलग से मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
छह साल तक कैसे चलता रहा अस्पताल?
सदर कोतवाली के हैबतपुर कटरा निवासी अजीत दोहरे की पत्नी के गलत इलाज के बाद अर्शी अस्पताल की करतूतें एक-एक कर खुलती चली गई। हालांकि छह साल से यहां पर मरीज भर्ती कर इलाज होता रहा पर स्वास्थ्य महकमे को कोई कमी नजर नहीं आई। इससे सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। छह साल पहले अस्पताल पंजीयन में खामी क्यों नहीं दिखी। ढाई साल पहले एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिये मुशीर के ऑपरेशन की पोल खुलने पर स्वास्थ्य महकमे ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इससे तमाम मरीजों को समस्याएं हुई। प्रसूताओं को संकट से गुजरना पड़ा।
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