प्रतापगढ़ के अखिलेश से शादी कर तबस्सुम बनी निशा, ससुराल में आज मना रही है ईद
इलाहाबाद। गुजरे जमाने में मोहब्बत के कई किस्से आये और वक्त की रफ्तार में धुंधले हो गए। लेकिन, हीर-रांझा, लैला- मजनूं जैसे आशिकों की बेपनाह इश्क की किस्सागोई से आप आज भी इत्तेफाक रखते होंगे और रखें भी क्यों न उनकी ही तरह आज भी दीवानों की कहानियां आती ही रहती हैं। ऐसी ही एक कहानी यूपी के प्रतापगढ़ जिले के छोटे से गांव काशीपुर से निकलकर आई है। शिद्दत से इनकी चाह ने इन्हें राह दे दी और खुदा बनकर आये कुछ दोस्तों ने कोर्ट की मदद लेकर इनकी शादी करा दी। दोनों प्रेमी जोड़े कहते हैं कि उन्हें लगता है जैसे कि एक बहुत बुरा सपना देख रहे थे और अब आंख खुल गई है
कैसे शुरू हुआ इश्क
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में काशीपुर डुबकी गांव के बिहार विकासखंड क्षेत्र में आता है। इस छोटे से गांव में ही जन्मी थी इश्क की कहानी। कहानी शुरू होती है खेत खलियान के उस हिस्से से जहां इस गांव के रहने वाला अखिलेश जानवरों को चराने जाया करता था। इसी खेत से जुड़ा हुआ तबस्सुम उर्फ निशा का भी खेत था और वह भी अपने खेत को देखने के लिए आया करती थी। दोनों की नजरें एक दूसरे को देखती थी, लेकिन उम्र अभी इतनी कच्ची थी कि वह इश्क के जन्म लेते बीज को देख नहीं पा रहे थे या कहें कि समझ भी नहीं पा रहे थे। रोज मिलने जुलने और बातचीत का सिलसिला धीरे-धीरे गहरी दोस्ती में बदला। प्यार का सिलसिला शुरू हुआ तो इनके इश्क के चर्चे गांव में भी शुरू हो गए और बात दोनों के घर तक पहुंच गई।
रात में मिलते रहे
दोनों को घर में कैद कर दिया और उनके मिलने-जुलने पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन, दोनों के बीच प्यार की सीमा अब बहुत आगे बढ़ चुकी थी। दोनों ने अब रात में मिलना जुलना शुरू कर दिया और एक रात तबस्सुम के भाई ने दोनों को मिलते हुए देख लिया। उसके बाद दोनों की जमकर पिटाई की गई, जब तक की दोनों लहूलुहान न हो गए। इस मारपीट के बाद मामला बिगड़ गया और दोनों के इश्क ने सांप्रदायिक रूप लेना शुरू कर दिया। बात बिगड़ती चली गई और गांव में तनाव शुरू हो गया। इसी दौरान तबस्सुम के घरवालों ने मामला ठीक करने के लिए तबस्सुम की शादी तय कर दी। जब यह बात दोनों को पता चली तो उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया।
200 रुपए लेकर निकल गए थे घर से
अखिलेश और तबस्सुम ने रात के अंधेरे में घर छोड़ दिया और रेलवे स्टेशन पहुंच गए। इस दौरान अखिलेश की जेब में सिर्फ 200 रुपए थे। दोनों ट्रेन में बैठकर दिल्ली पहुंच गए। दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा और वादा किया कि अपनी नई दुनिया बसाएंगे और अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जियेंगे। लेकिन रुपए खत्म होने के बाद तबस्सुम और अखिलेश ने फैसला किया कि वह अपनी जान दे देंगे और अगर साथ जी नहीं सकते हैं तो साथ मर जाएंगे। दोस्तों ने दोनों को मरने की सोच छोड़कर जीने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उसे अपने बड़े भाई के पास मुंबई भेज दिया।
हिंदू संगठन ने की मदद
अखिलेश के दोस्तों ने हिंदू संगठनों से मदद मांगी और पूरी बात बताई। इसके बाद हिंदू संगठन के लोगों ने अखिलेश के घर पर संपर्क किया फिर थाने पर भी दबाव बनाया। दोस्तों ने कोर्ट की मदद लेते हुए दोनों की शादी का प्लान बनाया तो हिंदू संगठन के कुछ वरिष्ठ लोगों ने दोनों परिवारों के लोगों को सख्त हिदायत के साथ समझाया। जिसके बाद दोस्तों ने तबस्सुम और अखिलेश को वापस मुंबई से प्रतापगढ़ वापस बुला लिया। यहां कोर्ट में शादी कराने के बाद दोनों की शादी मंदिर में कराने की तैयारी करने लगे। मंदिर में शादी कराने की खबर जैसे ही दोनों परिवारों को मिली एक बार फिर से माहौल गर्म हो गया। लेकिन, पुलिस व हिंदू संगठन की सख्त हिदायत व चेतावनी के बाद दोनों की शादी मंदिर में संपन्न हुई और उसके बाद लड़के वाले भी दोनों के प्यार के आगे झुक गए।
आज तबस्सुम ने मनाई ईद
अखिलेश से शादी के बाद तबस्सुम से निशा बन गई। लेकिन, आज ईद का त्यौहार पूरा देश मना रहा था तो तबस्सुम ने भी अपने घर में अपनी ससुराल में ईद मनाई। तबस्सुम ने सेवई बनाकर परिजनों को खिलाई और पूरे परिवार में खुशियों का माहौल है। फिलहाल धर्म जाति के बंधन को तोड़कर हुई इस शादी ने पूरे इलाके में खूब चर्चा बटोरी है और लोग इनके इश्क की मिसाल दे रहे हैं।