भारत-अमेरिका की विज्ञान और तकनीक में साझेदारी, चीन पर नजर
इस पहल का नाम है इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज और इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मई 2022 में टोक्यो में की थी. इस साझेदारी का नेतृत्व दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कर रहे हैं.
इसका उद्देश्य ऐसे तकनीकी क्षेत्रों में दोनों देशों की साझेदारी को और मजबूत करना है जो वैश्विक विकास को संचालित करेंगी, दोनों देशों की आर्थिक प्रतियोगितात्मकता को बढ़ाएंगी और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की रक्षा करेंगी. अमेरिका में इस समय मौजूद भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं.
चीन का मुकाबला
उनके अलावा इसमें इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार जी सतीश रेड्डी, टेलीकॉम विभाग के सचिव के राजाराम और डीआरडीओ के महानिदेशक समीर कामत शामिल हैं.
बाइडेन पूर्व में कह चुके हैं कि उन्हें उम्मीद है कि यह पहल दोनों देशों को सैन्य उपकरण, सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्रों में चीन का मुकाबला करने में मदद करेगी.
अमेरिका चाहता है कि वो भारत में चीन की हुआवेई कंपनी का मुकाबला करने के लिए ज्यादा पश्चिमी मोबाइल फोन कंपनियों के नेटवर्क को तैनात कर सके, अमेरिका में ज्यादा भारतीय कंप्यूटर चिप विशेषज्ञों का स्वागत कर सके और दोनों देशों की कंपनियों को सैन्य उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहन दे सके.
लेकिन इन सभी मोर्चों पर अमेरिका के सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे सैन्य तकनीक के हस्तांतरण पर अमेरिकी प्रतिबंध, आप्रवासी कामगारों के लिए वीजा प्रतिबंध आदि. भारत की रूस पर सैन्य हार्डवेयर के लिए पुरानी निर्भरता भी अमेरिका के लिए एक चुनौती है.
इंडो-पैसिफिक पर जोर
अमेरिका को उम्मीद है कि इस नई पहल के जरिए वो इन मुद्दों को संबोधित कर पाएगा. डोभाल मंगलवार 31 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी में अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से मिले और आधिकारिक रूप से इस पहल की शुरुआत की.
Transforming vision into action! NSAs Ajit Doval & Jake Sullivan formally launched U.S.-India Initiative on Critical and Emerging Technologies(iCET).
Announced by @narendramodi & @POTUS,iCET reflects🇮🇳🇺🇸 conv.of strategic,commercial & scientific approaches in field of technology pic.twitter.com/XvXHCdCGqk
— India in USA (@IndianEmbassyUS) January 31, 2023
सुलिवन ने इससे पहले एक कार्यक्रम में कहा, "चीन द्वारा पेश की गई बड़ी चुनौती - उसका आर्थिक व्यवहार, उसके आक्रामक सैन्य कदम, भविष्य के उद्योगों पर अपना वर्चस्व बनाने की और भविष्य की सप्लाई चेनों को भी नियंत्रित करने की उसकी कोशिशों का दिल्ली की सोच पर गहरा असर पड़ा है."
उन्होंने यह भी कहा, "यह इंडो-पैसिफिक की पूरी लोकतांत्रिक दुनिया को मजबूत करने की समग्र रणनीति का एक बड़ा और बुनियादी हिस्सा है...ये दोनों नेताओं द्वारा लगाया गया एक सामरिक दांव है...इसके पीछे समझ यह है कि अमेरिका और भारत के बीच और गहरे इकोसिस्टम को बनाने से हमारे सामरिक, आर्थिक और तकनीकी हितों की देखभाल होगी."
देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह पहल क्या रंग लाती है.
Source: DW