बुलेट ट्रेन का रास्ता साफ, किसानों की जमीन का मार्केट वैल्यू के मुकाबले मिल सकता है 7 गुना दाम
सूरत। अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन के रूट के लिए भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज होती जा रही है। परियोजना अपने निर्धारित समय पर पूरी हो सके, इसलिये गुजरात सरकार किसानों के साथ जमीन अधिग्रहण को लेकर चर्चा कर रही है। अलग-अलग स्थानों पर प्रशासनिक अधिकारियों ने खेतिहर जमीन को कब्जाने के लिए अपनी दरें बढ़ाई हैं। यहां सूरत जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां किसानों को खेतिहर जमीनों की कीमत (मार्केट वैल्यू के हिसाब से बेस प्राइस) 7 गुना तक बढ़ाने का सुझाव रखा है। फिलहाल, 8 गांवों के किसानों को यह ऑफर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस प्रस्ताव को सरकार शीघ्र मंजूर करने जा रही है।
ओलपाड तालुका में 130 किसानों ने भू अधिग्रहण का विरोध किया
सूरत जिले के ओलपाड तालुका के चार गांवों के 130 किसानों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया है। उन्होंने अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें उचित दाम नहीं मिल रहे हैं और जमीन सस्ते में नहीं बिकेगी। कुछ किसानों ने अधिग्रहण कर रहे अधिकारियों से यह भी कहा है पास के जो गांव हैं, उनमें किसानों को ज्यादा दरें मिली हैं। ऐसे में हम कम दाम में जमीन अधिग्रहण नहीं होने देंगे।
7 गुना रेट मिले तो किसानों को जमीन देने से आपत्ति नहीं
बुलेट ट्रेन में जमीन अधिग्रहण नहीं होने के कारण परियोजना पर विपरीत असर हो रही है। किसानों के साथ बातचीत करने के लिये सरकार ने अपने विधायक को जिम्मेवारी सौंपी थी। किसानों के साथ चर्चा करने के बाद ओलपाड के भाजपा विधायक मुकेश पटेल ने सरकार को कहा कि, अगर किसानों को सात गुना दाम मिलता है, तो वह बुलेट ट्रेन परियोजना के लिये जमीन देने को तैयार हैं।
सूरत के 28 गांवों में होना है जमीन अधिग्रहण
बुलेट ट्रेन परियोजना के लिये सूरत जिले के कुल 28 गावों से भू-अधिग्रहण होने जा रहा है। किसानों और विधायकों के बीच सुलह की कोशिशें जारी हैं। सूरत के जिला कलेक्टर धवल पटेल का कहना है कि राज्य सरकार को दर बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में कलेक्टर ने कहा है कि, परियोजना के लिए आठ गांवों में किसानों को दरों से सात गुना तक तय किया जाए, ताकि हम जमीन अधिग्रहण कर सकें।
दरों को 708 रुपये प्रति वर्ग मीटर करने का प्रस्ताव
सूरत जिला कलेक्टर धवल पटेल ने कहा, ''वर्ष 2011 में इन गांवों में जमीन की दरें 100 रुपये या उससे कम (प्रति वर्ग मीटर) थीं, इसलिए हमने पड़ोसी गाँवों की दरों के साथ जाँच की। पाया कि पड़ोसी गाँवों की उच्चतम दर ये कम दर में हमारे यहां के 150 किसान अपनी जमीन देने के लिये तैयार नहीं हैं। हमने राज्य सरकार को सभी आठ गाँवों की दरों को बढ़ाकर 708 रुपये प्रति वर्ग मीटर करने का प्रस्ताव भेजा है।
विधायक ने भी कहा कि कम दरों पर भू-अधिग्रहण नहीं होगा
विधायक मुकेश पटेल का भी कहना है कि प्रभावित किसानों के लिए मौजूदा दर स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और राजस्व मंत्री कौशिक पटेल से अनुरोध किया है कि वे जंत्री दरों में बढ़ोतरी करें। प्रतिनिधित्व के बाद, राज्य सरकार ने सूरत कलेक्टर को यह देखने के लिए निर्देशित किया कि जंत्री दरों में वृद्धि की जानी चाहिए या नहीं और करनी पड़े तो कितनी होनी चाहिए।
'उम्मीद है कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में उचित मुआवजा मिलेगा'
भाजपा के विधायक मुकेश पटेल ने आगे कहा कि, हमें उम्मीद है कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में अधिग्रहण की जाने वाली जमीन के लिए किसानों को मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर की जंत्री दरों को संशोधित करने के प्रस्ताव पर सकारात्मक कार्रवाई करेगी।''