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रेल पटरियों से शुरू हुआ क्रिकेट, ट्रेन में धक्के खाकर बने खिलाड़ी, टीम इंडिया में आए UP के 'बेदी'

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नई दिल्ली, 23 फरवरी: भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं ने जब श्रीलंका के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम की घोषणा की थी तो उसमें कई दिग्गज खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था तो वहीं सौरभ कुमार जैसे नए खिलाड़ी को जगह भी दी गई थी। टीम को लेकर हुई चर्चा पर अधिकांश हिस्सा सीनियर खिलाड़ियों के खाते में गया जब चीफ सिलेक्टर चेतन शर्मा ने कहा कि वह भारत के प्रीमियर रेड बॉल टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर खास निगाह रखते हैं और जो लोग अपनी खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं उनको वापस रणजी में जाना चाहिए और प्रदर्शन करना चाहिए। इसी समय एक ऐसा ही सितारा टीम में सेलेक्ट कर लिया गया था जो रणजी में उस समय कमाल दिखा रहा था।

उत्तर प्रदेश के ऑलराउंडर सौरभ कुमार-

उत्तर प्रदेश के ऑलराउंडर सौरभ कुमार-

ये थे उत्तर प्रदेश के बाएं हाथ के ऑलराउंडर सौरभ कुमार। जब सौरभ कुमार का चयन हुआ तो भी वे उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्रॉफी में विदर्भ के खिलाफ खेल रहे थे। सौरभ कुमार का नाम ऐसा नहीं है कि आप अपनी जुबान पर उसको लें और तुरंत आपके जेहन में एक ऐसे खिलाड़ी का नाम कौंध जाए जो आने वाले सालों में क्रिकेट की दुनिया पर एकछत्र राज करेगा। बल्कि कुमार एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो गेंद और बल्ले दोनों से उपयोगी योगदान देने की काबिलियत रखते हैं और अपनी निरंतरता के चलते टीम के सामूहिक प्रयास में बड़ी अहम भूमिका निभा सकते हैं। सौरभ कुमार ने फर्स्ट क्लास मुकाबलों में अभी तक 47 मैच खेले हैं जिसमें 30.12 की औसत से 1697 रन बनाए। इस दौरान 2 शतक और 9 अर्धशतक शामिल है तो वहीं गेंदबाजी में उन्होंने 24.59 की औसत से 199 विकेट लिए हैं।

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इंडियन एयर फोर्स की नौकरी छोड़नी पड़ी-

इंडियन एयर फोर्स की नौकरी छोड़नी पड़ी-

वह लिस्ट ए और टी-20 मुकाबलों में भी अच्छी गेंदबाजी कर चुके हैं लेकिन यहां पर उनकी बल्लेबाजी बहुत अच्छी नहीं रही है इसीलिए चयनकर्ताओं ने सौरभ को भारत की घूमती हुई पर पिचों पर टेस्ट टीम के लिए चुना है जहां वे गेंद और बल्ले दोनों से उपयोगी साबित हो सकते हैं। सौरभ कुमार 28 साल के हो चुके हैं और वह 2 महीने बाद ही 29 साल के हो जाएंगे।

अगर उनके युवा दिनों की बात करें तो यह खिलाड़ी अपने खेल के दम पर सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी हासिल कर चुका था। वह इंडियन एयर फोर्स में कार्यरत थे जहां उनका काम सेना के लिए खेलने का था। लेकिन उनका सपना भारतीय टीम के लिए खेलना था इसके चलते उन्होंने रणजी ट्रॉफी खेलने का फैसला किया और उनको सेना की छोड़नी पड़ी। इस कठिन फैसले में उनके मां बाप ने अपने बेटे का साथ दिया और उसको अपने सपने पूरा करने की ओर प्रेरित किया।

सुनीता शर्मा से कोचिंग ली-

सुनीता शर्मा से कोचिंग ली-

सौरभ ने साल 2014-15 का सत्र सेना के लिए खेला था लेकिन उसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए रणजी टीम में डेब्यू किया और तब वे सेना छोड़ चुके थे। सौरभ के पिता ऑल इंडिया रेडियो में जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम करते हैं और वह मूलतः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से ताल्लुक रखते हैं लेकिन सौरभ की परवरिश और उनका जन्म बड़ौत में हुआ। सौरभ कुमार ने आजतक से बात करते हुए बताया है कि बचपन में कैसे वे रेल की पटरी के आसपास क्रिकेट खेला करते थे फिर उनके करियर में अहम बदलाव दबाया जब उन्होंने सुनीता शर्मा की कोचिंग के बारे में एक आर्टिकल पड़ा।

सुनीता शर्मा भारत की पहली महिला कोच मानी जाती हैं और उन्होंने दीप दासगुप्ता जैसे इंटरनेशनल प्लेयर को तराशा हुआ है। सौरभ दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में अपने हुनर को तराशने के लिए आगे बढ़ गए और यहीं पर उनको अपनी उस फिरकी गेंदबाजी को निखारने का मौका मिला जिसके दम पर वे आज बल्लेबाजों को नचा रहे हैं।

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बिशन सिंह बेदी से मैच खाता है एक्शन-

बिशन सिंह बेदी से मैच खाता है एक्शन-

सौरभ के लिए दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में पहुंचना आसान नहीं था। बड़ौत से दिल्ली पहुंचने में उनको कई घंटे लग जाते थे। इस बारे में सौरव ने पीटीआई से बात करते हुए बताया है कि अगर दोपहर 2:00 बजे की ट्रेनिंग होती थी तो सुबह 10:00 बजे घर से निकलना होता था। ट्रेन में तीन-चार घंटे लगते थे उसके बाद स्टेडियम में पहुंचने में आधा घंटा लगता था और लौटने में भी इतना ही समय लगता था लेकिन आज जब पीछे मुड़ कर देखा जाता है तो वह सब मेहनत रंग ला चुकी है।

सौरभ की गेंदबाजी भारत के लीजेंडरी लेफ्ट आर्म स्पिनर बिशन सिंह बेदी से मैच खाती है। सौरव का कहना है कि उनका एक्शन नेचुरल है उन्होंने किसी की कॉपी नहीं की है हालांकि उनके करियर में एक टर्निंग प्वाइंट तब आया जब उनको बेदी से गेंदबाजी के गुर सीखने को मिले। बेदी तब समर कैंप आयोजित किया करते थे जहां कई सारे युवा क्रिकेटर बॉलिंग के गुर सीखने आते थे और उन्होंने सौरव के एक्शन को काफी पसंद किया और कुछ छोटे-मोटे बदलाव किए।

'लगातार मेहनत करना'

अगर आपको लगता है कि सौरव कुमार का नाम अचानक फलक पर आ गया है तो बता दें कि कुमार लंबे समय से रणजी ट्रॉफी खेल रहे हैं। यह खिलाड़ी पहले इंडिया ए टीम में सिलेक्ट हो चुका है तो वहीं सीनियर इंडियन क्रिकेट टीम के लिए नेट बॉलर का भी काम कर चुका है और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर भी अपनी जगह बना चुका है। जब इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट टीम गई थी तो सौरव कुमार एक नेट गेंदबाज थे। यही नहीं, हाल ही में संपन्न हुए दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर वे रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर भी टीम इंडिया के साथ थे। अब देखना होगा कि सौरभ को श्रीलंका के खिलाफ क्या प्लेइंग इलेवन में जगह मिल पाती है या नहीं।

सौरव इस पर कहते हैं कि उनके बस में बाकी कुछ भी नहीं है केवल एक ही चीज उनके हाथ में है और वह है लगातार मेहनत करना और वे लगातार इसको करते रहना चाहेंगे अपना बेस्ट प्रदर्शन देते रहना चाहेंगे। कुमार को फिलहाल टेस्ट टीम के लिए के लिए लिया गया है लेकिन वह आईपीएल में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। हालांकि इस बार की मेगा नीलामी में उनको कोई भी खरीदार नहीं मिल पाया लेकिन पिछले सीजन में वे पंजाब किंग्स टीम में शामिल थे।

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English summary
IND vs SL: UP all rounder Saurabh Kumar journey started from railway tracks to train
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