'कमरे का दरवाजा खुलवा दो, लेटना है' कांपते हुए चोटिल बुजुर्ग महिला आस लगाकर जमीन पर बैठी रही
Shahjahanpur news, शाहजहांपुर। बच्चे जब छोटे होते हैं तब मां उंगली पकड़कर चलना सिखाती है। लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वही बच्चे मां बाप को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर देते हैं। ऐसी तस्वीरें यूपी के शाहजहांपुर से सामने आई है। यहां बीती रात एक बुजुर्ग महिला पुलिस चौकी में बने कमरे का दरवाजा खुलने के आस में करीब तीन घंटे तक इंतजार करती रही। इतना ही नहीं बुजुर्ग महिला के सिर पर पट्टी बंधी थी। हाथ में भी चोट थी। बुजुर्ग महिला परिवार के बारे में कुछ नहीं बता रही थी। लेकिन बस इतना जरूर कह रही थी कि कमरे का दरवाजा खुलवा दो लेटना है। लेकिन उस वक्त चौकी पर सिपाही या चौकी इंचार्ज मौजूद नहीं थे।
80 साल की बुजुर्ग को मदद के लिए बैठी रही
दरअसल चौक कोतवाली के राजघाट चौकी पर का मामला है। जहां करीब 80 साल की बुजुर्ग महिला चौकी के कमरे का गेट खुलने का इंतजार करती रही। महिला से जब पूछा कि वह कहां रहती है? कहां से आई है? इन सवालों के जवाब बुजुर्ग नहीं दे पाई। बीती रात मौसम भी काफी खराब था। बारिश भी हो रही थी और हवाएं भी तेज चल रही थी और मौसम भी काफी ठंडा था।
सिर और हाथ पर लगी चोट
बुजुर्ग महिला के सिर में चोट लगी थी, जिस पर पट्टी बंधी थी। हाथ में भी ड्रेसिंग की हुई थी। बुजुर्ग से पूछा कि वह चौकी के कमरे बाहर क्यों बैठी है। इस पर वह सिर्फ इतना कह रही थी कि दरवाजा खुलवा दो हमें लेटना है। लेकिन उस वक्त चौकी पर कोई भी सिपाही या चौकी इंचार्ज मौजूद नहीं थे। बुजुर्ग महिला कांपती हुई कमरे के बाहर बैठी दरवाजा तांकती रही कि कब दरवाजा खुले और वह सुकुन से रात गुजार सके। बुजुर्ग महिला करीब तीन घंटे तक चौकी पर इसी तरह से बैठी रही।
लेटने के लिए घंटों तक आस में बैठी रही
स्थानीय लोगों से जब इस बुजुर्ग महिला के बारे में बात की तो उनका कहना था कि पहली बार इस महिला को चौकी पर देखा है। पहले तो लगा कि ये फरियादी है। लेकिन जब उससे बात की तो वह सिर्फ इतना कह रही थी कि दरवाजा खोल दो वह लेटना चाहती है। लेकिन चौकी पर कोई मौजूद नहीं है।
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