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Satna news मशरूम बदल रहा अनुसूचित जनजाति महिलाओं की जिंदगी, कमाई के साथ बन रहीं आत्मनिर्भर

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Satna News : मशरूम की खेती वर्तमान दौर में कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने का एक बेहतर विकल्प है। खास कर महिला किसानों के लिए यह काफी फायदेमंद है, क्योंकि वे इसे घर में रहकर भी अपने दूसरे कामों को देखते हुए कर सकती हैं। सतना की महिला किसान मशरूम बीज उत्पादन से लाखों रुपए कमा रहीं हैं।

कोरोना काल में मशरूम की खेती कर मुनाफा भी कमाया

कोरोना काल में मशरूम की खेती कर मुनाफा भी कमाया

सतना जिले के रामस्थान ग्राम की 12 अनुसूचित जनजाति की महिलाओं ने आजीविका मिशन के तहत सृष्टि स्व-सहायता समूह बनाया और कोरोना काल में मशरूम की खेती कर मुनाफा भी कमाया। समूह की यह महिलायें मजदूरी मेहनत के अलावा अपने पास उपलब्ध भूमि में जैविक खेती के माध्यम से सब्जी बागवानी भी उगा रही हैं। रामस्थान में बन चुकी गौशाला के संचालन का जिम्मा भी इन महिलाओं को सौंपा गया है।

मेधावी छात्र पीएचडी करने के बाद गांव में दे रही प्रशिक्षण

मेधावी छात्र पीएचडी करने के बाद गांव में दे रही प्रशिक्षण

रामस्थान की मेधावी छात्रा सृष्टि सिंह ने एग्रीकल्चर में पीएचडी करने के बाद अपने ही गांव में रहकर महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का जिम्मा उठाया। उन्होने गांव की अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को संगठित महिला स्व-सहायता समूह बनाया और जैविक खेती तथा आर्थिक लाभ के लिये मशरूम की खेती पद्धति सिखाई। सभी महिलाओं ने मिलकर बांस और घांस फूस तथा भूसा जैसी स्थानीय सामग्री का उपयोग कर झोपड़ी बनाई। सिंचाई के लिये पैरचलित पंप लिया और कृषि विज्ञान केन्द्र से मशरूम के बीज लाकर खेती करना शुरू की।

100 किलो से ऊपर बेच चुके मार्केट में

100 किलो से ऊपर बेच चुके मार्केट में

समूह की सचिव रामकली आदिवासी जानकारी दी कि विगत 7-8 माह में 100 किलो से ऊपर मशरूम तैयार कर 150 किलो के भाव से पास के बाजार में बेंच चुके हैं। महिलाओं द्वारा तैयार किये जा रहे रामस्थान के मशरूम की चर्चा अब आम हो चुकी है। मशरूम खरीदने वाले अब रामस्थान आकर स्वयं मशरूम ले जाते हैं। जनप्रतिनिधि और बड़े अधिकारी जब भी रामस्थान आते है तो अनुसूचित जनजाति की महिलाओं द्वारा की जा रही मशरूम की खेती देखना और सराहना करना नहीं भूलते।

सरकार की योजनाओं का मिल रहा लाभ

सरकार की योजनाओं का मिल रहा लाभ

सृष्टि स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष अर्चना सिंह ने जानकारी दी कि समूह से जुड़ने के बाद महिलाओं में जागरूकता भी आई है और वे सरकार की पात्रतानुसार योजनाओं का लाभ भी ले रहीं है। समूह की महिलाओं को गौशाला संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। रामस्थान में 100 गौवंश की क्षमता की गौशाला भी समूह संचालित कर रहा है। वर्तमान में 25-30 गौवंशी पशुओं का रख-रखाव किया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने गांव वालों को खेतों की नरवई नहीं जलाने की जागरूकता दी जा रही है। अब वे सृष्टि सिंह के निर्देशन में खेती की नरवई से कंपोस्ट खाद भी बना रहीं हैं। समूह की महिलाओं ने जानकारी दी कि सभी महिलायें परस्पर सहयोग से मशरूम की खेती और गौशाला का संचालन कर रही है। ये महिलायें गौशाला से प्राप्त होने वाले अपशिष्ट से गोबर काष्ठ, गमले, गौमूत्र, से विनाईल जैसे उपयोगी उत्पाद तैयार कर गौशाला को आत्मनिर्भर और आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनाना चाहती हैं।

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English summary
Satna News, Mushroom, Farming Profit, Atmanirbhar, Srishti Self Help Group, Ramsthan
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