इंडिया के 4237 शहरों में हुआ सर्वे, 4 करोड़ लोगों ने सोशल मीडिया पर फीडबैक दिया, फिर कई पैरामीटर्स से आई रैंक; राजकोट 9वां सबसे स्वच्छ शहर साबित हुआ
Gujarat News in hindi, राजकोट। देश के सबसे स्वच्छ और साफ शहरों में राजकोट सिटी ने भी अपना डंका बजा दिया है। राष्ट्रपति भवन में पेश किए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 (swachh survekshan 2019) आंकड़ों में इस शहर ने देश में 9वां और गुजरात में दूसरा स्थान हासिल किया है। राजकोट ने पिछले वर्ष मिली 35वीं रैंक से छलांग लगाते हुए 4000.15 मार्क्स के साथ सूरत और बड़ौदा को पीछे छोड़ दिया है। इतना ही नहीं, अब यह शहर सूबे में पहले स्थान पर आने के लिए भी तैयारी में जुट गया है।
4237 शहरों में सर्वे, 64 लाख लोगों का फीडबैक लिया
बता दें कि, वर्ष 2019 के लिए शहरी विकास मंत्रालय ने 4237 शहरों में सर्वे किया था। इस दौरान विभिन्न टीमों ने 64 लाख लोगों का फीडबैक लिया। साथ ही, सोशल मीडिया के माध्यम से इन शहरों के 4 करोड़ लोगों से फीडबैक लिया गया। टीम ने इन शहरों के 41 लाख फोटोग्राफ्स कलेक्ट किए गए। इतने शहरों में टॉप-10 शहर का चयन करना मंत्रालय के लिए भी बड़ी चुनौती भरा रहा। ये सर्वे 5000 अंकों का था।
हालांकि, अभी इस मामले में बेहतर करने की जरूरत
स्वच्छता सर्वेक्षण में राजकोट देश के बहुत से शहरों से आगे रहा, मगर सर्विस लेवल प्रोग्रेस, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन और स्टार रैंकिंग्स में इसे कम मार्क्स मिले हैं। कमिश्नर बंछानिधि पाणी के मुताबिक, स्वच्छता के लिए महानगरपालिका की टीम द्वारा पिछले 6 महीनों से काफी मेहनत की जा रही है। जिसमें आमजन का भी अच्छा सहयोग मिला। अभी नाकरावाड़ी डम्पिंग साइट, बांधकाम वेस्ट का निकाल, और प्लास्टिक मेनेजमेंट क्षेत्र में काम करना बाकी है।
अब नंबर वन होने की दिशा में रहेगा जोर
राजकोट की रैंकिंग सुधारने के बारे में कमिश्नर बंछानिधि पाणी का कहना है कि आने वाले समय में राजकोट गुजरात के साथ देश में भी नंबर वन की ओर बढ़ने का प्रयास करेगा। इसे सबसे स्वच्छ शहर बनाने की महत्वाकांक्षा उन्होंने व्यक्त की। दिल्ही के अवॉर्ड समारोह में मेयर और कमिश्नर ने 9वीं रैंक पाकर खुशी जताई।
वो कारण जिनकी वजह से हमारी रैंक सुधरी
अधिकारियों के अनुसार, वर्ष-2018 में 35 वीं रैंक आने के बाद से ही राजकोट को टॉप-10 में लाने की कोशिशें शुरू कर दी गई थीं। जिसके तहत 6 महीनों से अलग-अलग तरह के प्लास्टिक बैन लागू किए गए थे। मनपा के अधिकारियों को गंददी करते लोगों से दंड वसूलने की इजाजत दे दी गई थी। इतना ही नहीं, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए 500 से अधिक कर्मचारियों को विविध जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
यहां रह गए पीछे
-
प्लास्टिक
पर
प्रतिबंध
का
पूरी
तरह
अमल
नहीं
हो
पाया।
-
सफाई
कर्मचारियों
के
पास
साधनों
का
अभाव।
-
भूगर्भ
गटर
का
पानी
शुद्ध
कर
उसका
उपयोग
करने
की
कोई
योजना
नहीं
-
शौचालयों
में
सुविधाओं
की
कमी
और
नियमित
सफाई
का
अभाव।
-
कमर्शियल
क्षेत्र
में
दिन
में
दो
बार
सफाई
करने
में
असमर्थता।