BSF जवान विजेंद्र सिंह को 30 साल बाद मिला शहीद का दर्जा, जानिए इतने साल क्यों लगे ?
राजस्थान के भरतपुर के BSF जवान विजेंद्र सिंह को 30 साल बाद मिला शहीद का दर्जा
राजस्थान के बीएसएफ जवान विजेंद्र सिंह को 30 साल बाद शहीद का दर्जा मिला है। अब उनके परिजनों को शहीद पैकेज के अनुसार कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। विजेंद्र सिंह राजस्थान के भरतपुर जिले के नयावास के रहने वाले थे। बीएसएफ की 153वीं वाहिनी में तैनात थे। विजेंद्र सिंह साल 1992 में जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।
मंगलवार को बीएसएफ यूनिट मथुरा के डिप्टी कमांडेंट मनोज कुमार भरतपुर के नयावास पहुंचे और शहीद विजेंद्र सिंह की पत्नी इंद्रादेवी को सम्मान पत्र सौंपा। मीडिया से बातचीत में मनोज कुमार ने बताया कि पहले बीएसएफ जवानों को शहीद का दर्जा नहीं मिलता था। यह एक साल से ही मिलने लगा है। इस वजह से विजेंद्र सिंह को शहीद का दर्जा मिलने में तीस साल लग गए।
शहीद
पैकेज
में
क्या
मिलता
है?
-
एक
आश्रित
को
सरकारी
नौकरी
-
वीरांगना
को
पेंशन
-
55
से
60
लाख
रुपए
की
आर्थिक
सहायता
-
4
हजार
वर्गफीट
मकान
निर्माण
के
लिए
सिमेंट
-
राज्य
सरकार
द्वारा
पेट्रोल
पम्प
-
मेडिकल
एमबीबीएस
व
आईआईटी
में
आश्रित
को
रिजर्व
सीट
पर
प्रवेश
वीरेंद्र
सिंह
को
भी
मिला
था
शहीद
का
दर्जा
बता
दें
कि
भरतपुर
में
बीएसएफ
के
चार
जवानों
को
अब
शहीद
का
दर्जा
मिल
सकेगा।
इसके
अलावा
मई
में
भरतपुर
शहर
के
बीएसएफ
की
52वीं
बटालियन
के
वीरेंद्र
सिंह
को
शहीद
का
दर्जा
मिल
चुका
है।
उनकी
वीरांगना
सुमन
देवी
को
शहीद
सम्मान
पत्र
दिया
गया।
वीरेंद्र
सिंह
साल
1999
में
कारगिल
जंग
में
शहीद
हो
गए
थे।
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