बाड़मेर के किसान ने कर दिया कमाल, रेतीले धोरों में अमेरिकन मक्का उगाकर कमा रहे लाखों रुपए
बाड़मेर। थार का नाम लेते ही जेहन में उभरती है रेत के दरिया की तस्वीर, लेकिन हिम्मत और कुछ अलग करने का जज्बा इस तस्वीर को कुछ इस तरह बदल सकता है कि देखने वाले भी हैरान हो जाए। ऐसा कुछ कर दिखाया भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे सरहदी बाड़मेर जिले के मीठड़ी गांव के किसान उम्मेदाराम ने। उम्मेदाराम ने नवाचार करते हुए अमरीकन मक्का बोया जो अब तैयार हो चुका है।
बाड़मेर जिले में अमेरिकन मक्का की उपज पहली बार
बाड़मेर जिले में अमेरिकन मक्का की उपज पहली बार हो रही है। दो बीघा में करीब दो लाख रुपए का मक्का होने का अनुमान है। मीठड़ी गांव के किसान उम्मेदाराम ने अमेरिकन मक्का की फसल बोई जो अब मेहनत के चलते लहलहा रही है। उम्मेदा राम के अनुसार उसने कृषि अधिकारियों से सम्पर्क किया तो पता चला कि अमेरिकन मक्का बाड़मेर की धरा के लिए अनुकूल हो सकता है। इसमें थोड़ा सा संशय जरूर था कि क्या यहां का वातावरण अनुकूल है।
दो लाख रुपए की कमाई होने का अनुमान
इसके चलते उन्होंने मात्र दो बीघा जमीन में ही मक्का की फसल करीब तीन माह पूर्व बोई। उम्मेदाराम बताते हैं कि उनके पास पांच हैक्टेयर जमीन है। जिस पर उसने नवाचार करने का सोचा। दो बीघा में तैयार मक्का से दो लाख रुपए की कमाई होने का अनुमान है। एक तरफ जहां इस प्रगरतिशील किसान ने अपने खेत मे जैविक खाद का उपयोग किया है। मक्का का बीज उसने उदयपुर से तीन हजार रुपए किलो की दर से खरीदा था। मक्का का चारा पशुओं के लिए पौष्टिक होता है, ऐसे में स्थानीय पशुपालक इसे हाथों हाथ खरीद रहे हैं।
बाड़मेर के किसान अब नवाचार की राह पर चल पड़े
किसान उम्मेदाराम का कहना है कि अमेरिकन मक्का की फसल चार पानी में तैयार हो गई है। सितम्बर में फसल बोई और तीन माह में उपज होने लगी। वर्तमान में स्थानीय बाजार में इसकी मांग है और चालीस- पचास रुपए किलो में बिक रहा है। एक तरफ जहां अब तक महज ग्वार बाजरा की खेती तक सीमित रहने वाले रेतीले बाड़मेर के किसान अब नवाचार की राह पर चल पड़े हैं। वहीं, कुछ अलग करने वालों के लिए उम्मेदाराम जैसे किसान किसी प्रेरणा से कम नही हैं।
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