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पश्चिमी कंपनियों के रूस छोड़ने पर पुतिन ने किया ईश्वर का धन्यवाद

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Provided by Deutsche Welle

मास्को, 27 मई। व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि विदेशी कंपनियों का रूस छोड़ना फायदे की बात है. उन्होंने कहा कि इन कंपनियों के रूस छोड़ने से वह खुश हैं क्योंकि इससे स्थानीय उद्योग उनकी जगह ले सकेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि रूस अब भी नई तकनीकें और ऐश ओ आराम की चीजें हासिल करने के रास्ते खोज लेगा.

पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में रूस की 'सैन्य कार्रवाई' एक ऐतिहासिक घटना है जो रूस के इतिहास को नई दिशा में मोड़ने वाला साबित होगा. उन्होंने कहा कि 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से अमेरिका ने रूस को शर्मिंदा किया है और रूस की अमेरिका के खिलाफ एक क्रांति है.

'नाकाम होंगी अमेरिकी कोशिशें'

इस युद्ध के बाद से अमेरिका ने रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की तमाम कोशिशें की हैं. उस पर बेहद कड़े आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए गए हैं और उसके उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री को मुश्किल बना दिया है. अमेरिका ने रूस का तेल खरीदना भी बंद कर दिया है. हालांकि इस वजह से दुनिया में भी आर्थिक संकट पैदा हो गया है क्योंकि सप्लाई चेन बाधित हुई है. इसके अलावा रूस से आने वाले उत्पाद जैसे कि अनाज, खाने का तेल, खाद और ईंधन की कीमतें भी आसमान पर हैं.

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से ही बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने रूस छोड़ना शुरू कर दिया था. इनमें बीपी से लेकर मैकडॉनल्ड्स तक हर क्षेत्र की मल्टिनेशनल कंपनियां शामिल हैं. इस वजह से रूस की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है. वहां हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और लोगों के लिए सामान खरीदना भी मुश्किल हुआ है. कहा जा रहा है कि देश इस वक्त 1991 में सोवियत संघ के बिखरने के बाद से सबसे ज्यादा उथल-पुथल से गुजर रहा है.

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किंतु, पुतिन ने इसके लिए ईश्वर का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, "कई बार जब आप देखते हैं कि कौन छोड़कर गया तो कहते हैं कि शायद खुदा का शुक्र है. हम उन जगहों को भर देंगे. हमारे उद्योग, हमारे उत्पादक, वे बड़े होने लगे हैं. और वे उन जगहों को सुरक्षित रूप से धारण कर लेंगे, जो हमारी साझीदारों द्वारा तैयार की जा रही है."

'बदल गया है आर्थिक सत्ता का केंद्र'

पुतिन एक वीडियो लिंक द्वारा सोवियत संघ में शामिल रहे पूर्व सदस्य देशों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मर्सिडीज बेंज जैसी लग्जरी चीजें अब भी रूस में उपलब्ध होंगी, बस थोड़ी ज्यादा महंगी होंगी. उन्होंने कहा, "ये चीजें उन लोगों के लिए थोड़ी ज्यादा महंगी होंगी. लेकिन ये वो लोग हैं जो मर्सिडीज 600एस पहले से ही चलाते रहे हैं और आगे भी चलाते रहेंगे. मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि वे लोग कहीं ना कहीं से, किसी ना किसी देश से उन्हें ले ही आएंगे."

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पुतिन ने कहा कि रूस को जिस चीज की अब भी सबसे ज्यादा जरूरत होगी, वह है आधुनिक तकनीकें, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं के पास उपलब्ध हैं. लेकिन उन्होंने इसका रास्ता खोजने की भी बात कही. पुतिन ने कहा, "हम अपने आप को इन चीजों से अलग नहीं कर लेंगे. वे हमें थोड़ा दबाना चाहते हैं, लेकिन आधुनिक दौर में ऐसा करना पूरी तरह असंभव है."

हालांकि रूसी राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि पश्चिमी देशों की तकनीकों और सॉफ्टवेयर आदि को वह किस तरह हासिल करेंगे. लेकिन उन्होंने वादा किया पश्चिमी देशों की रूस को अलग-थलग करने की कोशिशें विफल होंगी. उन्होंने कहा कि विकसित देश महंगाई के बुरे दौर से गुजर रहे हैं, उनकी सप्लाई चेन टूट गई है और वहां खाद्य संकट पैदा हो गया है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक सत्ता का केंद्र एशिया की ओर चला गया है.

20 साल में सबसे ज्यादा महंगाई

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश संकट को ठीकठाक संभाल रहा है और अब पश्चिमी देशों को छोड़कर चीन और भारत जैसी अन्य ताकतों की ओर जा रहा है. उन्होंने कहा, "जाहिर है, हमारे उद्योगपतियों को दिक्कत हो रही है, खासतौर पर सप्लाई चेन और परिवहन आदि को लेकर. फिर भी, सब कुछ ठीक किया जा सकता है. हर चीज नए तरीके से बनाई जा सकती है. हो सकता कुछ चरणों में नुकसान भी हो, लेकिन यह हमें मजबूत होने में मदद ही करेगा. और हर हालत में हम नई क्षमताएं हासिल कर रहे हैं. हम अपने आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों पर ध्यान दे रहे हैं."

रूस के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को ही ब्याजदर को 11 फीसदी घटा दिया था और यह भी कहा था कि आने वाले दिनों में और कटौती की जा सकती है. देश में महंगाई इस वक्त 20 साल से ज्यादा समय के सर्वोच्च स्तर पर है. पुतिन का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन को नाटो के विस्तार के जरिए धमकाने की कोशिश कर रहा था और उसने यह कार्रवाई अपनी रक्षा में की है. यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों का कहना है कि रूस के डर बेबुनियाद हैं.

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

Source: DW

English summary
putin says thank god some foreign companies have left russia
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