तनखैया घोषित होने का मतलब क्या है ? पंजाब में अमरिंदर सिंह के खिलाफ हुआ है ऐलान
अमृतसर, 6 दिसंबर: पंजाब में कांग्रेस से निकलने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार नए सिरे से अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। लेकिन, इसी दौरान उनके सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी गई है। सरबत खालसा की ओर से नियुक्त एक जत्थेदार ने बरगाड़ी मामले में उनपर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर उन्हें तनखैया घोषित कर दिया है। यह पूरा मामला क्या है और क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले इसकी वजह से कैप्टन बड़ी मुश्किलों में फंस सकते हैं, हम यह पूरी कहानी आपको बताने जा रहे हैं और हमने तनखैया प्रक्रिया को लेकर सिख एक्सपर्ट से भी खास जानकारी जुटाई है।
एक गुट ने अमरिंदर को घोषित किया 'तनखैया'
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को सरबत खालसा की ओर से नियुक्त एक जत्थेदार ज्ञानी ध्यान सिंह मंड ने 'तनखैया' घोषित कर दिया है। इस मौके पर ध्यान सिंह ने कहा कि, 'हमने अमरिंदर सिंह को कई मौके दिए कि सिख जत्थेदारों के सामने स्पष्टीकरण दें, लेकिन वे नहीं आए।' पंजाब के पूर्व सीएम पर आरोप है कि उन्होंने बरगाड़ी मामले के गुनहगारों को सजा दिलाने का वादा करके आंदोलन तो रुकवा दिया, लेकिन सजा नहीं मिल पाई। उनपर सिख संगत को झूठे सपने दिखाने का आरोप लगाया गया है। इस गुट का आरोप लगाया गया है कि कैप्टन श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा के तहत सिख पंथ के दोषी हैं।
तनखैया का मतलब क्या है ?
सिख धर्म के अनुसार तनखैया का मतलब है सिख धर्म के तहत धार्मिक दुराचार का दोषी। इसकी घोषणा सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था करती है। कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसके लिए व्यवस्था है कि वह नजदीकी सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग ले। तब संगत की ओर से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में कसूरवार के कसूर की समीक्षा की जाएगी और फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाएगा। इस संबंध में वन इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार सरदार गुरप्रीत सिंह से बात की है। उन्होंने इसके बारे में बताया है, "तनखैया मतलब जिसको धर्म से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसकी गतिविधियां सिख धर्म के खिलाफ हुई हैं। जो उसकी कार्यशैली है वह खिलाफ गई है। आम भाषा में समझें तो जैसे हम कहते हैं न कि हुक्का-पानी बंद कर दिया।" उन्होंने कहा, "इसका मतलब है कि कोई सिख ना तो इससे संपर्क रखे, ना संबंध रखे। ना इसके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में जाए और ना ही बुलाए। टोटली बायकॉट।"
तनखैया में किस तरह की सजा मिलती है ?
सिख धर्म की मान्यता के तहत सिख संगत को क्षमा देने को लेकर बहुत कठोर रुख नहीं अपनाना चाहिए। ना ही दोषी को सजा को लेकर किसी तरह की बहसबाजी करनी चाहिए। इसके तहत जो सजा दी जाती है, वह मूलरूप से सेवा भाव वाली होती है और संबंधित व्यक्ति को कोई भी सेवा करने के लिए कहा जा सकता है, जो वह अपनी हाथों से कर सकता है। गुरप्रीत सिंह का कहना है कि "तनखैया घोषित होने के बाद अगर कोई माफी मांगता है, तो फिर उसकी सजा की ऐलान की जाती है। सजा में ये होता है कि जैसे वहां हरमंदिर साहिब हैं तो वहां आपको एक हफ्ते तक जाकर जूते साफ करने हैं। सजा इसी तरह की होती है कि सेवा करो। फिर सजा पूरी होने पर तनखैया हटाई जाती है। "
तनखैया में कैस तय होती है सजा ?
उनके अनुसार जिसने जैसा जुर्म किया है, सजा उसी के मुताबिक तय की जाती है। सजा कहां होगी, किस तरह की होगी, कितने दिनों की होगी ये सब गुरुद्वारे में ही तय होता है। उन्होंने कहा, " जत्थेदार ही तय करते हैं कि सजा कहां पूरी होनी है। जैसे पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह ने भी माफी मांगी थी तो उन्हें सजा मिली थी कि आप गुरुद्वारा बंगला साहिब (दिल्ली) जाकर लोगों के जूते साफ किया करें।" जब सजा की अवधि समाप्त होती है तो अंत में पवित्र अरदास के साथ यह प्रक्रिया समाप्त होती है।
तनखैया घोषित होने से अमरिंदर सिंह की बढ़ेगी मुश्किल ?
हालांकि, यहां पर स्पष्ट करना जरूरी है तख्त श्री हरमंदिर साहिब स्थित श्री अकाल तख्त के आधिकारिक (निर्वाचित) जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह हैं, इसलिए मंड की ओर से जारी आदेश का कोई आधिकारिक वजूद नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक वह एक तरह से स्वयंभू जत्थेदार हैं, जिन्हें कांग्रेस का प्रोत्साहन प्राप्त है। (तस्वीरें- फाइल और सांकेतिक)
तनखैया अकाल तख्त के जत्थेदार ही घोषित कर सकते हैं, जो हैं ज्ञानी हरप्रीत सिंह। ज्ञानी ध्यान सिंह मंड का इससे कोई लेना-देना नहीं है- सरदार गुरप्रीत सिंह, वरिष्ठ पत्रकार