पंजाब: SAD के तीन दिगग्ज चेहरे इन विधानसभा सीटों से लड़ेगे चुनाव, जानिए कैसा रहा है इनका सियासी सफ़र
चुनावी रणनीति के मुताबिक सभी शिअद और गठंबधन के साथी अपने-अपने विधानसभा हलके में मतदाताओं के बीच प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
चंडीगढ़,
27
जनवरी
2022।
विधानसभा
चुनाव
के
मद्देनज़र
शिरोमणि
अकाली
दल
सियासी
ज़मीन
मजबूत
करने
में
जुटी
हुई
है।
चुनावी
रणनीति
के
मुताबिक
सभी
शिअद
और
गठंबधन
के
साथी
अपने-अपने
विधानसभा
हलके
में
मतदाताओं
के
बीच
प्रचार
प्रसार
कर
रहे
हैं।
इसी
कड़ी
में
शिरोमणि
अकाली
दल
के
तीन
दिग्गज
नेताओं
ने
घोषणा
कर
दी
है
कि
वह
किन
विधानसभा
क्षेत्रों
से
चुनावी
ताल
ठोक
रहे
हैं।
शिअद
के
संरक्षक
प्रकाश
सिंह
बादल
अपने
गढ़
लाम्बी
से
चुनावी
ताल
ठोकेंगे,
वहीं
शिअद
अध्यक्ष
सुखबीर
सिंह
बादल
जलालाबाद
विधानसभा
सीट
से
चुनावी
रण
में
उतरेंगे।
इसके
साथ
बिक्रम
सिंह
मजीठिया
इस
बार
अपने
गढ
मजीठा
विधानसभा
को
छोड़
कर
पंजाब
कांग्रेस
अध्यक्ष
नवजोत
सिंह
सिद्धू
के
गढ़
अमृतसर
पूर्व
से
चुनावी
मैदान
में
उतरेंगे।
आज
हम
आपको
शिअद
के
इन
तीनों
दिग्गज
नेताओं
के
चुनावी
इतिहास
बताने
जा
रहे
हैं।
प्रकाश बादल ने 1947 में रखा था राजनीति में क़दम
प्रकाश सिंह बादल ने पहली बार 20 साल की उम्र में 1947 में सरपंच का चुनाव लड़ा था। सरपंच का चुनाव जीतने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने सियासी सफर की शुरुआत की थी। कांग्रेस की टिकट पर पहली बार 1957 में चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 1969 में दोबार जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना, इस तरह से वह सियासी सीढियां चढ़ते चले गए। 1970 में वह पहली बार मंत्री के पद से नवाज़े गए उसके बाद उन्होंने सियासी बुलंदिया छूनीं शुरू कर दी। प्रकाश सिंह बादल साल 1970-71 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए गए। ग़ौरतलब है कि पंजाब के सियासी इतिहास में पांच बार सीएम बनने वाले इकलौते नेता प्रकाश सिंह बादल हैं। 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार में कुछ समय के लिए मंत्री भी रहे हैं। 1972, 1980 और 2002 में वह पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। आपको बता दें कि प्रकाश सिंह बादल अभी तक 10 बार विधायक रह चुके हैं, उन्होंने ज़्यादातर लांबी से ही चुनाव लड़ा है।
फरीदकोट से पहली बार सुखबीर बादल चुने गए थे सांसद
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के सियासी सफर की बात की जाए तो 1996 के लोकसभा चुनाव में पहली बार फरीदकोट से जीत दर्ज कर संसद पहुंचे। फिर फरीदकोट से ही 1998 के लोकसभा चुनाव में भी सांसद बने। 1998-1999 के दौरान उद्योग राज्य मंत्री रहे। वहीं 2001 से 2004 के दौरान वह राज्यसभा के सदस्य रहे। शिरोमणि अकाली के राष्ट्रीय अध्यक्ष 2008 में बने। ग़ौरलतब है कि 2009 में विधानसभा के सदस्यर बने बिना ही उन्होंने उप मुख्यमंत्री बने। इस मुद्दे पर काफी विवाद भी हुआ, जिसके बाद उन्हों ने अपने पद से 6 महीने बाद इस्तीणफा दे दिया और जलालाबाद विधानसभा सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे और दोबारा डिप्टीत सीएम पद की शपथ ली। शिअद-भाजपा गठबंधन ने 2012 के विधानसभा चुनाव में दोबारा बहुमत हासिल किया। शिअद-भाजपा के गठबंधन की सरकार बनी और सुखबीर बादल ने तीसरी बार उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में वह फरीदकोट से तीसरी बार सांसद चुने गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में शिअद-भाजपा गठबंधनी की सरकार नहीं बनी लेकिन सुखबीर बादल ने अपने सीट से जीत दर्ज की। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर से फरीदकोट से जीत दर्ज कर संसद तक का सफर किया। ग़ौरतलब है कि सुखबीर बादल ने अभी तक किसी भी चुनाव में हार का सामना नहीं किया है। अब 2022 विधानसभा चुनाव में वह फिर से जलालाबाद सीट से चुनावी रण में हैं।
बिक्रम मजीठिया ने पहली बार मजीठा सीट से दर्ज की जीत
शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया का जन्म 1976 में एक जाट सिख परिवार में हुआ था । उनके पिता सरदार सत्यजीत सिंह मजीठिया पूर्व उप रक्षा मंत्री और दादा सरदार सुरजीत सिंह मजीठिया भारतीय बायुसेना में एक विंग कमांडर में थे। उनके परदादा सुंदर सिंह मजीठिया पंजाब सरकार में राजस्व मंत्री थे। बिक्रम सिंह मजीठिया के सियासी सफ़र की बात की जाए तो उन्होंने 2007 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मजीठा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी बिगुल फूंका और जीत दर्ज की। उसके बाद उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में दोबारा से मजीठा सीट से ही चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें पंजाब कैबिनेट में शामिल किया गया। वह पूर्व राजस्व, पुनर्वास व आपदा प्रबंधन, सूचना व जनसंपर्क और गैर पारंपरिक ऊर्जा मंत्री भी रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस बार वह अपना गढ़ छोड़ कर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के विधानसभा क्षेत्र से चुनावी रण में हैं।
यह भी पढ़ें: पंजाब विधानसभा चुनाव: क्या विपक्षी दलों को मज़बूत करेंगे कांग्रेस के बाग़ी नेता या देंगे पार्टी का साथ ?