क्या अरविंद केजरीवाल को भगवंत मान से कोई खुन्नस है ?
चंडीगढ़, 29 नवंबर। क्या अरविंद केजरीवाल को भगवंत मान से कोई खुन्नस है ? पंजाब में मान को आम आदमी पार्टी का सीएम चेहरा बनाने की मांग तेज हो रही है। लेकिन अरविंद केजरावील लगातार इसकी अनदेखी कर रहे हैं। विधायक रुपिंदर कौर रुबी ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी। रविवार को जब पार्टी बैठक में भगवंत मान के समर्थन में नारे गूंजने लगे तो केजरीवाल भड़क गये।
पार्टी नेता केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप लगाने लगे हैं। भगवंत मान के साथ चाहे जो भी विवाद जुड़े हों लेकिन वे पंजाब में आप के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। वे एक मकबूल हास्य कलाकार रह चुके हैं। 2014 और 2019 में लगातार दो चुनाव जीत कर वे अपना जनाधार साबित कर चुके हैं। फिर केजरीवाल मान को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट क्यों नहीं कर रहे? क्या केजरीवाल पार्टी में किसी मजबूत नेता के उभरने से खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं ?
2017 में ऐसे बिगड़ा था आप का खेल
2017 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के निकट सहयोगी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के एक बयान से आप का बना बनाया खेल बिगड़ गया था। पंजाब की जनता आप को नये विकल्प के रूप में देख ऱही थी। दिल्ली की तरह पंजाब में भी करिश्मा का अंदाजा लगाया जा रहा था। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान सिसोदिया कह दिया था, पंजाब के लोग वोट डालते समय यह सोचे कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट डाल रहे हैं। सिसोदिया के इस बयान को अकाली दल ने लपक लिया। अकाली दल ने चुनावी सभाओं में कहना शुरू कर दिया कि क्या आप को वोट देकर पंजाब के लोग एक हरियाणवी (केजरीवाल) को सीएम बनाएंगे ? क्या गैरसिख पंजाब का मुख्यमंत्री बनेगा ? यह एक संवेदनशील सवाल था। 1960 के बाद से आज तक पंजाब में कोई गैरसिख मुख्यमंत्री नहीं बना है। पार्टी कोई रही हो, सीएम सिख समुदाय का ही रहा है। सिसोदिया के बयान से यह संदेश चला गया कि अगर आप को जीत मिली तो अरविंद केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। इस आशंका ने आप की संभावनाओं को धूमिल कर दिया। लोगों ने इरादा बदल दिया। फिर भी आप 20 सीट जीती थी। अगर केजरीवाल ने 2017 में किसी सिख को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया होता तो वह चुनाव जीत सकती थी।
मान के समर्थन में लगे नारे तो भड़क गये केजरीवाल
रविवार को मोहाली में आप कार्यकर्ताओं की बैठक थी। एक बुजुर्ग कार्यकर्ता ने सवाल उठाया, 2017 में बाहरी को सीएम बनाने की की चर्चा ने आप को बहुत नुकसान पहुंचाया था। इसलिए इस बार किसी सिख को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया जाना चाहिए। सांसद भगवंत मान, नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा या किसी दूसरे योग्य नेता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह मुद्दा उठाये जाने पर केजरीवाल ने कहा, हां इस बार आप का सीएम उम्मीदवार पंजाब का ही होगा। इसके बैठक में भगवंत मान के समर्थन में नारे लगने लगे। खुद भगवंत मान ने नारा लगा रहे लोगों को चुप कराया। लेकिन ये बात केजरीवाल को पसंद नहीं आयी। उन्होंने रुखे लहजे में कहा, हम पंजाब को सुधारने आये हैं न कि किसी को कुछ बनाने आये हैं। आम आदमी पार्टी में लोग विधायक, मंत्री या सीएम बनने के लिए नहीं आते। मुद्दों के लिए लड़ो।
मान और केजरीवाल में तनातनी
2018 में अरविंद केजरीवाल ने जब अकाली नेता विक्रम मजीठिया से माफी मांगी थी तो भगवंत मान ने नाराज हो कर आप के प्रदेश अध्यक्ष (संयोजक) पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल 2017 के चुनाव में आप ने विधानसभा चुनाव में ड्रग का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। भाषण के क्रम में अरविंद केजरीवाल ने अकली दल को ड्रग समस्या के लिए जिम्मेदार ठहरा था और विक्रम मजीठिया पर ड्रग कारोबार में शामिल होने का आरोप लगा दिया था। तब मजीठिया ने केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा कर दिया था। अरविंद केजरीवाल के पास चूंकि कोई सबूत नहीं था इसलिए उन्होंने मजीठिया से माफी मांग ली। भगवंत मान का कहना था कि केजरीवाल के माफी मांगने से आप के हाथ आया एक मजबूत मुद्दा छीन गया। कुछ अन्य कारणों से भी केजरीवाल और मान में छत्तीस का रिश्ता रहा है।
जब भगवंत मान ने छोड़ दी शराब
2016 में आप के निलंबित सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने लोकसभा में स्पीकर से अनुरोध किया था कि उनकी सीट भगवंत मान से दूर कर दी जाए क्यों कि उनके मुंह से शराब की गंध आ रही है। इसके बाद तो सदन में हंगामा मच गया था। अरविंद केजरीवाल ने भी मान को शराब नहीं पीने के लिए ताकीद किया था। आखिरकार मान ने जब 1 जनवरी 2019 से शराब नहीं पीने का संकल्प लिया तो केजरीवाल थोड़े नरम हुए। चुनाव से से पहले उन्होंने मान को अपना छोटा भाई बताया। पिछले महीने वे मान के माता-पिता से मिले। उनके घर पर मक्के की रोटी और सरसो का साग भी खाया। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी वे भगवंत मान को सीएम चेहरा बनाने के पक्ष में नहीं हैं।