पंजाब की सियासत में बड़ा उलट फेर कर सकती है कैप्टन और शाह की जोड़ी, ढींढसा भी आ सकते हैं साथ
पंजाब विधानसभा चुनाव के दिन नज़दीक आते ही सियासी समीकरण बदलते हुए नज़र आ रहे हैं। तीन कृषि कानूनों के वापसी के बाद भारतीय जनता पार्टी सियासी माइलेज लेने की पूरी कोशिश कर रही है।
चंडीगढ़,
6
दिसंबर
2021।
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
के
दिन
नज़दीक
आते
ही
सियासी
समीकरण
बदलते
हुए
नज़र
आ
रहे
हैं।
तीन
कृषि
कानूनों
के
वापसी
के
बाद
भारतीय
जनता
पार्टी
सियासी
माइलेज
लेने
की
पूरी
कोशिश
कर
रही
है।
वहीं
अब
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
के
गठबंधन
की
घोषणा
के
बाद
से
पंजाब
में
राजनीतिक
बदलाव
देखने
को
मिल
सकते
हैं।
जिस
तरह
से
अमित
शाह
सियासी
खेल
में
माहिर
हैं,
इसे
देखते
हुए
सियासी
जानकारो
का
कहना
है
कि
अमित
शाह
और
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
में
नया
आयाम
गढ़ने
के
लिए
पूरी
ताक़त
झोंक
देंगे।
पंजाब
में
कोई
भी
एक
दल
आसानी
से
सरकार
बनाने
की
स्थिती
में
नहीं
होगा।
इस
तरह
की
रणनीति
के
तहत
कैप्टन
और
शाह
सियासी
खेल
खेलेंगे।
कैप्टन और शाह की जोड़ी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ इस हफ्ते एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भाजपा और सहयोगी दलों के बीच पंजाब में चुनावी गठबंधन के कयास लगाए जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव के रण में अगर साथ उतरते हैं तो कहीं ना कहीं पंजाब में बने बनाए समीकरण बिगड़ सकतें है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद पंजाब को लेकर ये संकेत दिए हैं कि वहां भाजपा, कैप्टन और ढींढसा की पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हो सकता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कह दिया था कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
कृषि कानून वापस लेने के बाद बदले हालात
कृषि कानून वापस होने के बाद से भारतीय जनता पार्टी के लिए सियासी मैदान खुल चुका है। ऐसे में अमित शाह ने पंजाब के लिए सियासत का नया मैदान तैयार कर दिया है। इस तरह की रणनीति तैयार की जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी को अब किसानों का साथ मिल जाएगा। पंजाब में जिस तरह से पहले भाजपा को ग्रामीण इलाकों में घुसने तक की इजाज़त नहीं थी लेकिन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद से भाजपा के प्रती ग्रामीणों के रुख बदल रहे हैं। पंजाब में अब शहर और गांव दोनों जगहों में सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। पहले कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल, पंजाब के ग्रामीण इलाकों में अपना दावा ठोंक रहे थे, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी भी ग्रामीण इलाकों में पैठ बनाने में कामयाब होती हुई नज़र आ रही है।
सिसासी पारी खेलने के लिए कैप्टन तैयार
कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सियासी पारी खेलने के लिए कमर कस चुके हैं। जिस तरह से उन्होंने कांग्रेस से ख़फा होकर अपने पद से इस्तीफ़ा दिया और ये कहा कि मुझे कांग्रेस में अपमानित किया गया। इसके मद्देनज़र सियासी गलियारों में यह चर्चाएं ज़ोरों पर है कि भले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पॉवर में नहीं हैं लेकिन उनका तेवर बरक़रार हैं जिस तरह उन्होंने कांग्रेस को छोड़ा है अब वह कांग्रेस के लिए काफ़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस को वह बहुत ही क़रीब से जानते हैं और पार्टी की कमज़ोर कड़ी उन्हें पता है। इसी को आधार बनाते हुए वह पंजाब कांग्रेस की मुश्किले बढ़ा सकते हैं। क्योंकि भाजपा का कृषि कानून वापस लेना और कैप्टन का गठबंधन का ऐलान करना इन सबसे पंजाब के राजनीतिक हालात में काफ़ी बदलाव देखने को मिल रहा है। जो कहीं न कहीं विपक्षी दलों को मुद्दा वीहीन बना रहा है।
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