पंजाब: SAD से गठबंधन टूटने के बाद BJP का हिंदू आबादी वाली सीटों पर फ़ोकस, पढ़िए इनसाइड स्टोरी
पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल प्रचार प्रसार में जुट चुके हैं। वहीं BJP भी चुनावी प्रचार में पीछे नहीं है लगातार नई नई रणनीति तैयार कर अलग-अलग समुदाय के वोट बैंक को साधने की कोशिश में है।
चंडीगढ़:
सितंबर
8,
2021।
पंजाब
विधानसभा
चुनाव
को
देखते
हुए
सभी
राजनीतिक
दल
प्रचार
प्रसार
में
जुट
चुके
हैं।
वहीं
BJP
भी
चुनावी
प्रचार
में
पीछे
नहीं
है
लगातार
नई
नई
रणनीति
तैयार
कर
अलग-अलग
समुदाय
के
वोट
बैंक
को
साधने
की
कोशिश
में
है।
भले
ही
कृषि
कानूनों
की
वजह
से
किसानों
के
निशाने
पर
भारतीय
जनता
पार्टी
है
लेकिन
भाजपा
आगामी
विधानसभा
चुनाव
के
मद्देनज़र
कमर
कस
चुकी
है
और
लगातार
अभियान
चला
रही
है।
सियासी
रण
में
उतरने
की
तैयारी
शिरोमणि
अकाली
दल
के
साथ
गठबंधन
टूटने
के
बाद
भारतीय
जनता
पार्टी
(BJP)
पहली
बार
पंजाब
के
सियासी
रण
में
अकेले
उतरने
जा
रही
है।
इसकी
वजह
से
भाजपा
ने
भगवा
लहराने
का
खास
प्लान
बनाया
है।
BJP
ने
पंजाब
की
उन
सीटों
को
चुना
है
जहां
पर
हिंदू
और
दलित
आबादी
60
फीसद
से
ज़्यादा
है।
ग़ौरतलब
है
की
पंजाब
73
विधानसभा
सीटें
ऐसी
हैं
जहां
पर
हिंदू
और
दलित
वोटर
की
भूमिका
अहम
रहती
है।
इसलिए
भारतीय
जनता
पार्टी
इन्हीं
सीटों
पर
अपना
खास
ज़ोर
लगाने
जा
रही
है।
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हिंदू
आबादी
वाले
सीटों
पर
ज़ोर
BJP
इन
सीटों
पर
फोकस
करके
2022
के
चुनाव
में
बड़ा
दांव
खेलने
की
तैयारी
कर
रही
है।
फिलहाल
भारतीय
जनता
पार्टी
की
नज़र
उन
45
सीटों
पर
है
जहां
पर
हिंदू
आबादी
60
फीसद
से
ज़्यादा
है।
इसके
अलावा
28
ऐसी
सीटें
है
जहां
पर
हिंदू
और
दलित
की
आबादी
60
फीसद
से
ज़्यादा
है।
वहीं
इन
सीटों
पर
किसान
आंदोलन
का
कोई
खास
असर
भी
नहीं
है।
राजनीतिक
सलाहकारों
की
मानें
तो
यहां
की
बड़ी
आबादी
किसान
आंदोलन
की
वजह
से
पैदा
हुए
हालातों
से
नाराज़
चल
रही
है।
पंजाब चुनाव से पहले SAD में बग़ावत, बीबी मोहिंदर कौर ने आज़ाद चुनाव लड़ने का किया ऐलान
दलित
CM
बनाने
का
ऐलान
पंजाब
के
दलित
समुदाय
को
साधने
के
लिए
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
सरकार
आने
पर
दलित
मुख्यमंत्री
बनाने
का
ऐलान
भी
कर
चुकी
है।
यही
वजह
है
कि
BJP
दलित
आबादी
वाले
सीटों
पर
बेहतर
प्रदर्शन
करने
की
उम्मीद
कर
रही
है।
ग़ौरतलब
है
कि
पंजाब
में
हाल
ही
में
दलित
समुदाय
के
कई
नेताओं
ने
BJP
का
दामन
थामा
है।
साल
1996
से
BJP
और
SAD
साथ
मिलकर
चुनाव
लड़ती
आई
है।
117
सीटों
में
से
23
सीटों
पर
भारतीय
जनता
पार्टी
चुनाव
लड़ती
थी।
SAD
से
गठबंधन
टूटने
के
बाद
BJP
को
पूरे
पंजाब
चुनाव
लड़ने
का
जैकपॉट
हाथ
लग
गया
है।
इसलिए
भारतीय
जनता
पार्टी
उन
सीटों
पर
ख़ास
तवज्जोह
दे
रही
है
जहां
से
हिंदु
वोटो
को
अपने
खाते
में
लाकर
जीत
दर्ज
कर
सके।
कांग्रेस
को
मिला
है
फ़ायदा
पंजाब
की
सियासत
का
ये
इतिहास
रहा
है
कि
जब
भी
BJP
कमज़ोर
हुई
है।
उसका
फ़ायदा
कांग्रेस
को
मिला
है।
शिरोमणि
अकाली
दल
और
भारतीय
जनता
पार्टी
का
गठबंधन
टूटने
से
कांग्रेस
को
सियासी
फ़ायदा
होने
के
आसार
हैं।
पंजाब
में
कांग्रेस
और
बीजेपी
दोनों
के
राजनीतिक
आधार
हिंदू
वोटर्स
ही
हैं।
पंजाब
का
मालवा
इलाका
हिंदू
वोटों
का
गढ़
माना
जाता
है,
यहां
करीब
67
विधानसभा
सीटें
आती
हैं।
मालवा
से
भारतीय
जनता
पार्टी
की
वजह
से
शिरोमणि
अकाली
दल
को
फ़ायदा
पहुंचता
रहा
है।
अब
BJP
इन्हीं
सीटों
पर
अपना
फोकस
कर
रही
है।
किसान
संगठनों
के
विरोध
की
वजह
से
BJP
ग्रामीण
इलाकों
की
सीटों
पर
जनसंपर्क
नहीं
कर
पा
रही
है।
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