कौन है गुलशन यादव, जिन्होंने कुंडा में राजा भैया के सामने तोड़ा 29 साल का रिकॉर्ड
प्रतापगढ़, 11 मार्च: रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, प्रतापगढ़ की सियासत को पिछले तीन दशक से अपने हिसाब से चल रहे हैं। इस बार के हुए विधानसभा चुनाव में राजा भैया अपनी ही पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सिंबल पर कुंडा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और 7वीं बार जीत दर्ज कराई। राजा भैया ने अपने पुराने साथी और सपा प्रत्याशी गुलशन यादव को 30,418 वोटों से पराजित किया है। हालांकि, इस बार उनकी सियासी बादशाहत कम हो गई है, क्योंकि उन्होंने डेढ़ लाख वोटों से जीतने का वादा किया था। बता दें कि गुलशन यादव यह चुनाव भले हार गए हो, लेकिन राजा भैया के खिलाफ 29 सालों से चला आ रहा एक अनोखा रिकॉर्ड भी उन्होंने तोड़ दिया है। आइए जानते है कौन है गुलशन यादव और क्या है वो रिकॉर्ड जो 29 साल बाद टूटा है।
कौन हैं गुलशन यादव
गुलशन यादव का जन्म प्रतापगढ़ जिले के कुंडा के मऊदारा गांव में हुआ है। गुलशन के पिता का नाम सुंदर लाल यादव है और वो तीन भाई है। गुलशन का छोटा भाई छविनाथ यादव समाजवादी पार्टी के प्रतापगढ का जिला अध्यक्ष हैं। गुलशन यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत राजा भैया के सानिध्य में रहकर की थी। करीबी दो दशक पहले मायावती सरकार में राजा भैया पर पोटा लगा था, जिसके गवाह राजेंद्र यादव थे। राजेंद्र की हत्या कर दी गई, जिसके बाद गुलशन यादव चर्चाओं में आए थे और जेल गए थे। बता दें, गुलशन यादव को एक वक्त राजा भैया के बेहद करीबियों में गिना जाता था।
2 दशक बाद सपा ने कुंडा से उतारा प्रत्याशी
साल 1993 से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट से लगातार निर्दलीय विधायक चुने जाते आ रहे हैं और सपा-बीजेपी के सहयोग से मंत्री भी बनते रहे। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने पिछले ढाई दशक से कुंडा में राजा भैया के खिलाफ अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा। वो राजा भैया का समर्थन करती रही। लेकिन, इस बार सपा ने उनके खिलाफ अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार दिया है, जिससे राजा भैया के समक्ष चुनौती खड़ी हो गई थी। तो वहीं, कुंडा सीट से प्रत्याशी उतारने को लेकर चुनाव प्रचार के दौरान राजा भैया और अखिलेश यादव के बीच काफी तल्खियां भी देखने को मिली थीं।
राजा भैया का क्या है वो रिकॉर्ड जो 29 साल बाद टूटा
दरअसल, कुंडा विधानसभा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया साल 1993 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। राजा भैया के सामने विपक्षी पार्टियों के प्रत्याशी पिछले 29 सालों से अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। हालांकि इस बार सपा प्रत्याशी गुलशन यादव राजा भैया के सामने अपनी जमानत बचाने में कामियाब हुए, बल्कि उनका 29 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। राजा भैया ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया था, "कुंडा की यह परंपरा है जो भी कुंडा से उनके खिलाफ लड़ता है उसकी यहां कि जनता जमानत जब्त करा देती है। आप पिछले 6 चुनावों का इतिहास देखिए, आपको पता चल जाएगा।" हालांकि इस बार गुलशन यादव ने 35.19 फीसदी वोट पाकर अपनी जमानत बचा ली है।
कितने-कितने वोट मिले राजा भैया और गुलशन यादव को
10 मार्च की सुबह 8 बजे जब मतगणना शुरू हुई तो रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने बढ़त बना ली थी। जैस-जैस राउंड बढ़ते गए हार-जीत में वोटों का अंतर भी कम होता चल गया। 30वें राउंड में राजा भैया ने गुलशन यादव को 30,418 वोटों से पारजित कर दिया। राजा भैया को 99,261 वोट मिले। यानि कुल वोटों का 50.58 फीसदी मत मिला है। इसके मुकाबले सपा उम्मीदवार गुलशन यादव 69,297 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। बीजेपी उम्मीदवार सिंधुजा मिश्रा सेनानी 16,347 वोटों के साथ तीसरे और बसपा उम्मीदवार 3,3321 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे हैं।
कब जब्त होता है जमानत?
चुनाव आयोग के मुताबिक, जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है। जमानत जब्त होने पर उम्मीदवार की जमानत राशि को चुनाव आयोग रख लेता है, जिसे जमानत जब्त होना कहा जाता है। विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते है।
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