मोदी या नीतीश, बिहार चुनाव में किसे रुलायेगा प्याज?
पटना। एक तरफ शेयर बाजार, आये दिन गोते लगा रहा है, वहीं प्याज के दाम हैं, जो निरंतर ऊपर चढ़ते जा रहे हैं। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में शेयर मार्केट का बुल भाजपा को सींग मारे न मारे, लेकिन प्याज भारतीय जनता पार्टी को ढेर सारे आंसू दे सकता है। और हां नीतीश कुमार ये मत सोचें कि प्याज के छिलकों उनके लिये कवज का काम करेंगे।
हाल ही में भारतीय शेयर बाजार एक हजार अंक नीचे गिरा तो सोशल मीडिया पर एक चुटकुला वायरल हुआ, जिसमें एक गृहणी अपने पति को बेलन दिखाते हुए कह रही है, "मैंने कहा था प्याज में निवेश करो, तुम माने नहीं अब भुगतो"। इस चुटकुले को पढ़कर छोटी सी मुस्कुराहट आगे चलकर भाजपा के लिये उदासी बनने वाली है, क्योंकि जिस रफ्तार से चुनाव की डेट करीब आ रही है, उसी रफ्तार से प्याज, आलू, अरहर की दाल, मूंग की दाल, आदि के दाम बढ़ रहे हैं।
चलिये पहले देखते हैं राष्ट्रीय उद्यानकृषि बोर्ड के आंकड़े-
-
देश
में
सालाना
1.5
करोड़
टन
प्याज
की
खपत
होती
है।
-
हाल
ही
में
प्यज
के
दाम
1,325
रुपए
प्रति
कुंतल
से
बढ़कर
3,300
रुपए
प्रति
कंतल
हो
गये।
- प्याज के दाम में 150 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई, जबकि देश की लगभग हर रसोई में सबसे ज्यादा जरूरी प्याज है।
केंद्र सरकार के बहाने
-
केंद्र
सरकार
बहाने
बना
रही
है
कि
मॉनसून
में
अचानक
हुए
परिवर्तन
ने
खरीफ
की
फलस
को
बर्बाद
किया।
बेमौसम
बारिश
की
वजह
से
- प्याज की फसल देश के हर क्षेत्र में बर्बाद हो गई। जबकि प्याज के दामों के बढ़ने का सबसे ज्यादा कारण बिचौलिये हैं, जिन्होंने प्याज के स्टॉक गोदामों में भर लिये हैं। क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल प्याज की पैदावार लगभग उतनी ही हुई है।
प्याज बन जाती है पनौती
-
2013
में
प्याज
महंगा
हुआ
था,
जिसका
सीधा
असर
मनमोहन
सिंह
के
नेतृत्व
वाली
सरकार
पर
पड़ा
और
2014
में
यूपीए
को
करारी
हार
मिली।
-
नवम्बर
1998
में
केंद्र
में
भाजपा
थी।
प्याज
200
रुपये
प्रति
किलो
तक
बिका,
जिसके
बाद
मध्य
प्रदेश
विधान
सभा
चुनाव
में
एनडीए
को
मात्र
119
सीटें
मिलीं।
-
प्याज
के
कारण
ही
1999
में
राजस्थान
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
को
मात्र
33
सीटें
और
दिल्ली
विधानसभा
में
सिर्फ
15
सीटें
मिलीं।
-
सन्
2004
में
प्याज
150
रुपए
प्रति
किलो
में
बिका
जिसके
बाद
भाजपा
का
शाइनिंग
इण्डिया
का
नारा
धड़ाम
से
नीचे
गिरा।
- 2015 केंद्र में भाजपा है और प्याज के दाम फिर से उछाल मार रहे हैं, इस बार बिहार में मोदी लहर की साख दांव पर लगी है।
बिहार और प्याज
-
देश
में
सबसे
ज्यादा
प्याज
खाने
वाले
राज्यों
में
चौथे
नंबर
पर
बिहार
आता
है।
-
2005
में
यहां
प्याज
की
होलसेल
कीमत
390
रुपए
से
बढ़कर
1300
रुपए
तक
चली
गई
थी।
-
2010
में
यहां
प्याज
की
होलसेल
कीमत
570
रुपए
से
बढ़कर
1610
रुपए
तक
चली
गई
थी।
-
राजद,
जदयू,
कांग्रेस
जनता
से
जाकर
कह
रहे
हैं
कि
प्याज
के
दाम
बढ़ने
के
लिये
मोदी
सरकार
जिम्मेदार
हैं।
-
भाजपा
विरोधी
तत्व
बिहार
में
प्याज
को
बड़ा
मुद्दा
बनाकर
आगे
बढ़
रहे
हैं।
-
जिस
प्याज
को
आयात
किया
गया
है,
उसका
बहुत
थोड़ा
भाग
ही
बिहार
को
मिलेगा,
यानि
भाजपा
की
मुश्किल
कम
नहीं
होने
वाली।
-
मिंट
पत्रिका
ने
लिखा
है
इस
साल
बिहार
विधानभा
के
लिये
"Onionised
Elections"
होने
वाले
हैं।
- बिहार में 30.17 प्रतिशत जनता ऐसी है जो साक्षरता से कोसों दूर है, वो अपने जीवन में संकट का दोषी नीतीश कुमार को ही मानेंगे।
प्याज और ज्योतिष
लखनऊ के ज्योतिष पं. अनुज कुमार शुक्ल के अनुसार प्याज का कारक है मंगल ग्रह ज्योतिष में प्याज का कारक मंगल ग्रह है। जीभ के जिस हिस्से पर तीखेपन का अहसास होता है, वो हिस्सा मंगल के अधिकार क्षेत्र में आता है। मंगल स्वाद एंव तीखेपन का कारक है, इसलिए प्याज पर मंगल का अधिकार रहता है। शुक्र उत्तेजक व तामसी चीजों का कारक है और प्याज भी तामसी भोजन की श्रेणी में आता है। अतः प्याज मंगल एंव शुक्र के अधिकार क्षेत्र में आता है।
सेनापति मंगल के पास अधिकार, प्रभुता, धीरज एंव नेतृत्व आदि गुण होते हैं। जब मंगल कुपित होता है तो सेनापति अनिनियन्त्रित होकर अनाप-शनाप कार्य करता है, जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। जब जनता दुःखी व पीडि़त होती है तो उसकी वक्र दृष्टि राजा पर पड़ती है। यानि सत्ता पर आसीन व्यक्ति के जीवन पर सीधा असर पड़ता है। अब केंद्र में मोदी हैं और बिहार में नीतीश। इन्हीं दोनों पर असर पड़ सकता है। यानि मोदी फैक्टर की वजह से भाजपा को और नीतीश की वजह से महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस-सपा) को नुकसान झेलना पड़ सकता है।