पाकिस्तान: जिनपिंग के खास BRI, CPEC प्रोजेक्ट्स पर खतरा, बलूच लड़ाकों के हमले से डरा हुआ है चीन!
इस्लामाबाद।
पाकिस्तान
के
बलूचिस्तान
प्रांत
में
जारी
चीन
के
राष्ट्रपति
शी
जिनपिंग
के
फेवरिट
प्रोजेक्ट्स
खतरे
में
आ
गए
हैं।
यहां
पर
बलूचिस्तान
की
आजादी
की
मांग
कर
रहे
लड़ाकों
की
तरफ
से
लगातार
बेल्ट
एंड
रोड
प्रोजेक्ट्स
(बीआरआई)
जिसमें
चीन-पाकिस्तान
इकोनॉमिक
कॉरिडोर
भी
शामिल
है
(सीपीईसी),
उन्हें
निशाना
बनाया
जा
रहा
है।
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
बीआरआई
और
सीपीईसी
पर
हमलों
में
तेजी
से
इजाफा
हुआ
है।
इसके
अलावा
अरब
सागर
पर
स्थित
ग्वादर
पोर्ट
भी
अब
पाकिस्तान
और
ईरान
के
बीच
बढ़
रहे
तनाव
की
वजह
से
मुश्किलों
में
आ
गया
है।
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60 बिलियन डॉलर का CPEC प्रोजेक्ट
हांगकांग से निकलने वाले अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की तरफ से कहा गया है कि सीपीईसी जो कि बलूचिस्तान प्रांत में है, उस पर अलगाववादियों की तरफ से हो रहे हमलों की वजह से सुरक्षा का खतरा मंडरा रहा है। यह प्रोजेक्ट करीब 60 बिलियन डॉलर का है। अखबार ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया है कि इसी बलूचिस्तान प्रांत में चीन की ओर से संचालित हो रहा ग्वादर बंदरगाह भी स्थित है। बीआरआई का मकसद दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को सड़क और समुद्र मार्ग से आपस में जोड़ना है। सीपीईसी, जिनपिंग के महत्वाकांक्षी बीआरआई का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट है। अखबार का कहना है कि मई से अब तक तीन बार बलूचिस्तान के आतंकी सुरक्षा में तैनात पाकिस्तानी सेना को निशाना बना चुके हैं। 14 जुलाई को भी आतंकियों ने गश्त में लगे जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी थी।
पाकिस्तान सेना के जवानों को बना रहे निशाना
अखबार के मुताबिक इसमें तीन सैनिक मारे गए तो आठ घायल हो गए थे जिसमें एक कर्नल भी शामिल थे। अखबार के मुताबिक बलूच संगठनों ने हाल ही में अपनी गतिविधियों को पड़ोस में सिंध और इसकी प्रांतीय राजधानी कराची तक बढ़ा दिया है। सिंध पर चीन का बहुत कुछ दांव पर लगा है क्योंकि वह बलूचिस्तान के उस हिस्से में है जहां संसाधनों की भरपूर मात्रा है। चीन की सरकार कंपनी कराची बंदरगाह पर कंटेनर टर्मिनल्स को ऑपरेट करती है। अब यहां पर चीनी कंपनियों ने न्यूक्लियर और कोल प्रोजेक्ट्स में भारी निवेश किया है। ये दोनों प्रोजेक्ट्स सीपीईसी में ही हैं और स्थानीय कंपनियों के साथ अनुबंध के तहत इन पर काम जारी है।
बलूच लड़ाके आगे क्या करेंगे कुछ नहीं मालूम
कराची स्टॉक एक्सचेंज पर 29 जून को आतंकी हमला हुआ था और चार आतंकियों को पुलिस कमांडोज ने मारा दिया था। स्टॉक एक्सचेंज में 40 प्रतिशत हिस्सा तीन चीनी एक्सचेंज का है। अखबार ने लिखा है, 'बलूच आतंकी न सिर्फ अपने हमलों में तेजी ला रहे हैं बल्कि अब उन्होंने बलूचिस्तान के बाहर भी अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज के डायरेक्टर मोहम्मद आमिर राणा कहते हैं कि इस बात का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है कि यह ट्रेंड आगे कब तक जारी रहेगा। उनका कहना है कि बलूच आंतकी संगठनों का इतिहास रहा है कि वह कम तीव्रता वाले हमलों में यकीन रखते हैं। जबकि उनकी तरफ से हाई तीव्रता वाले हमले ज्यादा कुछ हफ्तों तक जारी रहते।
13,700 जवान चीनी नागरिकों की सुरक्षा में
राणा का कहना है कि चीनी कर्मी पूरी तरह से सुरक्षित हैं और उनकी रक्षा में 13,700 जवानों वाली स्पेशल सिक्योरिटी डिविजन तैनात है। इस डिविजन को टू स्टार पाकिस्तानी जनरल लीड कर रहा है। बलूचिस्तान के कई हिस्सों में अब पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। यहां के लोगों ने पाकिस्तान आर्मी पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगाया है। इस वजह से अब चीन का ग्वादर पोर्ट और कराची तक जाने वाला हाइवे भी खतरे में आ गया है। ग्वादर बंदरगाह अभी पूरी तरह से संचालित नहीं है और हाल ही में यहां से अफगानिस्तान की कुछ कार्गो शिप्स गई हैं। ग्वादर में पानी की कमी है और यहां पर बिजली की भी खासी समस्या है।