कुछ ही सालों में पाकिस्तान से गायब हो जाएंगे सिख! 75 साल पहले 20 लाख थी आबादी, अब मात्र इतने रह गए
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि के मुताबिक पाकिस्तान में लगभग 15-20 हजार सिख बचे हैं।
इस्लामाबाद, 31 मईः इस्लामिक संगठनों ने टार्गेटेड हत्याओं, अपहरणों, और जबरन धर्मांतरण के माध्यम से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए एक असहनीय वातावरण बना दिया है। पाकिस्तान में सिख समुदाय लगातार भेदभाव को झेल रहा है। सिखों पर हमला एक नियमित मामला बन चुका है और इससे पाकिस्तान में रहने वाले सिख डर के साये में जी रहे हैं।
हाल ही में दो सिखों की हत्या हुई
एशियन लाइट इंटरनेशनल के मुताबिक हाल ही में 15 मई को खैबर पख्तून प्रांत के बाहरी इलाके में दो सिख व्यापारियों की हत्या कर दी गई। 2014 के बाद से यह बारहवीं घटना थी जब चरमपंथियों ने सिख समुदाय के किसी व्यक्ति को निशाना बनाया। पिछले साल भी सितंबर महीने में एक सिख यूनानी चिकित्सक सतनाम सिंह को पेशावर स्थिक उनके घर में गोली मार दी गई थी।
मानवाधिकार आयोग ने की निंदा
पाकिस्तान
के
मानवाधिकार
आयोग
ने
भी
हत्याओं
की
कड़ी
निंदा
की
और
कहा
कि
यह
पहली
बार
नहीं
है
जब
यहां
सिख
समुदाय
को
निशाना
बनाया
गया
है।
कनाडा
के
विश्व
सिख
संगठन
ने
भी
पेशावर
हत्याओं
की
निंदा
की
और
पाकिस्तान
के
सिख
समुदाय
की
सुरक्षा
के
लिए
गहरी
चिंता
व्यक्त
की।
खैबरपख्तून
इलाके
में
अधिकांश
सिख
आर्थिक
रूप
से
कमजोर
पृष्ठभूमि
से
आते
हैं।
इनका
मुख्य
पेशा
किराने
की
दुकान
चलाना
या
हकीम
का
काम
करना
है।
पाकिस्तान में सिकुड़ रही सिखों की आबादी
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि के मुताबिक पाकिस्तान में लगभग 15-20 हजार सिख बचे हैं। पेशावर जहां सिख समुदाय की बड़ी आबादी रहा करती थी वहां अब मात्र 500 सिख परिवार बचे हैं। 1947 में भारत विभाजन के समय पाकिस्तान में 20 लाख से ज्यादा सिख रहते थे। लाहौर, रावलपिंडी और फैसलाबाद जैसे बड़े शहरों में सिख समुदाय की बड़ी संख्या में आबादी रहती थी। लेकिन आजादी के 75 साल बाद सिख समुदाय की आबादी बढ़ने के बजाय घटती ही जा रही है।
सिखों को जनगणना में नहीं किया गया शामिल
पाकिस्तान
में
सिखों
की
आबादी
के
लेकर
कहीं
भी
स्पष्ट
आंकड़ा
नहीं
है।
गौरतलब
है
कि
सिखों
को
2017
की
जनगणना
में
शामिल
नहीं
किया
गया
था
इसलिए
उनके
बारे
में
कोई
वास्तविक
आंकड़ा
नहीं
है।
अमरीकी
गृह
विभाग
सहित
अन्य
स्रोतों
का
दावा
है
कि
पाकिस्तान
में
रहने
वाले
सिखों
की
आबादी
20
हजार
है।
मगर
लोगों
का
कहना
है
कि
पिछले
2
दशकों
के
भीतर
इस
समुदाय
का
आकार
बेहद
सिकुड़
कर
रह
गया
है।
जहां
2002
में
यह
गिनती
करीब
50
हजार
थी
अब
यह
मात्र
8
हजार
रह
गई
है।
सिख समुदाय के अधिकारों में गिरावट
अदालतों
के
आदेशों
और
सरकारी
भरोसे
के
बावजूद
आंकड़े
ब्यूरो
ने
पाकिस्तान
में
रहने
वाले
सिखों
की
गिनती
जारी
नहीं
की
है।
चूंकि
पाकिस्तान
में
सिखों
की
गिनती
कम
हो
गई
है
इस
कारण
इस
समुदाय
के
अधिकारों
में
भी
गिरावट
पाई
गई
है।
अलग पहचान भी एक बड़ी समस्या
एक अलग पहचान होने के कारण सिख समुदाय को बड़ी से बड़ी चुनौती पेश आती है। पाकिस्तान में सिखों को जल्द ही पहचान लिया जाता है क्योंकि वह दाढ़ी बढ़ाकर रखते हैं और ऊंची पगडिय़ां पहनते हैं इस वजह से वह मुसलमानों से अलग दिखाई पड़ते हैं।
सिखों के साथ हो रहा भेदभाव
हिंसा झेलने के अलावा सिख समुदाय को पगड़ी और कड़ा पहनने के कारण भी प्रताड़ना झेलनी पड़ी है। लगातार भेदभाव के कारण सिख समुदाय लगभग अपंग हो चुका है। दस्तार, कड़ा, कृपाण पहनने में भी उनको डर लगता है। सिखों के साथ भेदभाव इतना ज्यादा हो चला है कि गुरुद्वारों को जबरन बंद करवा दिया गया है। पाकिस्तान के सिखों को भी शायद यह अंदाजा हो चुका है कि उनकी स्थिति अब कभी ठीक होने वाली नहीं है।