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पाकिस्तान: सेना और सरकार में तनाव, रेंजर्स ने छोड़ी संसद की सुरक्षा

पाकिस्तान की संसद की सुरक्षा में तैनात पैरामिलिट्री के रेंजर्स ने बुधवार को अचानक से संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी छोड़ दी और वहां से हट गए।

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सबकुछ ठीक नहीं है। एक बार फिर से सेना और सरकार के बीच का विवाद खुलकर सामने आ गया है। हमेशा से पाकिस्तान की राजनीति पर दबदबा बनाकर रखने वाली पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर से सरकार पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान की संसद की सुरक्षा में तैनात पैरामिलिट्री के रेंजर्स ने बुधवार को अचानक से संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी छोड़ दी और वहां से हट गए। पाकिस्तान के गृहमंत्री आशन इकबाल और पैरामिलिट्री के बीच हुए विवाद के बाद अचानक से रेंजर्स संसद की सुरक्षा से हट गए। संसद को सुरक्षा में तैनात रेंजर्स ने बिना कोई कारण बताए अपने सुरक्षाकर्मियों को वापस बुला लिया। सेना के इस फैसले को लेकर गृहमंत्री आशन इकबाल ने कहा कि मिलिट्री का ये फैसला चौंकाने वाला था। उन्होंने इस अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही।

pak army

सेना-सरकार के बीच विवाद

वहीं इसे लेकर रेंजर्स की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई है। रेंजर्स के पीछे हटने के बाद फ्रंटियर कॉन्स्टेबुलरी के जवानों को संसद की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। आपको बता दें कि सेना और सरकार के बीच नाराजगी का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले रेंजर्स ने पाकिस्तान के गृहमंत्री आशन इकबाल को कोर्ट परिसर में घुसने से रोक दिया था। इस बात से नाराज इकबाल ने इस्तीफे की धमकी दी थी। इससे पहले जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को अयोग्य ठहराया था तो उन्होंने भी इसे अपने साजिश करार दिया था, उनका इशारा भी सेना की ओर था। पाकिस्तानी मामलों के जानकार इसे सेना और सिविलियन के बीच के सब कुछ टीक नहीं है। जानकारों के मुताबिक सेना का इस तरह बिना किसी कारण बताए संसद की सुरक्षा से पीछे हटना दर्शाता है कि सेना और सरकार के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। हालांकि पाकिस्तान का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि पाकिस्तान की राजनीति पर हमेशा से सेना का दबदबा रहा है।

सेना का दबदबा

पाकिस्तानी की आजादी के बाद 33 सालों तक वहां सेना का शासन रहा। 2008 में जब पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार चुनी गई तो उसके बाद भी सेना ने हमेशा से सरकार पर अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश की, जिसे लेकर कई बार विवाद हुए। साल 2011 के मेमोगेट विवाद को लेकर पाकिस्तान में तख्तापलट तक की नौबत आ गई। उस वक्त के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और सेना के बीच आर-पार की स्थिति बन गई थी। फिर नवाज शरीफ के शासन काल में भी सेना प्रमुख रहे जनरल राहील शरीफ के बीच विवाद हुआ। पाकिस्तान की इस बार की स्थिति पर अमेरिका की निगाहें टिकी हुई है।

English summary
An unexplained dispute between Pakistan's interior minister and an elite paramilitary unit under his command is adding to political confusion in Islamabad, prompting questions about a rift in ties between civilian leaders and the powerful military.
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