लाहौर से अगवा पाकिस्तानी जर्नलिस्ट गुल बुखारी सुरक्षित घर लौटी, सेना की आलोचक हैं
पाकिस्तान के लाहौर से अगवा पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गुल बुखारी सुरक्षित अपने घर लौट आई हैं। मंगलवार रात को उनका अपहरण किया गया था। उनके परिवार की ओर से यह जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक बुखारी अपने घर से वक्त टीवी के स्टूडियो जाने के लिए निकली थीं।
लाहौर। पाकिस्तान के लाहौर से अगवा पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गुल बुखारी सुरक्षित अपने घर लौट आई हैं। मंगलवार रात को उनका अपहरण किया गया था। उनके परिवार की ओर से यह जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक बुखारी अपने घर से वक्त टीवी के स्टूडियो जाने के लिए निकली थीं जो कि फातिमा जिन्ना रोड पर है उसी समय कुछ अज्ञात लोगों ने उनका अपहरण कर लिया था। बुखारी टॉक शो के लिए जा रही थीं जब उनकी गाड़ी को रोक लिया गया। इसके बाद उन्हें लाहौर के कैंट इलाके में स्थित शेरपाओ ब्रिज से अगवा कर लिया गया। उनके परिवार की ओर से उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
पंजाब पुलिस ने क्या कहा
पंजाब पुलिस का कहना है कि बुखारी को उनके जवानों ने हिरासत में नहीं लिया था। बुखारी के इस तरह से अपहरण पर दुनिया भर में पत्रकारों के लिए काम कर रही संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने चिंता जाहिर की और फिर उनकी सुरक्षित वापसी के लिए पुलिस को कॉल किया। जैसे ही पत्रकारों ने बुखारी के गायब होने के बारे में पोस्ट करना शुरू किया, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता मरियम नवाज ने ट्विटर पर आकर चिंता जाकहर की। वक्त टीवी के एक और जर्नलिस्ट के मुताबिक बुखारी स्टूडियो की तरफ आ रही थी जब अज्ञात लोगों ने उनकी गाड़ी रोककर उन्हें गाड़ी से बाहर आने को कहा।
कौन हैं गुल बुखारी
बुखारी, पाकिस्तानी सेना की मुखर आलोचकों में से एक हैं। वह पाकिस्तान के कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ काम कर चुकी हैं। वर्तमान समय में वह द नेशन के लिए बतौर ओपिनियन एडीटर काम करती है। अपहरण के समय वह वक्त टीवी के शो 2vs2 में एक एनालिस्ट के तौर पर हिस्सा लेने जा रही थीं। पाकिस्तान में चुनावों से पहले फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और प्रेस की सेंसरशिप को लेकर चिंता जताई गई है। हाल के कुछ माह में जंग ग्रुप के जीओ टीवी का प्रसारण कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार के जिम्मा संभालने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने कहा था कि उनकी सरकार सेंसरशिप में यकीन नहीं करती है लेकिन मीडिया को सेल्फ-रेगुलेशन पर ध्यान देना होगा।