Pakistan Election 2018: चीन को इमरान खान से हैं कितनी उम्मीदें और क्या जिनपिंग की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे नए कैप्टन
बीजिंग। चीन ने पाकिस्तान में हुए आम चुनावों की तारीफ की है और कहा है कि बीजिंग नई सरकार के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को एक रूटीन मीडिया कांफ्रेंस में पाकिस्तान के बारे में कई बातें कही गई हैं। पाकिस्तान के चुनावों और यहां पर बनने वाली नई सरकार पर चीन की भी नजरें हैं। चीन ने पाक में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) पर बिलियन डॉलर की रकम इनवेस्ट की है। चीन हमेशा से ही पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के चेयरमैन और अब पाकिस्तान के नए पीएम इन वेटिंग इमरान खान को लेकर आशंकित रहा है। जैसे ही पीटीआई चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई और इमरान का नाम अगले पीएम के तौर पर सामने आया, चीनी मीडिया हरकत में आ गई।
सीपीईसी पर नई सरकार और चीन की नजरें
चीन के अखबार साउथ चाइना पोस्ट में टॉम हुसैन लिखते हैं कि अंपायर इमरान की साइड पर और फील्ड भी इमरान के मुताबिक सेट की गई थी। इमरान खान और सत्ता के बीच बहुत ही कम लोग थे और चीन ने भी मौका नहीं गंवाया। अखबार के मुताबिक चीन, पाकिस्तान का सदाबहार साथी रहा है और वह इमरान की हर फैसले के लिए तैयार हो रहा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ल्यू लूलू ने लिखा है सीपीईसी के तहत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के बाद पश्चिमी देशों के बीच इस बात की आशंका थी कि चीन कर्ज के लिए एक तरह का जाल बिछा रहा है। आशंकाओं से परे अब चीन चाहेगा कि पाक की नई सरकार इस प्रोजेक्ट पर पूरे जी-जान से जुट जाए। कई तरह की आशंकाओं को जन्म दिया है।
इमरान की वजह से टला था जिनपिंग का दौरा
चीन कभी इस बात को नहीं भूला सकता है कि अगस्त 2014 में इमरान खान ने इस्लामाबाद कि पांच माह तक सरकार के खिलाफ कितने बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। इस विरोध प्रदर्शन की वजह से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना पापकिस्तान का दौरा एक वर्ष तक के लिए टालना पड़ गया था। उस समय जिनपिंग पाकिस्तान जाकर सीपीईसी के उस मास्टर प्लान को सामने लाना चाहते थे जिसके तहत शिनजियांग को अरब सागर से जोड़ा जाना था। तब से ही चीनी डिप्लामैट्स पीटीआई के साथ लॉबिंग में लगे थे लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी थी। सीपीईसी के मास्टर प्लान को फिर साल 2015 में उस समय सामने लाया गया, जब खैबर पख्तूनख्वा प्रांत को नजरअंदाज करने के आरोप लगे। इस प्रांत में इमरान की पार्टी गठबंधन की वजह से सत्ता में थी। पीटीआई के कार्यकर्ताओं ने सवाल करने शुरू कर दिए थे कि क्या सीपीईसी पाकिस्तान में आज के समय की ईस्ट इंडिया कपंनी है जिसने भारत पर 19वीं सदी में राज किया था।