सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे की खबर से रालोद नेताओं की नींद उड़ी
Uttar pradesh politics news, नोएडा। लोकसभा चुनाव के लिए महागबंधन को लेकर चल रही कवायद के इन दिनों सपा और बसपा के बीच हुए सीटों के बंटवारे की खबर ने राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा दी है। अब रालोद नेता अपने मुखिया के इस बारे में फैसले का इंतजार कर रहे हैं। एक दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच हुई बैठक के बाद दोनों ही दलों के बीच 37-37 सींटों के बंटवारे की बात सामने आयी है। हालांकि, इसकी अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
कैराना
सीट
रालोद
की
तबस्सुम
ने
जीती
लोकसभा
2019
के
चुनाव
में
रालोद
को
अपनी
पहचान
बनाए
रखने
के
लिए
इस
चुनाव
में
अपने
प्रत्याशियों
को
जीत
दिलाना
कड़ी
चुनौती
है।
हाल
ही
में
कैराना
सीट
पर
हुए
उपचुनाव
के
बाद
यहां
से
रालोद
प्रत्याशी
तबस्सुम
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
इस
जीत
के
बाद
यूपी
में
अपनी
जमीन
खो
चुकी
रालोद
को
एक
संजीवनी
मिली
थी।
हालांकि,
तबस्सुम
यह
जीत
तब
दर्ज
कर
सकी,
जब
इस
सीट
पर
बसपा,
सपा
और
कांग्रेस
का
कोई
प्रत्याशी
खड़ा
नहीं
हुआ।
क्यों
रालोद
नेताओं
की
नींद
उड़ी?
लोकसभा
उपचुनाव
में
मिली
जीत
के
बाद
ही
विपक्षी
दलों
ने
भाजपा
के
खिलाफ
गठबंधन
के
प्रत्याशी
उतारने
की
बात
कही
थी।
ऐसे
में
अब
जब
यूपी
में
बसपा
और
सपा
के
बीच
37-37
सीटों
के
तालमेल
की
बात
सामने
आ
रही
है,
तो
इस
बंटवारे
से
रालोद
नेताओं
की
नींद
उड़
गई
है।
सूत्रों
के
मुताबिक,
सपा
और
बसपा
के
बीच
हुए
सीटों
के
तालमेल
के
बाद
रालोद
को
केवल
मथुरा
और
बागपत
लोकसभा
सीट
दिये
जाने
की
बात
कही
जा
रही
है।
ऐसे
में
केवल
दो
सीटों
पर
रालोद
अपना
प्रत्याशी
स्वीकार
नहीं
करेगी।
सूत्रों की मानें तो इस बार रालोद बागपत, कैराना के अलावा मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मथुरा के अलावा ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करेगी जहां मुस्लिम और जाट समीकरण अधिक हावी होता हो। अब देखना यही है कि सपा और बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जो खबर चर्चा में हैं उसके बाद रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह अपनी क्या प्रतिक्रिया देते हैं। स्थानीय रालोद नेताओं का कहना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में रालोद बड़ी भूमिका में होगी। अभी जो बात सीटों को लेकर सामने आ रही है वह सही नहीं है। इस संबंध में चौधरी अजित सिंह से कोई बात किये बिना सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता।
वहीं, दूसरी ओर राजनीतिक मामलों के जानकारी शीलेंद्र कुमार का कहना है कि अभी महागठबंधन में कोई तालमेल नहीं दिख रहा है। जब तक इस मामले में अधिकारिक घोषणा नहीं हो जाती तब तक महागठबंधन की बात बेमानी होगी। वैसे भी चुनाव आने तक अभी कई तरह की बातें सामने आएंगी। रालोद को यदि अपना खोया वजूद वेस्ट यूपी में वापस पाना है तो वेस्ट यूपी की कम से कम पांच सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर उन्हें को जीत दिलानी होगी। हालांकि बीजेपी की ओर से जाट नेता चौधरी अजित सिंह की राह का रोडा बने हुए हैं। वेस्ट यूपी में भाजपा के पास भी अब जाट नेताओं की बड़ी संख्या है।
बागपत सांसद सतपाल सिंह जाट बिरादरी से हैं। उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया है। इससे पहले डा. संजीव बालियान जो कि मुजफ्फरनगर से सांसद है उन्हें केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया था बाद में उनके स्थान पर ही सतपाल सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया। दोनों ही नेताओं की जाट बिरादरी पर वर्तमान में अच्छी पकड़ है। यही कारण है कि चौधरी अजित सिंह को मुजफ्फरनगर दंगे के बाद नाराज चल रही अपनी ही बिरादरी को मनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।