रावण के पैतृक गांव बिसरख में घर-घर जलाए जाएंगे दीप, राम मंदिर निर्माण की नींव में डलेगी गांव की मिट्टी
नोएडा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब से कुछ ही देर में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण की नींव रखेंगे। मंदिर निर्माण की नींव रखने के साथ ही लंकापति रावण के पैतृक गांव बिसरख में जश्न होगा। जी हां, इस गांव में यह पहला अवसर होगा, जब राम के नाम पर कोई उत्सव होगा। दरअसल, नोएडा के बिसरख क्षेत्र की पहचान रावण के पैतृक गांव के रूप में होती है। यही वजह है कि इस गांव में राम का नहीं, बल्कि रावण का एक विशाल मंदिर है, जहां आज भी रावण की पूजा की जाती है। गांव वालों की याद्दाश्त में यह पहला मौका होगा, जब गांव वाले राम के नाम पर कोई उत्सव मनाने जा रहे हैं।
राम मंदिर भूमि पूजन में महकेगी बिसरख की मिट्टी की खुशबू
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए बुधवार को होने जा रहे भूमि पूजन में रावण के पैतृक गांव बिसरख की मिट्टी की खुशबू भी महकेगी। हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य अशोकानंद महाराज ने बताया कि भूमि पूजन के लिए बिसरख स्थित रावण के मंदिर से मिट्टी अयोध्या भेजी गई है। वर्षों इंतजार के बाद पांच अगस्त को राम मंदिर के निर्माण को भूमि पूजन होने जा रहा है। इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरे देश से धार्मिक स्थलों की मिट्टी एकत्र की जा रही है। धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थानों की मिट्टी अयोध्या में राममंदिर निर्माण में प्रवाहित की जाएगी।
भूमि पूजन में किया जाएगा पवित्र स्थलों की मिट्टी और जल का प्रयोग
बताया जा रहा है कि अयोध्या में भूमि पूजन में देशभर के करीब आठ हजार पवित्र स्थलों से मिट्टी व जल का उपयोग किया जाएगा। बिसरख से श्रद्धालुओं ने मिट्टी का कलश लेकर कूच किया। इससे पहले मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मिट्टी को कलश में रखा। साथ ही मिट्टी की पूजा-अर्चना की गई।
नहीं मनाया जाता दशहरा और न ही रामलीला का होता मंचन
ऐसी मान्यता है कि रावण का जन्म गौतमबुद्धनगर जिले में स्थित बिसरख गांव में ही हुआ था। रावण के भाई कुबेर, कुम्भकर्ण और विभीषण भी यहीं पर जन्मे थे। इस गांव में कभी दशहरा नहीं मनाया जाता और न ही रामलीला का मंचन होता है लेकिन इस बार अयोध्या में रामलला के मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन के साथ ही यहां पर भी कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। रावण के मंदिर के महंत श्रीश्री 108 रामदास जी महाराज ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि राम और रावण अलग नहीं हैं, और दोनों ही एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। रावण और राम की पहचान दोनों के मध्य हुए युद्ध से ही हुई और दोनों को ही इसके परिणाम पहले से पता थे। इसलिए राम और रावण दोनों ही आराध्य हैं।
रावण द्वारा स्थापित है अष्टभुजी शिवलिंग
मंदिर के महंत रामदास के अनुसार वेद पुराणों में ऋषि विश्रवा की तपोस्थली को शिव नगरी कहा जाता है। बिसरख धाम में रावण द्वारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग विराजित है जो विश्व में दूसरा कहीं नहीं है। बाल्यकाल से ही शिव भक्त रावण ने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली की रचना भी की। खास बात यह है कि जिस मंदिर में यह शिवलिंग स्थापित है, वहां पौराणिक काल की मूर्तियां बनी हुई हैं। गांव में विभिन्न स्थानों पर खुदाई में 25 से ज्यादा शिवलिंग निकल चुके हैं।