तीन सगी बहनों ने पास की UPSC परीक्षा, 2 IAS व तीसरी बनी IRS, अफसरों वाले परिवार की सक्सेस स्टोरी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की फरीदपुर तहसील के नबदिया अशोक के चंद्रसेन सागर और मीना देवी के घर में जुलाई 1981 की शाम को पहली संतान के रूप में बेटी जन्मी। नाम रखा अर्जित सागर। फिर वक्त बीता और देखते ही देखते पांच बेटियां पैदा हो गईं। छठे नंबर पर बेटा हुआ। पांच बेटियों की पढ़ाई को लेकर अक्सर लोग ताने भी मारा करते थे कि इनको पढ़ा-लिखाकर कौनसा आईएएस बना दोगे?
लोग मारते रहे ताने, बेटियां बन गईं अफसर
इत्तेफाक तो देखिए लोगों के वो 'ताने' हकीकत बन गए। चंद्रसेन की पांच में से तीन बेटियों ने यूपीएससी परीक्षा पास करके इतिहास रच दिया। दो बेटियां आईएएस व तीसरी बेटी आईआरएस अधिकारी गई जबकि दो अन्य बेटियां इंजीनियर हैं। बेटी दामाद को मिलाकर इनके परिवार में दो आईएएस, दो आईआरएस व एक आईपीएस है। संभवतया यह यूपी का पहला परिवार है, जिसकी तीन बेटियों ने यूपीएससी एग्जाम पास किया है।
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पांचों बेटियों पर चंद्रसेन सागर को गर्व
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में चंद्रसेन सागर बताते हैं कि 'मैं वो खुशनसीब पिता हूं, जिसकी पांचों बेटियां काबिल हैं। बड़े भाई सियाराम सागर फरीदपुर से विधायक रहे थे। मैं खुद दस साल तक भुता बरेली ब्लॉक प्रमुख रहा हूं। कभी हमारा परिवार राजनेताओं के तौर पर जाना जाता था, मगर अब लोग गर्व से इसे अफसर बेटियों वाला परिवार कहते हैं। पांचों बेटियों ने मेरी सोच से भी एक कदम बढ़कर सफलता हासिल की है। मैंने और पत्नी मीना ने कभी भी बेटियों को बोझ नहीं समझा था। शायद हमारी इसी सोच से बेटियों को पढ़ने लिखने का भरपूर अवसर मिला और वे अपनी मेहनत से अफसर बन गईं।
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अर्जित सागर, आईआरएस, यूपीएससी 2009
सबसे पहले बात करते हैं चंद्रसेन सागर की बड़ी बेटी अर्जित सागर की, जिसने वर्ष 2009 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की। 688वीं रैंक होने की वजह से आईआरएस मिला। वर्तमान में अर्जित सागर ज्वाइंट कमिश्नर कस्टम मुम्बई में पोस्टेड हैं। अर्जित की शादी आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के सुरेश मेरुगु से हुई है। वो भी आईआरएस हैं।
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अर्पित सागर, आईएएस, यूपीएससी 2015
चंद्रसेन कहते हैं कि पांचों बेटियां बचपन से ही होनहार थीं। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान बड़ी बेटी की मेहनत देखकर लगता था वो आईएएस बनेगी, मगर उसे आईआरएस मिला। आईएएस बेटी का पिता बनने का गौरव छह साल बाद वर्ष 2015 में दूसरे नंबर की बेटी अर्पित सागर ने दिया। अर्पित भी दूसरे प्रयास में सफल हुई थी। गुजरात कैडर की आईएएस अर्पित वर्तमान में बलसाड में डीडीओ तैनात हैं। अर्पित की शादी भिलाई छत्तीसगढ़ के बैंककर्मी विपुल तिवारी से हुई है।
अंशिका व अंकिता सागर, ग्राफिक इंजीनियर
तीसरे नंबर की बेटी अंशिका सागर व चौथे नम्बर की बेटी अंकिता सागर ग्राफिक इंजीनियर हैं। मुम्बई व नोएडा में प्राइवेट जॉब कर रही हैं। अंकिता ने बदायु यूपी के ग्राफिक इंजीनियर गौरव असोलिया से शादी की है। अंशिका अभी अविवाहित है। बेटा अमिश सागर फिल्म डायरेक्टर है। फिल्म मलंग में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुके हैं।
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आकृति सागर, आईएएस, यूपीएससी 2016
सबसे छोटी व पांचवीं बेटी आकृति सागर बड़ी बहनों के नक्शे कदम पर चली और यूपीएससी की राह पकड़ी। वर्ष 2016 में आकृति सागर ने भी अपने दूसरे प्रयास में कामयाबी हासिल कर ली। वर्तमान में आईएएस आकृति सागर दिल्ली जल बोर्ड की डायरेक्टर के रूप में सेवाएं दे रही हैं। आकृति सागर की शादी आईपीएस सुधांशु धामा से हुई है। ये बागपत यूपी के रहने वाले हैं। वर्तमान में दिल्ली में पोस्टेड हैं।
आईपीएस मामा से मिली प्रेरणा
चंद्रसेन की बेटियों को यूपीएससी की तैयारी करके अफसर बनने की प्रेरणा अपने मामा से मिली। इनके मामा अनिल कुमार वर्ष 1995 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी थे। सागर बहनों का बचपन से ही ख्वाब था कि उन्हें भी मामा की तरह बड़ा अफसर बनना है। यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों में मामा अनिल कुमार ने इन्हें काफी गाइड किया।
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मां छह सात माह दिल्ली में रहती थीं साथ
चंद्रसेन सागर की बेटियों के अफसर बनने में उनकी कड़ी मेहनत के साथ-साथ मां मीना देवी का भी काफी योगदान है। सभी बेटियों की शुरुआती पढ़ाई बरेली के सेंट मारिया कॉलेज से हुई थी। फिर आगे की पढ़ाई उत्तराखंड, इलाहबाद व दिल्ली से पूरी की। तीनों बहनों ने दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की। बेटी को यूपीएससी की तैयारी में सहूलियत के लिए पिता ने बैंक से लोन लेकर एक फ्लैट तक खरीद लिया था। तीनों बेटियां यूपीएससी की तैयारी करती थीं तब मां मीना देवी प्रारम्भिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार से दो माह पहले दिल्ली आकर बेटी के पास रहने लगती थीं ताकि उसे तैयारी में दिक्कत नहीं हो।
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मुझे पेश करना था उदाहरण
आईआरएस अर्जित कहती हैं कि मैं छह भाई बहनों में से सबसे बड़ी थी। मैंने कॉलेज टाइम में ही तय कर लिया था कि कुछ बड़ा करके मुझे अपने भाई बहनों के सामने उदाहरण पेश करना था। मैंने सिविल सेवा में जाने का तय किया, मगर शुरुआत के कई प्रयासों में प्रारम्भिक परीक्षा भी पास नहीं हुई। फिर प्रारम्भिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार पास करके आईआरएस बनी। मेरा रिज्ल्ट आया तब मुझसे छोटी बहन अर्पित सागर एमबीए करके मुम्बई में प्राइवेट जॉब कर रही थी। मैंने उसे जॉब छोड़कर यूपीएससी तैयारी की सलाह दी। वो आज आईएएस है।
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ताने मारने वाला का मुंह शिक्षा से किया बंद
आईएएस अर्पित सागर कहती हैं कि पांच बेटियां होने पर माता-पिता को ताने सुनने को मिलते थे। लोग हमारी शादी, दहेज को लेकर कई तरह बातें सुनाते थे। ये सब सुनकर मां मायूस हो जाती थीं, मगर उन्होंने हमें सिखाया कि लोगों के ताने बंद करने का इकलौता जरिया शिक्षा है। सभी बहनें खूब पढ़ो और कामयाब हो जाओ। हमने यही करके दिखाया। नतीजा ये है कि जो लोग ताने मारते थे वो ही अब गर्व करते हैं।
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