सावन मेहरबान, पर कूड़ाघर बनी दिल्ली
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) हालांकि सावन दिल्ली और उसके आसपास मेहरबान हो गया। मगर इसके साथ ही सड़कों, बाजारों और रिहाइशी इलाकों में जलभराव की भयानक समस्या भी शुरू हो गई।
दिल्ली नगर निगम की नालायकी तो इसके लिए जिम्मेदार है ही मगर आम लोगों के द्वारा किए गए अतिक्रमण इसका मुख्य कारण है। कनॉट प्लेस, लक्ष्मी नगर, लाजपत नगर वगैरह मेंसब जगह गंदगी ही गंदगी हिखरी है। हालात खराब हैं।
निर्माण कराए
नई बनी कालोनियों में सब जगह सड़कों के दोनों किनारों पर बनी नालियों को बंद करके उस पर मकान मालिकों ने निर्माण कर लिया। उससे आगे बढ़कर सड़क के बड़े हिस्से को भी अपनी साइड से ऊंचा कर लिया। नतीजा सड़कें कटोरा बन गईं। यही हाल बाजारों में दुकानदारों ने किया।
स्वार्थी मध्यम वर्ग
वरिष्ठ लेखक शकील अख्तर कहते हैं कि यह समस्या किन्हीं एक- दो शहरों तक सीमित नहीं है। पिछले सालों में मुम्बई, श्रीनगर या केदारनाथ के हादसे बताते हैं कि समस्या अधिक बारिश नहीं हमारा अंतहीन लालच है। पानी के निकास के सारे रास्तों पर अतिक्रमण करके हम सरकारों, स्थानीय निकायों और दूसरों को कोस रहे हैं।
अब दिल्ली की सड़कों पर चलेगी ट्रैम, छुक-छुक करते हुए पहुंचें लालकिला-चांदी चौक
हम पाखंडी जनम के
विशेषज्ञ कहते स्मार्ट सिटी बनाने की बात करने वाले हम लोग क्या उसमें रहने की पात्रता रखते हैं? क्या शहरों में रहना हमें आ गया? बातें कड़वी हैं मगर ऐसे बदलते वक्त में जब मिडिल क्लास का काफी हिस्सा विदेश देख आया है, खुद के या दोस्तों, रिश्तेदारों के बच्चे बड़ी तादाद में वहां काम कर रहे हैं हम उनके सार्वजनिक शहरी तौर तरीकों से कुछ नहीं सीखे!