प्रफ्फुल पटेल ने फेंका वही जाल जिसमे फंसी थी केजरीवाल नाम की मछली
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए दीवाली के डबल धमाके के रुप में है। जहां हरियाणा में भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है तो वहीं महाऱाष्ट्र में थोड़ा पेंच फंसा हुआ है।
महाराष्ट्र विधानसभा में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, जबकि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ऐसे में अकेले जम कर भाजपा सरकार बनाने में असमर्थ है। उसके पास दो विकल्प है या तो वो शिवसेना का दामन थे या फिर एनसीपी के ताजा ऑफर पर गौर करें। एनसीपी के ऑफर को चुनना उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल का भाजपा को बाहर से समर्थन देने का ऑफर ठीक उसी तरह का ऑफर है जैसा कि कुछ महीनों पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को दिया था। दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के 8 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी, लेकिन उस सरकार महज 49 दिनों दम तोड़ दिया और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गई।
जो काम उस वक्त दिल्ली में कांग्रेस ने की वहीं काम इस वक्त महाराष्ट्र में एनसीपी कर रही है। अगर एनसीपी के बाहरी समर्थन से भाजपा सरकार बनाती है तो वो स्थाई सरकार नहीं होगी। भाजपा अभी क़रीब 121 सीटों पर आगे चल रही है। ऐसे में भाजपा को सरकार बनाने के लिए कम से कम 23 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा। अगर वो एनसीपी के 41 विधायकों का साथ लेती है तो महाराष्ट्र में स्थाई सरकार नहीं होगी। बजाए एनसीपी के भाजपा को शिवसेना पर गौर करना चाहिए। हलांकि यहां मुख्यमंत्री की कुर्सी की पेंच झंसती दिखाई दे रही है।