पुलिस ने फर्जी चेक के जरिए लाखों का चूना लगाने वालों को किया गिरफ्तार
महाराष्ट्र के वर्ली में 7 लोग गिरफ्तार किए गए हैं जिन्होंने कई कंपनियों और बैंकों को लोगों को चूना लगाया था।
मुंबई। 150 कंपनियों और कुछ बैंकों को फर्जी चेकों के जरिए चूना लगा रहे 7 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। ये लोग डुप्लीकेट चेक बना कर उसे फर्जी एकाउंट में ट्रांसफर करते थे।
महाराष्ट्र स्थित वर्ली में पुलिस ने इस रैकेट का भंडाफोड़ किया है। डिप्टी पुलिस कमिश्नर प्रवीण पडवाल ने पत्रकारों को बताया कि 62 बैंकों के 550 चेक, 19 चेकबुक, 10 एटीएम, एक लैपटॉप और दो प्रिंटर बरामद किए हैं।
इन सात अभियुक्तों में आकाश राज मूलचंदानी उर्फ सुशील कुमार सिंह (22), आकाश हरीश रतचंदानी (27), काफी अब्दुल शेख उर्फ सोनी यादव (30), फैजान रहमान शेख (33), आसिफ इमाम खान (34), किशौर कनोजिया उर्फ पांडे (34) और चंद्रकांत नंगेरे (32) शामिल हैं।
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3 साल से चलाया जा रहा था रैकेट
पुलिस ने बताया कि इस रैकेट का मास्टमाइंड फैजान शेख था। इस रैकेट को बीते 3 साल से चलाया जा रहा था।
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पुलिस ने जानकारी दी कि इस वो कथित ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ इंडिया का उपाध्यक्ष भी था। अभियुक्तों में सभी मीरा रोड और मलाड के रहने वाले हैं। केवल रतचंदानी नवी मुंबई से ताल्लुक रखता है।
पुलिस ने कहा कि यह मामला तब सामने आया जब एक प्रतिष्ठित कंपनी के 8.23 लाख रुपए के तीन चेक कॉरपोरेशन बैंक ने यह कहते हुई वापस कर दिए कि सभी क्लियर किया जा चुके हैं।
इसके बाद कंपनी परेशानी में आ गई और उसने अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया।
जमा किए थे फर्जी दस्तावेज
कहा गया कि जांच के दौरान यह सामने आया कि सभी चेक लक्ष्मी विलास बैंक में सुनील कुमार सिंह नाम के शख्स के खाते में ट्रांसफर किए गए हैं जिसने फर्जी दस्तावेज जमा किए थे।
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बैंक से जानकारी इकट्ठा करने के बाद पुलिस ने आगे की जांच शुरू की और सुनील कुमार सिंह उर्फ आकाश राज मूलचंदानी को इसी माह 12 तारीख को मीरा रोड से गिरफ्तार किया।
पुलिस के मुताबिक आकाश राज ने पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वो रैकेट का सिर्फ एक हिस्सा ही है। जानकारी के आधार पर पुलिस ने बाकी अभियुक्तों को गिरफ्तार किया।
इस तरह करते थे हेराफेरी
पुलिस ने बताया कि इन अभियुक्तों में से एक चंद्रकांत नंगेरे एक कोरियर कंपनी में काम करता है, जहां वो कंपनियों की ओर से अपने क्लाइन्ट्स को भेजे जा रहे चेकों की फोटो क्लिक करता था।
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उसके बाद वो उनकी तस्वीरों वाट्सएप से फैजान को भेजता था। फिर फैजान इसे आसिफ को भेजता था जिसके पास डुप्लीकेट चेक होते थे।
वो कंप्यूटर और प्रिंटर की मदद से चेक से सही एकाउंट नंबर हटा कर नए एकाउंट नंबर लिख देते थे जो सुनील कुमार के नाम से थे। उसके बाद डुप्लीकेट चेक बैंक में जमा कर उसे इनकैश करा लेते थे।
पुलिस ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच जारी रहेगी।