My covid Story: चार दोस्तों ने किया कमाल, 'Feed One' के जरिए 1 लाख जरूरतमंदों को पहुंचाया खाना
बेंगलुरु, 18 जून। 'मजरुह सुल्तानपुरी' का बहुत मशहूर शेर है "मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर ,लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया"। जी हां, ये कारवां ही है जो इस वक्त कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में चल रहा है, जिसे शुरू करने वाले हैं चार जिगरी यार जिनके नाम हैं- प्रकाश केडिया (चार्टर्ड अकाउंटेंट), मानस अग्रवाल (IT प्रोफेशनल), सनी अग्रवाल (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और विनय सराफ (चार्टर्ड अकाउंटेंट)। इनके कारवां का नाम है 'Feed One',जो उन लोगों की भूख शांत कराता है, जिनके मुंह से कोविड-19 वायरस ने खाने का निवाला छीन लिया है।
'Feed One' ने 1 लाख लोगों को पहुंचाया भोजन
ये चारों ही हाईटेक सिटी के एनर्जेटिक युवा हैं, जिनकी आशावादी सोच और देशवासियों के प्रति सेवा-भाव ने 'फीड वन' को जन्म दिया और आज इनकी कोशिश से हर रोज करीब 1 लाख भूखे लोगों को घर का शुद्ध भोजन मिल रहा है। वनइंडिया हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रकाश केडिया ने 'फीड वन' के जन्म से लेकर उसके आगे बढ़ने तक की सारी कहानी बखूबी बयां की। उन्होंने बताया कि चारों ओर कोराना की वजह से नकारात्मक बातें हो रही थीं, हर तरफ केवल दर्द, पीड़ा और कष्ट दिख रहा था।
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'किसी को खाना खिलाने से अच्छा कोई काम नहीं'
कोरोना के चलते कितने लोग बेरोजगार हो गए, बेसहारा हो गए, लोगों की हालत देखकर मन बहुत दुखी था। तभी हम चारों के मन में एक विचार आया कि हम इन बेसहारा, गरीब और जरूरतमंदों को कम से कम एक वक्त का पेट भरकर खाना तो खिला ही सकते हैं। हम चारों दोस्तों ने तभी तय किया कि अब ये काम हम शुरू करेंगे। ये बात मैंने अपनी मां से भी कहीं, तो मां ने कहा कि 'किसी को खाना खिलाने से अच्छा कोई काम नहीं लेकिन ये अभी के हालात के हिसाब से काफी कठिन होगा।'
3 मई 2021 को बेंगलुरु में 'फीड वन' की शुरुआत हुई
प्रकाश केडिया ने कहा कि,' मां की बात अपनी जगह पूरी सही थी लेकिन उनका आशीर्वाद हमारे साथ था और इसलिए हमने एक मॉडल बनाया, जिसके तहत हमने तय किया कि हम अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों से अपील करेंगे कि वो अपने घर में एक या दो व्यक्ति' का खाना एक्स्ट्रा बनाएं और हम उसे उनके घर से कलेक्ट करेंगे और फिर वो खाना उन लोगों के पास पहुंचेगा, जिन्हें वाकई में खाने की जरूरत है और इस तरह से हमने 3 मई 2021 को बेंगलुरु में 'फीड वन' की शुरुआत की।' यकीन मानिए हमने 3 मई 2021 को 100 प्लेट खाना अपार्टमेंट से कलेक्ट किया था लेकिन आज 16-17 जून तक आते-आते हम 1 लाख प्लेट खाना पर डे वितरित करने लगे हैं।
'फीड वन' ही क्यों?
इस मॉडल का नाम 'फीड वन' ही क्यों, ये पूछे जाने पर प्रकाश केडिया ने कहा कि हां नाम से ही स्पष्ट है कि सिर्फ एक को फीड (भोजन) कराइए, अगर इस सोच से हर कोई आगे बढ़े तो शायद कभी किसी को खाने की कमी ही ना हो। इसलिए हमने ये नाम रखा।
कैसे काम करता है 'फीड वन' मॉडल?
प्रकाश केडिया ने कहा कि शुरुआत में हमें इसे करने में निसंदेह काफी कष्ट हुआ, परेशानी आई कि कैसे आगे बढ़ेंगे, प्लेट्स कहां से आएंगी, गाड़ी से कैसे वितरित होगा खाना, वगैरह-वगैरह लेकिन लोगों ने हमारी बात समझी और उन्होंने अपना सहयोग हमें देना शुरू किया और आज हमें सुबह ही पता चल जाता है कि किस अपार्टमेंट से कितने प्लेट खाना आने वाला है। हम वहां के सिक्योरिटी गेट पर जरूरत के हिसाब से प्लेट्स और पेपर रख देते हैं और फिर वहीं से निर्धारित वक्त पर जाकर खाना एकत्र कर लेते हैं। आज हमारे साथ 200 से ज्यादा बेंगलुरु के अपार्टमेंट जुड़े हुए हैं।
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया...
लोग आगे आकर हमारी मदद करते हैं, हमारे सहयोगी, जिन्हें आप वालिटियर्स कह सकते हैं, वो हमारे साथ खाना कलेक्ट करते हैं, फिर जरूरत वाले स्थानों पर खाने को पहुंचाते हैं। प्रकाश केडिया ने ये भी कहा कि हमें कहां जाना है, मतलब भोजन की जरूरत कहां है, वो हमें कभी बीबीएमपी की लिस्ट से तो कोविड अस्पतालों की लिस्ट से पता चल जाता है।
हमारा साथ दे रहा है अब ये NGO
शुरुआत में तो ये काम हम अकेले कर रहे थे लेकिन अब हमारे साथ www.creativevisionsociety.org NGO की संचालिका ज्योत्सना झा और अभिषेक बिहानी (चार्टर्ड अकाउंटेंट) जुड़ गए हैं और जिनके सहयोग से अब हमारा 'फीड-वन' सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि 'फीड वन' का लक्ष्य 2 लाख लोगों को प्रतिदिन भोजन कराना है और हमें लगता है कि हम इसे जल्द ही पूरा कर लेंगे।