Karwa Chauth: यूपी के इस गांव में सुहागिनें नहीं रखतीं करवा चौथ का व्रत, जानिए क्यों
मथुरा। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर करवा चौथ का व्रत रखती हैं। शाम को 'करवा माता' और गणेश भगवान की पूजा अर्चना करने के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देती है और अपने पति के हाथों जल ग्रहण करके अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश जिले का एक ऐसा गांव है, जहां महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखी हैं, ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो।
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आज हम आपको इस गांव के बारे में और व्रत ना रखने के एक श्राप के बारे में बताने जा रहे है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से 60 किलोमीटर दूर स्थित मांट तहसील का कस्बा सुरीर है। सुरीर के मोहल्ला बघा में 200 वर्ष पूर्व से ही करवा चौथ का व्रत नहीं रखा जाता है। यदि कोई सुहागिन महिला करवा चौथ का व्रत रखती है तो उसके साथ कोई ना कोई अनहोनी घटित हो जाती है। ऐसा गांव वालों का मानना है। आपको बता दें कि यह परम्परा करीब 200 वर्षों से चलती आ रही है। इसके पीछे एक कथा भी काफी प्रचलित है।
97 वर्षीय सुनहरी देवी की मानें तो करीब 200 वर्ष पूर्व की बात है। थाना नौहझील के गांव रामनगला का एक युवक ससुराल से अपनी पत्नी को विदा कराकर सुरीर के बघा मोहल्ले में होकर भैंसा गाड़ी से गांव लौट रहा था। इस मोहल्ले के लोगों ने भैंसा गाड़ी रोक ली और गाड़ी में जुते भैंसे को अपना बताते हुए झगड़ा करने लगे। इसी झगड़े में सुरीर के लोगों ने युवक की हत्या कर दी। अपने सामने पति की मौत से कुपित होकर नवविवाहिता ने मोहल्ले के लोगों को श्राप देते हुए कहा कि जिस प्रकार में बिलख रही हूं। तुम्हारी महिलाएं भी बिलखेंगी।
श्राप देते हुए वह पति के साथ सती हो गई। इस घटना के बाद मोहल्ले में अनहोनी शुरू हो गई। इसे सती का श्राप कहें या बिलखती पत्नी के कोप का कहर, यहां कई नवविवाहिताएं विधवा हो गईं। इसे देख बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मान लिया और गलती के लिए क्षमा मांगी। तभी से इस मोहल्ले में कोई भी महिला करवा चौथ व अहोई अष्टमी का व्रत नहीं रखती। इस दिन महिलाएं पूरा शृंगार भी नहीं करती हैं।
सदियों से चली आ रही इस सती के श्राप की कहानी को मोहल्ले के लोग सच मानते हैं। मंदिर में सती की पूजा-अर्चना भी की जाती है। बताया जाता है कि पूजा अर्चना से सती का कोप मोहल्ले की महिलाओं पर कम हो गया है। लेकिन करवा चौथ और अघोई अष्टमी का त्योहार सुहागिन महिलाएं नहीं मनाती हैं। शादी होने के बाद अपने ससुराल आई नवविवाहिता को जब इस कहानी की जानकारी होती है। तो वह मायूस हो जाती हैं। अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा गया करवा चौथ का त्यौहार नहीं रख पाती हैं।