Mathura : बाबा नीम करोली के दर्शन करने वृंदावन पहुचें किंग कोहली और अनुष्का शर्मा, फैंस को नहीं हुआ विश्वास
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा आज यानि बुधवार को वृंदावन पहुंचे हैं। वह इस गोपनीय दौरे पर मथुरा में स्थित बाबा नीम करोली की समाधि स्थल के दर्शन करने आए थे।
क्रिकेट जगत में 'किंग' की ख्याति रखने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा आज यानि बुधवार को वृंदावन पहुंचे हैं। विराट कोहली और अनुष्का दोनों की ही बाबा नीम करोली महाराज में काफी श्रद्धा है। जिसके चलते वह इस गोपनीय दौरे पर मथुरा में स्थित बाबा नीम करोली की समाधि स्थल के दर्शन करने आए थे। साथी ही उन्होंने समाधि स्थल के दर्शन के बाद कुटिया में ध्यान भी लगाया। फैंस को ऑटोग्राफ दिए और उनके साथ फोटो भी खिंचाए। इसके बाद विराट और अनुष्का 'मां आनंदमयी आश्रम' रवाना हो गए।
गोपनीय तरीके से वृंदावन पहुंचे किंग कोहली और अनुष्का
दअसल, विराट और अनुष्का का यह दौरा बेहद गोपनीय रखा गया था। सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए यह फैसला इसलिए भी किया गया, क्योंकि विराट जैसे क्रिकेट सितारे की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। जिसके चलते बहुत बड़ी संख्या में क्रिकेट प्रेमियों की भीड़ जुटने की संभावना थी। वहीं कोरोना की नई दस्तक भी इसका एक बड़ा कारण मानी जा रही है। बता दें कि विराट और अनुष्का का वृंदावन आने का कार्यक्रम बुधवार दोपहर को था, लेकिन वे सुबह-सुबह ही बाबा नीम करोली आश्रम पहुंच गए। उनका कार्यक्रम इतना गोपनीय रहा कि किसी को भनक तक नहीं लगी। बताया जा रहा है कि विराट और अनुष्का के मथुरा आने से पहले ही यहां के एक साधारण होटल में कमरे बुक किए गए थे।
जब विराट कोहली के फैंस को लग गई भनक
हालांकि
विराट
और
अनुष्का
के
वृंदावन
पहुंचने
की
भनक
कुछ
फैंस
को
लग
गई।
और
वो
दौड़े-दौड़े
अपने
सितारे
की
एक
झलक
पाने
के
लिए
पहुंच
गए।
कुछ
युवा
और
किशोर
अपने
साथ
क्रिकेट
बैट
भी
ले
गए,
कि
अगर
उन्हें
मौका
मिला
तो
वह
किंग
कोहली
का
ऑटोग्राफ
भी
ले
लेंगे।
विराट
ने
इन
युवाओं
को
निराश
नहीं
किया
और
सभी
प्रशंसकों
को
ऑटोग्राफ
दिया।
इस
दौरान
विराट
ने
बाबा
नीम
करोली
की
समाधि
स्थल
के
दर्शन
किए।
विराट
और
अनुष्का
आश्रम
में
करीब
एक
घंटे
तक
रुके।
बाबा
नीम
करोली
का
आशीर्वाद
लेने
के
बाद
उन्होंने
कुटिया
में
ध्यान
भी
लगाया।
जिसके
बाद
विराट
और
अनुष्का
मां
आनंदमयी
आश्रम
रवाना
हो
गए।
आनंदमयी
आश्रम
में
मीडिया
को
प्रवेश
नहीं
दिया
गया
है।
सुरक्षा लेने से किया इंकार
जानकारी
अनुसार
विराट
कोहली
ने
पुलिस
सुरक्षा
लेने
से
भी
इनकार
कर
दिया।
उन्होंने
सिर्फ
1
उप
निरीक्षक
व
एक
चेतक
ही
अपने
साथ
रहने
के
लिए
कहा।
विराट
कोहली
सबसे
पहले
परिक्रमा
मार्ग
स्थित
नीब
करोली
आश्रम
में
बाबा
नीम
करोली
महाराज
के
समाधि
स्थल
के
दर्शन
किए
और
बाबा
महाराज
का
आशीर्वाद
ग्रहण
किया।
जिसके
बाद
मथुरा
मार्ग
स्थित
आनंदमई
आश्रम
पहुंचे।
यहां
आध्यात्मिक
चर्चा
करने
के
बाद
वह
रुकमणी
बिहार
स्थित
होटल
निधिवन
के
लिए
निकल
गए।
बाबा नीम करौरी महाराज के भक्तो में शामिल हैं कई बड़ी हस्तियां
बता दें कि विराट कोहली और अनुष्का दोनों की ही बाबा नीम करोली महाराज के प्रति काफी श्रद्धा है। नवंबर 2022 में विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने उत्तराखंड के कुमाऊं स्थित कैंची धाम पहुंचकर बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन किए थे। आपको जानकार हैरानी होगी कि केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बाबा के चमत्कारों की चर्चा होती है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाबा के बारे में चर्चा कर चुके हैं। पीएम मोदी, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं। ये सभी लोग कैंची धाम आश्रम भी आ चुके हैं और इनका मानना है कि बाबा की कृपा से ही इनका जीवन सफल हो पाया है।
हनुमान जी को मानते थे अपना गुरु
कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 वर्ष की आयु में ही ईश्वर के बारे में बहुत विशेष ज्ञान हो गया था। हनुमान जी को वे अपना गुरु और आराध्य मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में करीब 108 हनुमान मंदिर बनवाए। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। एकदम आम आदमी की तरह जीने वाले बाबा नीम करोली तो अपना पैर भी छूने नहीं देते थे। ऐसा करने वालों को वे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे।
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20वीं सदी के महान संतों में बाबा की गिनती
नीम करोली या नीब करौरी बाबा की गिनती 20वीं सदी के महान संतों में की जाती है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। नैनीताल, भुवाली से 7 किलोमीटर दूर कैंची धाम आश्रम की स्थापना बाबा ने 1964 में की थी। 1961 में वे यहां पहली बार पहुंचे थे और अपने एक मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम बनाने का विचार किया था। उत्तराखंड स्थित इस कैंची धाम में जब जून में वार्षिक समारोह होता है तो उनके भक्तों की खूब भीड़ लगती है। कैंची धाम में न केवल भारत के विभिन्न राज्यों, बल्कि विदेशों से भी उनके अनुयायी यहां पहुंचते हैं।
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