मुंबई: वैक्सीन के नाम पर डिस्टिल वाटर का इंजेक्शन? अब SIT करेगी 'फर्जी टीकाकरण' की जांच
कोरोना वायरस महामारी के बीच मुंबई में फर्जी टीकाकरण का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
मुंबई, 25 जून: कोरोना वायरस महामारी के बीच मुंबई में फर्जी टीकाकरण का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट को गुरुवार को महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने जो जानकारी दी, उसके मुताबिक अभी तक मुंबई के अलग-अलग इलाकों में 2000 से ज्यादा लोग फर्जी टीकाकरण रैकेट का शिकार बन चुके हैं। फर्जी टीकाकरण के मामले बढ़ने के बाद अब मुंबई पुलिस ने जांच के लिए एक एसआईटी का गठन कर दिया है। बताया जा रहा है कि फर्जी कोरोना टीकाकरण रैकेट की जांच के लिए बनी इस एसआईटी को डीसीपी विशाल ठाकुर लीड करेंगे।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि फर्जी टीकाकरण चलाने वाले इस रैकेट ने एक प्राइवेट हॉस्पिटल से वैक्सीन की 38 शीशियां खरीदी हैं। इसके बाद एक दवा कंपनी की मदद से इनकी खाली शीशियों का इस्तेमाल फर्जी टीकाकरण के लिए किया गया। पुलिस को इस मामले में एक डॉक्टर पर भी शक है, जिसने वैक्सीन की इस खरीद में रैकेट की मदद की है। इस डॉक्टर ने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दी है, जिसपर आज यानी शुक्रवार को सुनवाई होनी है।
'वैक्सीन
के
बजाय
लगाया
डिस्टिल
वाटर
का
टीका'
पुलिस
को
जांच
में
पता
चला
है
कि
इस
रैकेट
ने
खाली
शीशियों
को
इकट्ठा
किया
और
फिर
मुंबई
में
हीरानंदानी
हेरिटेज
हाउसिंग
सोसाइटी
सहित
कई
जगहों
पर
इनका
इस्तेमाल
फर्जी
टीकाकरण
के
लिए
किया।
हीरानंदानी
हेरिटेज
हाउसिंग
सोसाइटी
ने
ही
सबसे
पहले
फर्जी
टीकाकरण
मामले
की
जानकारी
दी
थी।
हालांकि
दवाई
कंपनी
के
कर्मचारियों
को
कोविशील्ड
की
असली
खुराक
ही
दी
गई।
पुलिस
को
इस
बात
का
भी
शक
है
कि
वैक्सीन
की
खाली
शीशियों
में
डिस्टिल
वाटर
भरकर
फर्जी
टीका
लगाया
गया
है।
बुधवार
को
इस
मामले
में
बोरिवली
पुलिस
ने
चौथी
एफआईआर
दर्ज
की
है।