'DD सह्याद्री पर मराठी में ही दिखाए जाने चाहिए प्रोग्राम', दूरदर्शन को राज ठाकरे ने लिखा पत्र
मुंबई, 21 जुलाई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने मांग करते हुए कहा कि दूरदर्शन के मराठी चैनल 'सह्याद्री' को सिर्फ मराठी भाषा में कार्यक्रम प्रसारित करने चाहिए। राज ठाकरे ने इस संबंध में दूरदर्शन को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' समेत कई अन्य कार्यक्रमों का भी जिक्र किया है। ठाकरे ने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) नीरज अग्रवाल को लिखे अपने पत्र में यह मांग की है।
राज ठाकरे ने अपने पत्र में क्या कहा?
राज ठाकरे ने लिखा कि दूरदर्शन (अब प्रसार भारती) ने 15 अगस्त 1994 को महाराष्ट्र के लिए सह्याद्री मराठी क्षेत्रीय चैनल लॉन्च किया। इसका मकसद महाराष्ट्र राज्य की राजभाषा यानी मराठी में सभी कार्यक्रमों का प्रसारण करना है। हालांकि दर्शकों और हमारे ध्यान में आया है कि इस चैनल पर अक्सर अन्य भाषाओं के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। हमें इस बारे में सभी आम लोगों से शिकायतें मिली हैं। साथ ही सूचना के अधिकार के जरिए इसका खुलासा हुआ है।
'मांग पर विचार करें अन्यथा मनसे...'
ठाकरे ने अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा, "कृपया हमारी मांग पर विचार करें और आवश्यक कार्रवाई करें, अन्यथा मनसे समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाएगी।" राज ठाकरे ने यह भी कहा कि खाना पकाने, सिनेमा, संगीत या किसी अन्य क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों की कमी नहीं है और वे बहुत अच्छी मराठी बोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि डीडी सह्याद्री हमेशा मराठी में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें अपने शो में आमंत्रित कर सकता है।
'मन की बात' की भी किया जिक्र
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंदी भाषा का कार्यक्रम 'मन की बात' सह्याद्री के साथ-साथ दूरदर्शन के अन्य सभी क्षेत्रीय चैनलों पर प्रसारित होता है, किसी को आपत्ति करने का कोई कारण नहीं है। क्योंकि वह देश के प्रधानमंत्री हैं। लेकिन हिंदी कार्यक्रम 'कोशिश से कायमफी तक', 'तरने तुरे' हमारे मराठी सह्याद्री चैनल पर दिखाए जाते हैं और उनका दोबारा प्रसारण भी किया जा रहा है। इसी तरह यह भी देखा गया है कि कभी-कभी हिंदी बोलने वाले या हिंदी भाषा में संवाद करने वाले व्यक्तियों को सह्याद्री चैनल पर इंटरव्यू या और कई कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है। जो निश्चित तौर पर मुख्य उद्देश्य की पूरा नहीं करता है।
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उन्होंने कहा कि हमें कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल राज्यों में दूरदर्शन के स्थानीय चैनलों से सीख लेनी चाहिए और स्थानीय आधिकारिक भाषा पर जोर देना चाहिए और 'सह्याद्री' चैनल पर अन्य भाषाओं के प्रसार को समय पर रोकना चाहिए।