महाराष्ट्र में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने वाला विधेयक पारित, चांसलर के रूप में कम होगी पावर
मुंबई, दिसंबर 28। महाराष्ट्र में उद्धव सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच का टकराव कोई नया नहीं है। जब से राज्य में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने हैं, तभी से सरकार और राज्यपाल का टकराव किसी ना किसी बात को लेकर होता आया है। हाल फिलहाल में स्पीकर के चुनाव को लेकर सरकार और राज्यपाल में टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस तनाव की स्थिति के बीच मंगलवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में एक विधेयक पारित करा लिया, जो कहीं ना कहीं राज्यपाल की शक्तियों को कम करेगा।
राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का विधेयक
जानकारी के मुताबिक, उद्धव सरकार ने विधानसभा में जो विधेयक पारित कराया है, उससे राज्यपाल की वो शक्तियां कम होंगी, जिससे वो विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्ति करता है। इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यपाल की चांसलर के रूप में शक्तियां कम होंगी। पिछले हफ्ते इस विधेयक को राज्य सरकार ने कैबिनेट से मंजूर कराया था, जिसके बाद इसे विधानसभा में पेश किया गया और विधानसभा में भी ये विधेयक पारित हो गया।
क्या है इस विधेयक में?
आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने जो विधेयक विधानसभा से पारित कराया है, उसमें राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का प्रस्ताव है। विधेयक के लागू होने के बाद राज्य में राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका कम हो जाएगी। आपको बता दें कि जिस तरह सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का चांसलर राष्ट्रपति होता है, वैसे ही राज्य के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों का चांसलर गवर्नर होता है।
महाराष्ट्र से पहले ये राज्य भी गवर्नर के खिलाफ उठा चुके हैं कदम
महाराष्ट्र राज्यपाल की शक्तियों को कम करने की कोशिश करने वाला हाल फिलहाल का पहला राज्य है। इससे पहले पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा की सरकारें भी ऐसे कदम उठा चुकी हैं। इन सभी राज्यों में गैर बीजेपी की पार्टी सत्ता में है। इन सभी राज्यों की चुनी हुई सरकारों ने कुलपतियों की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं।