क्या महाराष्ट्र की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर होने वाला है ? उलटबयानी कर रहे हैं MVA के नेता
मुंबई, 13 जून: महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन की राजनीति में अंदर ही अंदर उथल-पुथल मचने के संकेत मिल रहे हैं। विधानसभा चुनाव कोसों दूर है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस के नेता अभी से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोक रहे हैं। उधर शरद पवार और प्रशांत किशोर की मुलाकात की सही तस्वीर भी अभी तक सामने नहीं आई है। जबकि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पार्टी के नेता संजय राउत का हालिया बयान भी कहीं न कहीं गठबंधन के नेताओं के मन में आशंकाओं को जन्म दे रहा है। सवाल है कि महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले समय में कोई बड़ा उलटफेर तो नहीं होने जा रहा है?
मुख्यमंत्री के पद पर पटोले का मन डोला !
महाराष्ट्र की सत्ताधारी गठबंधन महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने हाल के तीन-चार दिनों में जिस तरह की उलटबयानी की है, उससे तो यही लगता है कि वहां शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के बीच तालमेल का पूरी तरह से अभाव है। तीनों दलों के नेताओं के बयान और ऐक्शन विरोधाभासी नजर आ रहे हैं। पहले से अपने उल्टे-सीधे बयानों के लेकर चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने अब एक तरह से खुद को अगले मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर पेश कर दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शनिवार को कहा है, 'मैं प्रदेश का कांग्रेस चीफ हूं। मैं पार्टी के विचार को सामने रखूंगा। मैं नहीं जानता कि उन्होंने (शरद पवार) क्या कहा है, लेकिन कांग्रेस ने यह पूरी तरह से साफ कर दिया है कि हम स्थानीय निकाय के चुनावों और विधानसभा चुनावों में अकेले लड़ेंगे। क्या आप लोग नाना पटोले को सीएम नहीं बनाना चाहते ?'
क्या पवार से मायूस हो चुकी है कांग्रेस ?
असल में शुक्रवार को एनसीपी कार्यकर्ताओं के सामने पार्टी सुप्रीमों शरद पवार ने शिवसेना की खूब सराहना की थी। हाल में पीएम मोदी से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुलाकात और शिवसेना नेता संजय राउत के बयानों से पैदा हुई नई राजनीतिक सुगबुगाहट के बीच पवार ने कह दिया था कि शिवसेना ऐसी पार्टी है, जिसपर भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने 5 साल सरकार चलने का दावा करते हुए कहा था कि किसी ने नहीं सोचा था कि एनसीपी और शिवसेना साथ काम कर सकती है। अब पवार जैसे सियासी धुरंधर का शिवसेना की इतनी तारीफ करने का राजनीतिक मकसद इतनी जल्दी समझ पाना आसान नहीं है। वैसे ये तथ्य है कि पवार की दखल की वजह से जितनी ट्यूनिंग एनसीपी और शिवसेना में दिखती है, उतनी कांग्रेस और शिवसेना में कभी नजर नहीं आई है। हिंदूत्व, रामजन्मभूमि, सीएए, एनआरसी, वीर सावरकर से लेकर कोविड-19 तक को हैंडल करने को लेकर शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं खींचतान रही है। यही वजह है कि पवार का बिना नाम लिए पटोले ने कहा है, 'कांग्रेस ही मूल पार्टी है। हमें किसी का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। अगर कोई (पवार) हमें साइडलाइन भी कर रहा है, इसका मतलब ये नहीं कि कांग्रेस साइडलाइन हो जाएगी। 2024 में कांग्रेस ही सबसे पार्टी रहेगी।'
पवार-प्रशांत किशोर की मुलाकात
एक ओर कांग्रेस को लग रहा है कि शायद महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी की ओर से उसे साइडलाइन किया जा रहा है तो दूसरी ओर शरद पवार और प्रशांत किशोर की मुलाकात अलग ही राजनीतिक खिचड़ी पकने की सुगबुगाहट है। चर्चा है कि केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ भविष्य की विपक्षी एकता को चुनाव क्षेत्र के हिसाब से संभावनाएं तलाशने के लिए किशोर को पवार के मुंबई वाले बंगले पर लंच का मौका मिला है। वैसे तो एनसीपी सामने से यही कह रही है कि प्रशांत किशोर एक निजी लंच पर आए थे, लेकिन, इसके राजनीतिक मायने न निकाले जाएं इसके कोई कारण नहीं हैं। ऊपर से किशोर को अभी-अभी ममता बनर्जी को इतनी बड़ी जीत दिलाने के लिए वाहवाही मिल रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का ताजा बयान इस संभावित राजनीतिक समीकरण की बौखलाहट की वजह से भी हो सकती है, जिस पार्टी को बीजेपी विरोध की अगुवाई (राहुल गांधी) करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं हो सकता। गौर करने वाली बात ये भी है कि शिवसेना पहले ही शरद पवार को एंटी-बीजेपी फ्रंट की अगुवाई करने की वकालत कर चुकी है और इस मसले पर भी कांग्रेस के साथ उसकी खटपट हो चुकी है।
इसे भी पढ़ें-शिवसेना विधायक की शर्मनाक करतूत, कॉन्ट्रैक्टर को बीच सड़क बैठाया, डलवाया कूड़ा
Recommended Video
शिवसेना के भी बदले-बदले दिख रहे हैं सुर
हाल के दिनों में केंद्र में शासित नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार को लेकर शिवसेना का सुर और अंदाज पूरी तरह बदला नजर आया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग से मुलाकात करके आ चुके हैं और सवालों पर जवाब में कहा है कि अपने प्रधानमंत्री से मिलने गया था, नवाज शरीफ से नहीं। उनसे भी आगे तो उनके बड़बोले प्रवक्ता संजय राउत निकले जो एकबार फिर से पीएम मोदी को देश और बीजेपी का सबसे बड़ा नेता बताने लगे हैं। शिवसेना नेताओं के इस बदले टोन को पवार साहब सुनकर नजरअंदाज भी कर दिए होंगे, लेकिन कांग्रेस नेताओं के लिए पीएम मोदी की तारीफ पचा पाना इतना आसान नहीं है; और नाना पटोले का हालिया बयान उस संदर्भ में भी देखा जा सकता है। क्योंकि, विधानसभा चुनाव भले ही साढ़े तीन साल दूर हैं, लेकिन बीएमसी चुनाव अगले साल ही होने वाले हैं। पटोले के मंसूबे पर वरिष्ठ पत्रकार संजय ब्रागटा ट्विटर पर तंज कसते हुए लिखते हैं- "पटोले का मन डोला! महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के मन में मुख्यमंत्री पद को लेकर लड्डू फूट रहे हैं? अकोला में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पटोले ने मंच से कार्यकर्ता के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि नाना पटोले को अब मुख्यमंत्री बनाना है!"